बक्सर: भारत सरकार और बिहार सरकार के घोषणा किए जाने के बावजूद अब तक जिले के किसी भी प्रखंड में सरकारी संस्थाओं के द्वारा धान की खरीदारी नहीं की जा रही है. अधिकारियों का यह दावा है कि 23 नवंबर से ही जिले में धान की खरीदारी शुरू कर दी गई है. लेकिन किसानों का कहना है कि अब तक सरकारी संस्थाओं ने धान की खरीदारी शुरू नहीं की है. जिसके कारण स्थानीय व्यपारियो के द्वारा बाजारो में किसानों के धान की कीमत, 1000 से लेकर 1200 रुपए प्रति क्विंटल लगाया जा रहा है. जो लागत मूल्य से भी कम है.
सरकार ने रेट किया है फिक्स
बिहार सरकार के द्वारा यह घोषणा किया गया है कि साधारण धान 1868₹ प्रति क्विंटल, जबकि ए ग्रेड का धान 1888 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदारी की जाएगी. उसके बावजूद भी अब तक जिला में किसी भी सरकारी संस्थाओं के द्वारा धान की खरीदारी शुरू नहीं की गई है. जिसके कारण किसान रबी फसल की बुवाई भी नहीं कर पा रहे हैं. किसानों को यह उम्मीद थी कि, समय से धान की बिक्री हो जाएगी तो, उससे मिलने वाले पैसों से वह रबी फसल की बुवाई करेंगे. 25 दिसंबर तक रबी फसल की बुवाई की अंतिम तिथि मानी जाती है. लेकिन अब तक जिले में मात्र 25% ही रबी फसल की बुआई हो पाई है. जबकि अधिकारियो का दावा 35% है.
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आंदोलन की तैयारी में किसान
देश के कई हिस्सों में किसानों का आंदोलन जारी है. बक्सर में भी फसल बिक्री नहीं होने से परेशान किसान, जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने में लगे हुए हैं. किसानों ने बताया कि वह अपने द्वारा उत्पादित किए गए सभी धान की फसल को, शहर के अलग-अलग इलाकों एवं सरकारी कार्यालयों में ले जाकर जाम कर देंगे.
विधायक ने दी 10 दिसम्बर तक की मोहलत
वहीं राजपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक विश्वनाथ राम ने जिला प्रशासन एवं सरकार को आगाह करते हुए कहा कि, यदि 10 दिसंबर तक किसानों के धान की खरीदारी को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो, जिला अधिकारी के कार्यालय से लेकर तमाम सरकारी कार्यालयों में किसानों के द्वारा ताला बंद किया जाएगा. बक्सर एवं डुमराव नगर परिषद क्षेत्र में किसान ट्रैक्टरों पर लादकर अपना धान सड़कों पर एवं सरकारी कार्यालयों में रख देंगे.
'फसल हमारा राज तुम्हारा की नीति अब नहीं चलेगी'
गौरतलब है कि जिला में अब तक अधिकांश किसान रबी फसल की बुवाई नहीं कर पाए है. जैसे जैसे समय बीतते जा रहा है. किसानों के सब्र का बांध भी टूटने लगा है. किसानों ने यह साफ कर दिया है कि, फसल हमारा राज तुम्हारा की नीति अब नहीं चलेगी. जल्द ही निर्णय प्रशासनिक अधिकारियो ने नही लिया तो अब यहां भी किसान सड़क पर उतरेंगे.