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ये हैं अश्विनी चौबे के संसदीय क्षेत्र का हाल, सुबह से शाम तक मरीज करते हैं इंतजार, लेकिन डॉक्टर आते ही नहीं

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Published : Apr 8, 2021, 8:17 AM IST

Updated : Apr 8, 2021, 9:50 AM IST

केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र के पीएचसी में डॉक्टरों का हाल क्या है, इसकी एक झलक तब देखने को मिली जब खुद सिविल सर्जन अस्पताल पहुंचे. इस दौरान सुबह से शाम तक मरीज डॉक्टर साहब का इंतजार करते रहे लेकिन डॉक्टर साहब नदारद रहे.

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सिमरी पीएचसी

बक्सर: केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र के सिमरी पीएचसी पर उस समय अजीबो-गरीब स्थिति उतपन्न हो गई, जब मरीजों की शिकायत पर सिविल सर्जन एवं डीपीएम पीएचसी पहुंच गए. इस दौरान दोनों ही अधिकारियों को डॉक्टर साहब का घंटों तक इंतजार करना पड़ा लेकिन डॉक्टर साहब मौके से नदारद रहे.

दरअसल, जिला के डुमरांव अनुमंडल के अंतर्गत सिमरी पीएचसी से बिना किसी सूचना के स्वास्थ्यकर्मियों के गायब रहने की शिकायत लगातार विभाग को मिल रही थी. इसी शिकायत पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की जांच करने सिविल सर्जन और डीपीएम पहुंचे थे. लेकिन मौके पर जो स्थिति देखी, उसे देखकर वो भी हैरान रह गए. एक ओर सिमरी पीएचसी में मरीज सुबह से लेकर शाम तक डॉक्टर साइब का इंतजार करते रहे तो वहीं डॉक्टर साबह पूरे दिन अस्पताल से गायब रहे. ऐसे में मरीजों को बिना इलाज कराए ही लौटना पड़ा.

इसे भी पढ़ें: लापरवाही की हद! 2 माह की गर्भवती महिला की डॉक्टरों ने कर दी नसबंदी

जांच करने पहुंचे सिविल सर्जन भी रह गए हैरान
मरीजों द्वारा पिछले कई दिनों से बार-बार शिकायत करने के बाद, पीएचसी पर जांच करने पहुंचे सिविल सर्जन जितेंद्र नाथ एवं डीपीएम संतोष कुमार भी स्थिति को देखकर हैरान रह गए. इस दौरान एक ओर जहां मरीजों की लंबी कतार लगी हुई थी, वहीं डॉक्टर साहब ही नहीं कई अन्य स्वास्थ्य कर्मी भी अस्पताल से गायब मिले. आलम ये रहा कि सिविल सर्जन द्वारा फोन करने के कई घंटों के बाद भी डॉक्टर साहब अस्पताल नहीं पहुंचे. जिनसे मिलने के इंतजार में सिविल सर्जन घंटो बैठे रहे.

वीडियो भी देखें

अस्पताल के बदहाल व्यवस्था को लेकर जब हमारे संवाददाता ने सिविल सर्जन से पूछा तो उन्होंने कहा कि डॉक्टर को बुलाकर अस्पताल नहीं आने का कारण पूछा जाएगा. साथ ही पीएचसी प्रभारी के खिलाफ विभाग के प्रधान सचिव को कार्रवाई करने के लिए पत्र भी लिखा जाएगा.

क्या कहते हैं मरीज
इस स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचे कुछ मरीजों से हमारे ईटीवी के रिपोर्टर ने बात की. इलाज कराने पहुंचे, प्रकाश कुमार बताते हैं कि सुबह 10:00 बजे से इंतजार करते-करते 11:30 बजे तक कोई चिकित्सक नहीं आए. अन्य कर्मचारियों से पूछने पर यही कहा जाता है कि हम नहीं जानते कि डॉक्टर साहब कब आएंगे, अस्पताल के अंदर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जो शिकायत दर्ज कराने के लिए फोन नम्बर लिखा गया है, वह भी सेवा में नहीं है. वहीं, बड़का गांव से इलाज कराने पहुंची मंजू मिश्रा बताती हैं कि ना तो यहां पर कोई दवा उपलब्ध है और ना ही सुई . सुबह से ही इंतजार करते-करते शाम हो गया लेकिन, अब तक डॉक्टर साहब नहीं आए हैं. बिना इलाज कराये ही मरीज अपने अपने घर जा रहे हैं.

