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किन्नर समुदाय को सरकार से आस, जीवन स्तर सुधारने के लिए मांग रहे मदद

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Published : Apr 23, 2019, 7:51 PM IST

चुनावी मौसम को देखते हुए पटना में किन्नर समुदाय ने सरकार से ध्यान देने की गुजारिश की है. उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने थर्ड जेंडर को मान्याता दे दी है. लेकिन सरकार के तरफ से उनके लिए कोई भी योजना नहीं निकाला है.

मीडिया से बात करती थर्ड जेंडर

पटनाः कहा जाता है कि चुनाव में एक वोट से हार-जीत का फैसला हो जाता है, लेकिन यहां तो हजारों वोटर हैं. जो लोकतंत्र के महापर्व में खास भूमिका निभाते हैं. हम बात कर रहे है थर्ड जेंडर की, जिसे भले ही सुप्रीम कोर्ट ने विगत पांच साल पहले तीसरे जेंडर की मान्यता दी है, मगर आज भी किन्नर समुदाय अपनी अस्तित्व की लडाई लड़ रहा है. ऐसे में चुनावी मौसम को देखते हुए किन्नरों को उम्मीद जगी है कि सरकार उन पर भी ध्यान दे.
राजधानी पटना में तकरीबन दस हजार किन्नर हैं, लेकिन इन सब के लिए न ही केंद्र सरकार के पास कोई योजना है और न ही राज्य सरकार ने अब तक कोई योजना बनाई है. ऐसे में किन्नर समुदाय अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. किन्नरों के उत्थान के लिए किन्नर कल्याण समिति बनीं लेकिन आज भी उनका उत्थान नहीं हो सका है.

मीडिया से बात करती थर्ड जेंडर
सरकार हमारे बारे में सोचे, हम साथ देंगेमीडिया ने जब किन्नर से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि जिस मोहल्ले में वे रहती हैं, वह मोहल्ला टूटने वाला है. ऐसे में वे लोग रहने के लिए घरों के मोहताज हो जाएंगे. उनका कहना है कि सरकार को किन्नर समुदाय के बारे में सोचना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार अगर उनका दे तो किन्नर समुदाय भी सरकार का साथ देगी.बुनियादी सुविधाओं का अभाववहीं किन्नर उत्थान सोसायटी के कार्यकर्ता ने बताया कि पटना के कमला नेहरु नगर में सरकार ने इस इलाके को तोड़ने की नोटिस जारी किया है. उन्होंने कहा कि अब ऐसे में यहां लगभग 100 किन्नर परिवार रहते हैं. सरकार ने इलाके को तोड़ने की परवानगी तो दे दी. लेकिन इनके रहने का प्रबंध नहीं किया है.बता दें कि बिहार में किन्नरों की संख्या एक अनुमान के मुताबिक चालीस हजार है. वहीं ईटीवी की टीम जब राजधानी पटना के किन्नर के मुहल्ले मे जायजा लेने पहुंची तो सबों ने अपनी-अपनी समस्याओं से अवगत कराया. जहां किन्नर रहते हैं, वहां काफी मूलभूत समस्या है. सभी ने सरकार से गुजारिश किया है कि उनकी समस्याओं पर सरकार ध्यान दे.

पटनाः कहा जाता है कि चुनाव में एक वोट से हार-जीत का फैसला हो जाता है, लेकिन यहां तो हजारों वोटर हैं. जो लोकतंत्र के महापर्व में खास भूमिका निभाते हैं. हम बात कर रहे है थर्ड जेंडर की, जिसे भले ही सुप्रीम कोर्ट ने विगत पांच साल पहले तीसरे जेंडर की मान्यता दी है, मगर आज भी किन्नर समुदाय अपनी अस्तित्व की लडाई लड़ रहा है. ऐसे में चुनावी मौसम को देखते हुए किन्नरों को उम्मीद जगी है कि सरकार उन पर भी ध्यान दे.
राजधानी पटना में तकरीबन दस हजार किन्नर हैं, लेकिन इन सब के लिए न ही केंद्र सरकार के पास कोई योजना है और न ही राज्य सरकार ने अब तक कोई योजना बनाई है. ऐसे में किन्नर समुदाय अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. किन्नरों के उत्थान के लिए किन्नर कल्याण समिति बनीं लेकिन आज भी उनका उत्थान नहीं हो सका है.

मीडिया से बात करती थर्ड जेंडर
सरकार हमारे बारे में सोचे, हम साथ देंगेमीडिया ने जब किन्नर से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि जिस मोहल्ले में वे रहती हैं, वह मोहल्ला टूटने वाला है. ऐसे में वे लोग रहने के लिए घरों के मोहताज हो जाएंगे. उनका कहना है कि सरकार को किन्नर समुदाय के बारे में सोचना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार अगर उनका दे तो किन्नर समुदाय भी सरकार का साथ देगी.बुनियादी सुविधाओं का अभाववहीं किन्नर उत्थान सोसायटी के कार्यकर्ता ने बताया कि पटना के कमला नेहरु नगर में सरकार ने इस इलाके को तोड़ने की नोटिस जारी किया है. उन्होंने कहा कि अब ऐसे में यहां लगभग 100 किन्नर परिवार रहते हैं. सरकार ने इलाके को तोड़ने की परवानगी तो दे दी. लेकिन इनके रहने का प्रबंध नहीं किया है.बता दें कि बिहार में किन्नरों की संख्या एक अनुमान के मुताबिक चालीस हजार है. वहीं ईटीवी की टीम जब राजधानी पटना के किन्नर के मुहल्ले मे जायजा लेने पहुंची तो सबों ने अपनी-अपनी समस्याओं से अवगत कराया. जहां किन्नर रहते हैं, वहां काफी मूलभूत समस्या है. सभी ने सरकार से गुजारिश किया है कि उनकी समस्याओं पर सरकार ध्यान दे.
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