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आर्थिक सर्वेक्षण: अदालतों में छुट्टियां घटाने और ज्यादा न्यायाधीशों की नियुक्ति का सुझाव - बिहार न्यूज

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बृहस्पतिवार को संसद में पेश किये गये 2019-20 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार 3.5 करोड़ मामले अदालतों में लंबित हैं. उनमें से ज्यादातर मामले जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में हैं.

न्यायाधीशों की नियुक्ति का सुझाव
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Published : Jul 4, 2019, 11:49 PM IST

पटना/नई दिल्ली: आर्थिक सर्वेक्षण में न्यायपालिका की उत्पादकता बढ़ाने के लिए अदालतों में छुट्टियां घटाने और न्यायाधीशों की नियुक्ति करने का सुझाव दिया गया है. साथ ही कहा गया है कि अनुबंध को लागू करने में विलंब और विवादों के समाधान में देरी, भारत में कारोबार सुगमता में बहुत बड़ी बाधा हैं.

लंबित मामलों से आर्थिक गतिविधि पर पड़ता है असर

सर्वेक्षण में कहा गया है, 'अनुबंधों को लागू करने की व्यवस्था में तेजी लाने और उसे सुधारने के लिए कई कदम उठाने के बावजूद देरी और न्यायालयों में मामलों के लंबित होने का आर्थिक गतिविधि पर असर पड़ रहा है. अनुबंधों का क्रियान्वयन हमारी कारोबार सुगमता रैकिंग के सुधार के रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा है.'

उसमें कहा गया है कि भारत अनुबंधों को लागू करने के संकेतक पर लगातार पीछे चल रहा है. 2018 की नवीनतम कारोबार सुगमता (ईओडीबी) रैंकिंग में वह 164 से महज एक रैंक सुधरकर 163 पर आया.

आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19

रिक्तियों को भरने की आवश्यकता
इस सर्वेक्षण के अनुसार अनुबंधन क्रियान्वयन और तत्संबंधी विवाद निपटान में देरी भारत में कारोबार सुगमता और उच्च आर्थिक वृद्धि के मार्ग में वाकई बड़ी बाधा हैं. सर्वेक्षण में कहा गया है कि यह समस्या कोई ऐसी नहीं है जिससे पार नहीं पाया जा सके. निचली अदालतों में 2,279 और उच्च न्यायालयों में 93 न्यायाधीश बढ़ाकर शत प्रतिशत ऐसे मामलों का निस्तारण किया जा सकता है. यह तो अदालतों में न्यायाधीशों की मान्य संख्या के अंदर ही आता है और उसके लिए बस रिक्तियों का भरना है.

पटना/नई दिल्ली: आर्थिक सर्वेक्षण में न्यायपालिका की उत्पादकता बढ़ाने के लिए अदालतों में छुट्टियां घटाने और न्यायाधीशों की नियुक्ति करने का सुझाव दिया गया है. साथ ही कहा गया है कि अनुबंध को लागू करने में विलंब और विवादों के समाधान में देरी, भारत में कारोबार सुगमता में बहुत बड़ी बाधा हैं.

लंबित मामलों से आर्थिक गतिविधि पर पड़ता है असर

सर्वेक्षण में कहा गया है, 'अनुबंधों को लागू करने की व्यवस्था में तेजी लाने और उसे सुधारने के लिए कई कदम उठाने के बावजूद देरी और न्यायालयों में मामलों के लंबित होने का आर्थिक गतिविधि पर असर पड़ रहा है. अनुबंधों का क्रियान्वयन हमारी कारोबार सुगमता रैकिंग के सुधार के रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा है.'

उसमें कहा गया है कि भारत अनुबंधों को लागू करने के संकेतक पर लगातार पीछे चल रहा है. 2018 की नवीनतम कारोबार सुगमता (ईओडीबी) रैंकिंग में वह 164 से महज एक रैंक सुधरकर 163 पर आया.

आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19

रिक्तियों को भरने की आवश्यकता
इस सर्वेक्षण के अनुसार अनुबंधन क्रियान्वयन और तत्संबंधी विवाद निपटान में देरी भारत में कारोबार सुगमता और उच्च आर्थिक वृद्धि के मार्ग में वाकई बड़ी बाधा हैं. सर्वेक्षण में कहा गया है कि यह समस्या कोई ऐसी नहीं है जिससे पार नहीं पाया जा सके. निचली अदालतों में 2,279 और उच्च न्यायालयों में 93 न्यायाधीश बढ़ाकर शत प्रतिशत ऐसे मामलों का निस्तारण किया जा सकता है. यह तो अदालतों में न्यायाधीशों की मान्य संख्या के अंदर ही आता है और उसके लिए बस रिक्तियों का भरना है.

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बृहस्पतिवार को संसद में पेश किये गये 2019-20 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार 3.5 करोड़ मामले अदालतों में लंबित हैं. उनमें से ज्यादातर मामले जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में हैं.





आर्थिक सर्वेक्षण: अदालतों में छुट्टियां घटाने और ज्यादा न्यायाधीशों की नियुक्ति का सुझाव

पटना/नई दिल्ली: आर्थिक सर्वेक्षण में न्यायपालिका की उत्पादकता बढ़ाने के लिए अदालतों में छुट्टियां घटाने और न्यायाधीशों की नियुक्ति करने का सुझाव दिया गया है तथा कहा गया है कि अनुबंध को लागू करने में विलंब और विवादों के समाधान में देरी भारत में कारोबार सुगमता में बहुत बड़ी बाधा हैं.

सर्वेक्षण में कहा गया है, 'अनुबंधों को लागू करने की व्यवस्था में तेजी लाने और उसे सुधारने के लिए कई कदम उठाने के बावजूद देरी और न्यायालयों में मामलों के लंबित होने का आर्थिक गतिविधि पर असर पड़ रहा है. अनुबंधों का क्रियान्वयन हमारी कारोबार सुगमता रैकिंग के सुधार के रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा है.'

उसमें कहा गया है कि भारत अनुबंधों को लागू करने के संकेतक पर लगातार पीछे चल रहा है और 2018 की नवीनतम कारोबार सुगमता (ईओडीबी) रैंकिंग में वह 164 से महज एक रैंक सुधरकर 163 पर आया.

इस सर्वेक्षण के अनुसार अनुबंधन क्रियान्वयन और तत्संबंधी विवाद निपटान में देरी भारत में कारोबार सुगमता और उच्च आर्थिक वृद्धि के मार्ग में वाकई बड़ी बाधा हैं. सर्वेक्षण में कहा गया है कि यह समस्या कोई ऐसी नहीं है जिससे पार नहीं पाया जा सके तथा निचली अदालतों में और 2,279 तथा उच्च न्यायालयों में 93 न्यायाधीश बढ़ाकर शत प्रतिशत ऐसे मामलों का निस्तारण किया जा सकता है. यह तो अदालतों में न्यायाधीशों की मान्य संख्या के अंदर ही आता है और उसके लिए बस रिक्तियों का भरना है.




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