इसे भी पढ़ें: NHM में बड़ा फर्जीवाड़ा: 14 महीने में 8 बार बुजुर्ग महिला का प्रसव, FIR दर्ज

एक ही जगह पर 10 वर्षों से जमे हैं स्वास्थ्यकर्मी
अस्पतालों में डॉक्टरों की मनमर्जी का एक बड़ा कारण है कि कई सालों से उनका तबादला नहीं हुआ है. जिला के स्वास्थ्य कर्मियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है. जिसके कारण इन स्वास्थ्य कर्मियों का तबादला करने से पहले ही, तबादला करने वाले अधिकारियों का ही तबादला कर दिया जाता है. इसी का परिणाम है कि जिले के सबसे बड़े सदर अस्पताल में 15 सालों से कई चिकित्सक अपने पदों पर जमे हुए हैं.

वहीं 10 वर्षों से सिविल सर्जन कार्यालय से लेकर अस्पताल के अन्य विभागों में कई स्वास्थ्य कर्मी अपनी मनमर्जी के अनुसार ड्यूटी करते हैं. लेकिन वाबजूद इसके किसी अधिकारी की हिम्मत नहीं होती कि इनपर कार्रवाई कर सके. हाल ही में बड़े अधिकारियों के द्वारा 8 स्वास्थ्य कर्मियों का तबादला किया गया था लेकिन, राजनीतिक दबाव में 5 दिनों के अंदर सभी को वापस बुला लिया गया.

गौरतलब है कि केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र के सरकारी स्वास्थ्य कर्मियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होने के कारण, उनके मनमानी के आगे स्वास्थ विभाग के वरीय अधिकारियों को भी नतमस्तक होना पड़ता है. यही कारण है कि डॉक्टर से मिलने के लिए सिविल सर्जन को भी घंटों इंतजार करना पड़ता है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ऐसे स्वास्थ्य कर्मी मरीजों के साथ क्या व्यवहार करते होंगे.

बक्सर: केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र के सिमरी पीएचसी पर उस समय अजीबो-गरीब स्थिति उतपन्न हो गई, जब मरीजों की शिकायत पर सिविल सर्जन एवं डीपीएम पीएचसी पहुंच गए. इस दौरान दोनों ही अधिकारियों को डॉक्टर साहब का घंटों तक इंतजार करना पड़ा लेकिन डॉक्टर साहब मौके से नदारद रहे.

दरअसल, जिला के डुमरांव अनुमंडल के अंतर्गत सिमरी पीएचसी से बिना किसी सूचना के स्वास्थ्यकर्मियों के गायब रहने की शिकायत लगातार विभाग को मिल रही थी. इसी शिकायत पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की जांच करने सिविल सर्जन और डीपीएम पहुंचे थे. लेकिन मौके पर जो स्थिति देखी, उसे देखकर वो भी हैरान रह गए. एक ओर सिमरी पीएचसी में मरीज सुबह से लेकर शाम तक डॉक्टर साइब का इंतजार करते रहे तो वहीं डॉक्टर साबह पूरे दिन अस्पताल से गायब रहे. ऐसे में मरीजों को बिना इलाज कराए ही लौटना पड़ा.

