पटना: लोक आस्था का महापर्व छठ धूमधाम से मनाया जा रहा है. चार दिवसीय छठ पूजा में प्रसाद रूपी ठेकुआ अपना अलग ही महत्व रखता है. वहीं, दरभंगा से ठेकुआ को लेकर एक खबर सामने आ रही है. जिले में 91 किलो का ठेकुआ बनाया गया है. इस ठेकुआ को लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए भेजा जाएगा.
दरभंगा के कर्ण कायस्थ महासभा ने इस ठेकुआ को बनवाया है. समाज के लोगों ने जिले में आयोजित किए गए कर्ण कुंभ में इस ठेकुआ को रखा. 11 फीट लंबा और 6 फीट चौड़ा ठेकुआ कर्ण कुंभ में आकर्षण का केंद्र बना रहा. ठेकुआ को बनाने में 30 घंटे का समय लगा है, जिसे 16 लोगों की देख रेख में तैयार किया गया.
कैसे बनता है ठेकुआ
बिना कीट नाशक-प्रयोग वाले गेहूं को पानी से अच्छी तरह धोकर सूखाते हैं. इसके बाद इस गेहूं को हाथ चक्की में पीसते हैं. गेहूं से पीसा चोकर युक्त आटे को खूब टाइट गूंधते हैं. आटा गूंथते वक्त इसमें गुड़, सौंफ, सूखे मेवे को मिलाया जाता है. इसके बाद इसके छोटे-छोटे टुकड़े कर मिट्टी के चूल्हे में कढ़ाई में घी डालकर पकाया जाता है.
क्यों कहा जाता है ठेकुआ...
आटा गूंथने के बाद जो छोटे - छोटे टुकड़े किये जाते हैं. उन टुकड़ों को हाथ से ठोककर छोटी और मोटी पूरी का रूप देते हैं. हाथ से ठोककर बनाये जाने के कारण इसे ठेकुआ कहा जाता है. प्रसाद के लिए बने इस ठेकुए का अपूर्व स्वाद होता है. एक बार का बना ठेकुआ दस-बारह दिन मजे में चलता है.