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बक्सरः टिड्डियों से बर्बाद हो रहे धान के बिचड़े, सुध लेने नहीं पहुंच रहे अधिकारी

किसान ने बताया कि स्थानीय टिड्डियों के प्रकोप से बिचड़ा को बचाने के लिए प्रति दिन दवा का छिड़काव किया जा रहा है. इसके बाद भी ये कीट नहीं भाग रहे हैं. अधिकारियों के पास शिकायत लेकर जाने पर वे ठीक से बात नहीं करते हैं.

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Published : Jun 15, 2020, 2:59 PM IST

बक्सरः जिला के किसान टिड्डियों से काफी परेशान हैं. मई महीने के रोहिणी नक्षत्र में धान का बिचड़ा डालकर किसान रोपनी की तैयारी कर रहे थे. तभी स्थानीय टिड्डे ने उनके बिचड़े को बर्बाद कर दिया. जिससे उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. किसानों का आरोप है कि सूचना देने के बावजूद अधिकारी सुध लेने नहीं पहुंच रहे हैं.

टिड्डियों का प्रकोप
धान का कटोरा के नाम से विख्यात जिले में 1 लाख से अधिक रजिस्टर्ड किसान हैं. जो कुल 90 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती करते हैं. किसान मानसून आने के पहले धान का बिचड़ा तैयार कर लेते हैं. लेकिन इस बार विभागीय अधिकारियों ने किसानों को न तो समय से धान का बीज उपलब्ध कराया और न ही टिड्डियों के प्रकोप से बिचड़े को बचाने में सहयोग कर रहे हैं.

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खेत

किया जा रहा दवा का छिड़काव
किसान लाल बिहारी गोंड ने बताया कि स्थानीय टिड्डियों के प्रकोप से बिचड़ा को बचाने के लिए प्रति दिन दवा का छिड़काव किया जा रहा है. इसके बाद भी ये नहीं भाग रहे हैं. उन्होंने बताया कि अधिकारियों के पास शिकायत लेकर जाने पर वे ठीक से बात नहीं करते हैं. साथ ही उनका कहना है कि सरकार चुनाव की तैयारी कर रही है. ऐसे में हम सरकार का काम देखें या आपके खेतों से टिड्डियों को भगाएं?

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किसान लाल बिहारी गोंड

अमेरिकन कीट फॉल आर्मीवॉर्म
आत्मा के परियोजना निदेशक देवनंदन राम ने किसानों की इस समस्या को लेकर कहा कि हमें इसकी जानकारी मिली है. हम लोग व्हाट्सएप के माध्यम से किसानों को दावा का छिड़काव करने की प्रकिया बता रहे हैं. उन्होंने बताया कि गंगा दियारा के इलाके में अमेरिकन कीट फॉल आर्मीवॉर्म ने मक्के की फसल को जो नुकसान पहुंचाया है, उसकी हमारी टीम जांच कर रही है.

देखें रिपोर्ट

बारिश के मौसम में होती है वृद्धि
इस समस्या को लेकर वीर कुंवर सिंह कृषि विश्वविद्यालय डुमराव के वैज्ञानिक चंद्रशेखर कुमार ने बताया कि बाहरी टिड्डियों का दल अभी तक बिहार नहीं पहुंचा है. यह स्थानीय टिड्डियां हैं जिसको भोजपुरी में सुग्गा भी बोला जाता है. उन्होंने कहा कि इन टिड्डियों ने ही किसानों की फसल को क्षति पहुंचाया है. ऐसे कीटों की बारिश के मौसम में काफी तेजी से वृद्धि होती है. इसे लेकर आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है.

बक्सरः जिला के किसान टिड्डियों से काफी परेशान हैं. मई महीने के रोहिणी नक्षत्र में धान का बिचड़ा डालकर किसान रोपनी की तैयारी कर रहे थे. तभी स्थानीय टिड्डे ने उनके बिचड़े को बर्बाद कर दिया. जिससे उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. किसानों का आरोप है कि सूचना देने के बावजूद अधिकारी सुध लेने नहीं पहुंच रहे हैं.

टिड्डियों का प्रकोप
धान का कटोरा के नाम से विख्यात जिले में 1 लाख से अधिक रजिस्टर्ड किसान हैं. जो कुल 90 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती करते हैं. किसान मानसून आने के पहले धान का बिचड़ा तैयार कर लेते हैं. लेकिन इस बार विभागीय अधिकारियों ने किसानों को न तो समय से धान का बीज उपलब्ध कराया और न ही टिड्डियों के प्रकोप से बिचड़े को बचाने में सहयोग कर रहे हैं.

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खेत

किया जा रहा दवा का छिड़काव
किसान लाल बिहारी गोंड ने बताया कि स्थानीय टिड्डियों के प्रकोप से बिचड़ा को बचाने के लिए प्रति दिन दवा का छिड़काव किया जा रहा है. इसके बाद भी ये नहीं भाग रहे हैं. उन्होंने बताया कि अधिकारियों के पास शिकायत लेकर जाने पर वे ठीक से बात नहीं करते हैं. साथ ही उनका कहना है कि सरकार चुनाव की तैयारी कर रही है. ऐसे में हम सरकार का काम देखें या आपके खेतों से टिड्डियों को भगाएं?

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किसान लाल बिहारी गोंड

अमेरिकन कीट फॉल आर्मीवॉर्म
आत्मा के परियोजना निदेशक देवनंदन राम ने किसानों की इस समस्या को लेकर कहा कि हमें इसकी जानकारी मिली है. हम लोग व्हाट्सएप के माध्यम से किसानों को दावा का छिड़काव करने की प्रकिया बता रहे हैं. उन्होंने बताया कि गंगा दियारा के इलाके में अमेरिकन कीट फॉल आर्मीवॉर्म ने मक्के की फसल को जो नुकसान पहुंचाया है, उसकी हमारी टीम जांच कर रही है.

देखें रिपोर्ट

बारिश के मौसम में होती है वृद्धि
इस समस्या को लेकर वीर कुंवर सिंह कृषि विश्वविद्यालय डुमराव के वैज्ञानिक चंद्रशेखर कुमार ने बताया कि बाहरी टिड्डियों का दल अभी तक बिहार नहीं पहुंचा है. यह स्थानीय टिड्डियां हैं जिसको भोजपुरी में सुग्गा भी बोला जाता है. उन्होंने कहा कि इन टिड्डियों ने ही किसानों की फसल को क्षति पहुंचाया है. ऐसे कीटों की बारिश के मौसम में काफी तेजी से वृद्धि होती है. इसे लेकर आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है.

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