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जांच करने पहुंचे सिविल सर्जन भी रह गए हैरान
मरीजों द्वारा पिछले कई दिनों से बार-बार शिकायत करने के बाद, पीएचसी पर जांच करने पहुंचे सिविल सर्जन जितेंद्र नाथ एवं डीपीएम संतोष कुमार भी स्थिति को देखकर हैरान रह गए. इस दौरान एक ओर जहां मरीजों की लंबी कतार लगी हुई थी, वहीं डॉक्टर साहब ही नहीं कई अन्य स्वास्थ्य कर्मी भी अस्पताल से गायब मिले. आलम ये रहा कि सिविल सर्जन द्वारा फोन करने के कई घंटों के बाद भी डॉक्टर साहब अस्पताल नहीं पहुंचे. जिनसे मिलने के इंतजार में सिविल सर्जन घंटो बैठे रहे.

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अस्पताल के बदहाल व्यवस्था को लेकर जब हमारे संवाददाता ने सिविल सर्जन से पूछा तो उन्होंने कहा कि डॉक्टर को बुलाकर अस्पताल नहीं आने का कारण पूछा जाएगा. साथ ही पीएचसी प्रभारी के खिलाफ विभाग के प्रधान सचिव को कार्रवाई करने के लिए पत्र भी लिखा जाएगा.

क्या कहते हैं मरीज
इस स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचे कुछ मरीजों से हमारे ईटीवी के रिपोर्टर ने बात की. इलाज कराने पहुंचे, प्रकाश कुमार बताते हैं कि सुबह 10:00 बजे से इंतजार करते-करते 11:30 बजे तक कोई चिकित्सक नहीं आए. अन्य कर्मचारियों से पूछने पर यही कहा जाता है कि हम नहीं जानते कि डॉक्टर साहब कब आएंगे, अस्पताल के अंदर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जो शिकायत दर्ज कराने के लिए फोन नम्बर लिखा गया है, वह भी सेवा में नहीं है. वहीं, बड़का गांव से इलाज कराने पहुंची मंजू मिश्रा बताती हैं कि ना तो यहां पर कोई दवा उपलब्ध है और ना ही सुई . सुबह से ही इंतजार करते-करते शाम हो गया लेकिन, अब तक डॉक्टर साहब नहीं आए हैं. बिना इलाज कराये ही मरीज अपने अपने घर जा रहे हैं.

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एक ही जगह पर 10 वर्षों से जमे हैं स्वास्थ्यकर्मी
अस्पतालों में डॉक्टरों की मनमर्जी का एक बड़ा कारण है कि कई सालों से उनका तबादला नहीं हुआ है. जिला के स्वास्थ्य कर्मियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है. जिसके कारण इन स्वास्थ्य कर्मियों का तबादला करने से पहले ही, तबादला करने वाले अधिकारियों का ही तबादला कर दिया जाता है. इसी का परिणाम है कि जिले के सबसे बड़े सदर अस्पताल में 15 सालों से कई चिकित्सक अपने पदों पर जमे हुए हैं.

वहीं 10 वर्षों से सिविल सर्जन कार्यालय से लेकर अस्पताल के अन्य विभागों में कई स्वास्थ्य कर्मी अपनी मनमर्जी के अनुसार ड्यूटी करते हैं. लेकिन वाबजूद इसके किसी अधिकारी की हिम्मत नहीं होती कि इनपर कार्रवाई कर सके. हाल ही में बड़े अधिकारियों के द्वारा 8 स्वास्थ्य कर्मियों का तबादला किया गया था लेकिन, राजनीतिक दबाव में 5 दिनों के अंदर सभी को वापस बुला लिया गया.

गौरतलब है कि केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र के सरकारी स्वास्थ्य कर्मियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होने के कारण, उनके मनमानी के आगे स्वास्थ विभाग के वरीय अधिकारियों को भी नतमस्तक होना पड़ता है. यही कारण है कि डॉक्टर से मिलने के लिए सिविल सर्जन को भी घंटों इंतजार करना पड़ता है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ऐसे स्वास्थ्य कर्मी मरीजों के साथ क्या व्यवहार करते होंगे.

Last Updated : Apr 8, 2021, 9:50 AM IST
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