बक्सर: बिहार में नीतीश कुमार सुशासन बाबू कहे जाते हैं. सुशासन का मतलब अच्छा शासन. लेकिन, बिहार में तेजी से बढ़ते अपराध के बीच नीतीश सरकार के सुशासन की पोल खुलती नजर आ रही है. बढ़ते अपराध पर सरकार को आइना दिखाने के लिए ईटीवी भारत की टीम आम लोगों से बात कर रही है. आइए जानते हैं प्रदेश की जनता लॉ एंड ऑर्डर पर क्या बोलती है.
बिहार का बक्सर जिला डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय का गृह जनपद हैं. बावजूद इसके यहां अपराध चरम सीमा पर है. फाइनेंस कर्मी की गोली मारने की बात हो या गार्ड की गोली मारकर हत्या की. यहां लॉ एंड ऑर्डर चरमराया हुआ है. वहीं नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म की वारदात की घटना ने सभी को खौफजदा कर रखा है. इन सब के बीच यहां अपराधी डाक द्वारा खत लिखकर रंगदारी की भी मांग करते नजर आते हैं. इस बाबत ईटीवी भारत की टीम ने जब आम लोगों से बात की तो उन्होंने सरकार और प्रशासन पर जमकर आक्रोश बयां किया.
'कैसा सुशासन'
व्यवहार न्यायालय की अधिवक्ता माधुरी कुवंर का कहना है कि सुशासन बाबू के राज में क्राइम बढ़ गया है. यहां सुशासन केवल नाम का है. आए दिन क्राइम की बड़ी-बड़ी वारदातें सामने आती हैं. यहां डर बढ़ गया है. उन्होंने कहा कि जिस राज में बच्चियों को कुचला जा रहा है. वहां सुशासन कैसे हो सकता है.
'सिर्फ घूमने आते हैं डीजीपी'
बढ़े हुए अपराध पर एक स्थानीय ने कहा, 'हां, बक्सर डीजीपी का गृह जिला है. लेकिन वो यहां सिर्फ घूमने आते हैं. किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं करते. आए दिन अपराध हो रहा है. अपराधी गोलियां बरसा रहे हैं. मासूम बच्चियों को छेड़ा जा रहा है. लोग डरे हुए हैं.'
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क्यों न लगे डर- पूर्व प्राचार्य
अपराध पर पूर्व प्राचार्य का हिंगमणी देवी ने कहा कि डर क्यों न लगे. डर लगता है. अपराध बढ़ा हुआ है. हर किसी के मन में दहशत है. उन्होंने कहा महिला सशक्तिकरण की बात होती है. लेकिन वो लागू नहीं होती बिहार में.
क्राइम की राजधानी है बक्सर...
बक्सर के स्थानीय निवासी ने बक्सर को क्राइम की राजधानी बता दिया. उन्होंने कहा कि यहां क्राइम तेजी से बढ़ रहा है. मानो ऐसा लग रहा है कि यहां अपराधी क्राइम कर आराम से घूम रहे हैं.
'न्याय में देरी ही क्राइम को बढ़ावा'
नगर परिषद की पूर्व चेयरमैन मीना सिंह ने कहा कि न्याय मिलती है लेकिन देर से. इससे जो कुकर्मी हैं, वो अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हैं. तारीख पर तारीख के चलते खौफ खत्म हो जाता है. यही कारण है कि देरी की वजह से केस ठंडे बस्ते में चला जाता है.
बिहार पुलिस का क्राइम रिकॉर्ड
अब अगर बिहार पुलिस के जुलाई तक के क्राइम रिकॉर्ड पर गौर करें तो जुलाई 2019 तक 893 दुष्कर्म की घटना दर्ज की गई है. वहीं 1,853 हत्या के मुकदमे लिखे जा चुके हैं. ऐसे में सवाल जस के तस हैं कि आखिर कब सुरक्षित होंगी बिहार में बेटियां. आखिर कब अपराध मुक्त बनेगा बिहार क्योंकि इतनी घटनाओं के बाद भी अब तक पुलिस प्रशासन की अंतरात्मा नहीं जागी है. तो दूसरी तरफ लोग पूछ रहे हैं कि कहां हैं सुशासन बाबू?