पटनाः कहा जाता है कि चुनाव में एक वोट से हार-जीत का फैसला हो जाता है, लेकिन यहां तो हजारों वोटर हैं. जो लोकतंत्र के महापर्व में खास भूमिका निभाते हैं. हम बात कर रहे है थर्ड जेंडर की, जिसे भले ही सुप्रीम कोर्ट ने विगत पांच साल पहले तीसरे जेंडर की मान्यता दी है, मगर आज भी किन्नर समुदाय अपनी अस्तित्व की लडाई लड़ रहा है. ऐसे में चुनावी मौसम को देखते हुए किन्नरों को उम्मीद जगी है कि सरकार उन पर भी ध्यान दे.
राजधानी पटना में तकरीबन दस हजार किन्नर हैं, लेकिन इन सब के लिए न ही केंद्र सरकार के पास कोई योजना है और न ही राज्य सरकार ने अब तक कोई योजना बनाई है. ऐसे में किन्नर समुदाय अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. किन्नरों के उत्थान के लिए किन्नर कल्याण समिति बनीं लेकिन आज भी उनका उत्थान नहीं हो सका है.
किन्नर समुदाय को सरकार से आस, जीवन स्तर सुधारने के लिए मांग रहे मदद - bihar news
चुनावी मौसम को देखते हुए पटना में किन्नर समुदाय ने सरकार से ध्यान देने की गुजारिश की है. उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने थर्ड जेंडर को मान्याता दे दी है. लेकिन सरकार के तरफ से उनके लिए कोई भी योजना नहीं निकाला है.
पटनाः कहा जाता है कि चुनाव में एक वोट से हार-जीत का फैसला हो जाता है, लेकिन यहां तो हजारों वोटर हैं. जो लोकतंत्र के महापर्व में खास भूमिका निभाते हैं. हम बात कर रहे है थर्ड जेंडर की, जिसे भले ही सुप्रीम कोर्ट ने विगत पांच साल पहले तीसरे जेंडर की मान्यता दी है, मगर आज भी किन्नर समुदाय अपनी अस्तित्व की लडाई लड़ रहा है. ऐसे में चुनावी मौसम को देखते हुए किन्नरों को उम्मीद जगी है कि सरकार उन पर भी ध्यान दे.
राजधानी पटना में तकरीबन दस हजार किन्नर हैं, लेकिन इन सब के लिए न ही केंद्र सरकार के पास कोई योजना है और न ही राज्य सरकार ने अब तक कोई योजना बनाई है. ऐसे में किन्नर समुदाय अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. किन्नरों के उत्थान के लिए किन्नर कल्याण समिति बनीं लेकिन आज भी उनका उत्थान नहीं हो सका है.
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