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चमकी पर AIIMS रिपोर्ट से नीतीश सरकार को तमाचा, सरकार-प्रशासन की लापरवाही और कुपोषण का खुलासा

चमकी बुखार पर एम्स की रिसर्च में बिहार सरकार और स्थानीय प्रशासन की लापरवाही सामने आई है. साथ ही ये भी पाया गया है कि मरने वाले बच्चे कुपोषण के शिकार थे.

AIIMS
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Published : Jul 2, 2019, 11:27 PM IST

पटना/नई दिल्ली: मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार के चलते 192 बच्चों की जान गई है. मौत की वजह स्पष्ट नहीं हो पा रही है. लेकिन इस बीच एम्स की रिसर्च सामने आई है. जिसमें मौत का कारण कुपोषण और प्रशासनिक लापरवाही बताया गया है.

चमकी पर एम्स का बड़ा खुलासा


एम्स का खुलासा
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की एक टीम ने चमकी बुखार को लेकर रिसर्च किया है. जिसकी रिपोर्ट भी अब सामने आ चुकी है. इस रिसर्च में डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों की मौत का जिम्मेदार ठीक तरह से उपचार ना मिलना और अस्पताल में बेहतर सुविधाएं ना होना था.


अस्पताल प्रशासन की लापरवाही
इस रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि अस्पताल में उपकरण सहित अन्य स्वास्थ्य सुविधा देने में सक्षम नहीं था. उसके बावजूद मरीजों को वहां पर भर्ती कराया गया. रिसर्च में यह भी पाया है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल के इमरजेंसी रूम में रोजाना 500 से ज्यादा मरीजों को भर्ती कराया जाता है. जबकि वहां इतने मरीजों के लायक न तो उपकरण हैं और न ही डॉक्टर.


बच्चे कुपोषण के शिकार
रिपोर्ट में यह कहा गया है कि एईएस के लक्षण परिजनों को रात में मालूम चले थे, लेकिन वह सुबह अस्पताल लेकर गए. जिसके चलते यह बीमारी उनके शरीर में पूरी तरीके से फैल गई और वह मौत में तब्दील हुई. रिसर्च में यह भी पाया कि जो बच्चे मौत के शिकार हुए वह कुपोषण के शिकार थे.


राज्य सरकार पर भी सवाल
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह राज्य के लिए बेहद चिंता का विषय है कि अभी लोग कुपोषण के शिकार हो रहे हैं. ठीक तरह से खाना न मिल पाने की वजह से ऐसी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि आगामी दिनों में इस तरीके की स्थिति ना बने, इसलिए राज्य सरकार और प्रशासन स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर चिंतित हो और उचित कदम उठाए.

पटना/नई दिल्ली: मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार के चलते 192 बच्चों की जान गई है. मौत की वजह स्पष्ट नहीं हो पा रही है. लेकिन इस बीच एम्स की रिसर्च सामने आई है. जिसमें मौत का कारण कुपोषण और प्रशासनिक लापरवाही बताया गया है.

चमकी पर एम्स का बड़ा खुलासा


एम्स का खुलासा
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की एक टीम ने चमकी बुखार को लेकर रिसर्च किया है. जिसकी रिपोर्ट भी अब सामने आ चुकी है. इस रिसर्च में डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों की मौत का जिम्मेदार ठीक तरह से उपचार ना मिलना और अस्पताल में बेहतर सुविधाएं ना होना था.


अस्पताल प्रशासन की लापरवाही
इस रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि अस्पताल में उपकरण सहित अन्य स्वास्थ्य सुविधा देने में सक्षम नहीं था. उसके बावजूद मरीजों को वहां पर भर्ती कराया गया. रिसर्च में यह भी पाया है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल के इमरजेंसी रूम में रोजाना 500 से ज्यादा मरीजों को भर्ती कराया जाता है. जबकि वहां इतने मरीजों के लायक न तो उपकरण हैं और न ही डॉक्टर.


बच्चे कुपोषण के शिकार
रिपोर्ट में यह कहा गया है कि एईएस के लक्षण परिजनों को रात में मालूम चले थे, लेकिन वह सुबह अस्पताल लेकर गए. जिसके चलते यह बीमारी उनके शरीर में पूरी तरीके से फैल गई और वह मौत में तब्दील हुई. रिसर्च में यह भी पाया कि जो बच्चे मौत के शिकार हुए वह कुपोषण के शिकार थे.


राज्य सरकार पर भी सवाल
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह राज्य के लिए बेहद चिंता का विषय है कि अभी लोग कुपोषण के शिकार हो रहे हैं. ठीक तरह से खाना न मिल पाने की वजह से ऐसी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि आगामी दिनों में इस तरीके की स्थिति ना बने, इसलिए राज्य सरकार और प्रशासन स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर चिंतित हो और उचित कदम उठाए.

Intro:चमकी बुखार पर एम्स की रिसर्च, राज्य सरकार और प्रशासन की लापरवाही आई सामने

दक्षिणी दिल्ली: बिहार के मुज्जफरपुर में चमकी बुखार के चलते जहां 154 बच्चों की मौत की मामला पूरे देश के लिए चिंता का विषय बन गया था.वहीं दूसरी ओर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली की एक टीम ने इस पर रिसर्च की.और यह रिसर्च अब सामने आ चुकी है. इस रिसर्च में डॉक्टरों का कहना है कि 154 बच्चों की मौत का जिम्मेदार ठीक तरह से उपचार ना मिलना और अस्पताल में बेहतर सुविधाएं ना होना था.


Body:आपको बता दें कि रिपोर्ट में यह कहा गया है कि एईएस के लक्षण परिजनों को रात में मालूम चले थे. लेकिन वह सुबह अस्पताल लेकर गए जिसके चलते यह बीमारी उनके शरीर में पूरी तरीके से फैल गई और वह मौत में तब्दील हुई. उन्होंने अपने रिसर्च में यह भी पाया कि जो बच्चे मौत के शिकार हुए वह कुपोषण के शिकार थे. ऐसे में राज्य के लिए यह बेहद चिंता का विषय है कि अभी लोग कुपोषण के शिकार हो रहे हैं और ठीक तरह से खाना न मिल पाने की वजह से ऐसी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं.

अस्पताल प्रशासन पर भी उठाए सवाल
आपको बता दें कि इस रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि अस्पताल में इक्विपमेंट सहित अन्य स्वास्थ्य सुविधा देने में सक्षम नहीं था. उसके बावजूद मरीजों को वहां पर भर्ती कराया गया. उन्होंने रिसर्च में यह भी पाया है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल के इमरजेंसी रूम में रोजाना 500 से ज्यादा मरीजों को देखा जाता है. और वहां इतने मरीजो के लायक न तो उपकरण हैं और न ही डॉक्टर.इसलिए अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते भी बच्चों और उनके परिजनों को इस दुख की घड़ी का सामना करना पड़ा.


Conclusion:फिलहाल इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आगामी दिनों में इस तरीके की स्थिति ना बने इसलिए राज्य सरकार और प्रशासन स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर चिंतित हो और उचित कदम उठाएं.
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