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बक्सर में मिली लाशों के आंकड़ों पर फंसी बिहार सरकार, रात भर जागकर अधिकारी कर रहे हिसाब-किताब - रतजगा करता रहा पूरा महकमा

लाशों की हेराफेरी में बिहार सरकार के अधिकारी फंस चुके हैं. आंकड़ों में हुई हेराफेरी को सुधारने में महकमे के लोग पूरी रात जागकर लाशों के हिसाब-किताब में व्यस्त हैं. पढ़ें पूरी रिपोर्ट.

रिपोर्ट से उड़ी नींद
रिपोर्ट से उड़ी नींद
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Published : May 19, 2021, 1:11 PM IST

Updated : May 19, 2021, 2:14 PM IST

बक्सरः जिले के आसपास के गंगा घाटों से 10 मई को मिले सैकड़ों लाश बिहार सरकार के अधिकारियों के गले का फांस बन गया है. लाशों की हेराफेरी करने वाले अधिकारी अपने ही जाल में फंसते दिखाई दे रहे हैं. दरअसल बक्सर जिला के आसपास गंगा नदी घाट से मिले सैकड़ों लाशों को लेकर पटना उच्च न्यायालय ने संज्ञान लिया. राज्य सरकार के मुख्य सचिव बिना सोचे समझे आनन-फानन में 1 मार्च से 13 मई तक बक्सर जिले में कोरोना संक्रमण से 6 लोगों की मौत होने का रिपोर्ट उच्च न्यायालय में पेश कर दिया. जबकि प्रमंडलीय आयुक्त की रिपोर्ट में यह बताया गया कि 5 मई से 14 मई के बीच केवल बक्सर चरित्रवन स्थित श्मशान घाट पर 789 लाशें जलाई गई हैं.

यह भी पढ़ें- बक्सर के गंगा घाट पर लाशों का अंबार, सवाल- कहां से आयीं इतनी लाशें?

दोबारा रिपोर्ट सबमिट करने का आदेश
दोनों अधिकारियों के रिपोर्ट में विरोधाभास को देख पटना उच्च न्यायालय ने 19 मई को पुनः रिपोर्ट सबमिट करने का आदेश दिया है. जिसके बाद पटना से लेकर बक्सर तक के प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप मच गया है.

लाशों को ले जाते स्वास्थ्यकर्मी
लाशों को ले जाते स्वास्थ्यकर्मी

अधिकारी पूरी रात करते रहे लाशों का हिसाब-किताब
हाईकोर्ट के फटकार के बाद पटना मुख्यालय के वरीय अधिकारियों द्वारा जिला प्रशासन के अधिकारियों को आंकड़ा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया. जिसके बाद सरकारी एवं गैर सरकारी अस्पतालों के अलावा श्मशान घाट पर काम कर रहे कर्मी से लेकर ब्लॉक एवं नगर परिषद में मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने वाले अधिकारी तक पूरी रात जागकर लाशों के हिसाब-किताब करने में व्यस्त रहे. बैठकों का दौर जारी रहा.

जेसीबी से खुदाई
जेसीबी से खुदाई

हटाए गए मौत के आंकड़े
इधर, कोरोना संक्रमण को लेकर प्रत्येक दिन जिला प्रशासन के द्वारा जारी किए जाने वाले स्वास्थ्य बुलेटिन से मौत के आंकड़ों को हटा दिया गया है. इस मामले को लेकर कोई भी अधिकारी बयान देने से परहेज कर रहे हैं. विभागीय सूत्रों की मानें तो जब तक उच्च न्यायालय में रिपोर्ट सबमिट करने के बाद स्थिति सामान्य नहीं हो जाती है. तब तक इस आंकड़ों को जारी नहीं करने का निर्देश दिया गया है.

अधिकारी परेशान
अधिकारी परेशान

10 मई को शव मिलने के बाद
10 मई को जिले के चौसा प्रखंड अंतर्गत महादेवा घाट के आसपास एवं उत्तर प्रदेश के गाजीपुर, गहमर, बारे एवं बलिया जिले से गंगा नदी में उतराती हुई सैकड़ों लाशें मिली. तब बिहार सरकार के मुख्य सचिव से लेकर डीजीपी तक सभी ने उत्तर प्रदेश की लाश होने का दावा कर दिया. जबकि उत्तर प्रदेश प्रशासन के अधिकारी इनकार कर गए. गंगा घाट पर मौजूद चौसा प्रखंड विकास पदाधिकारी अशोक कुमार ने महादेवा घाट पर 50 लाशें और जबकि उत्तर प्रदेश के इलाकों में 400-500 लाशों का होने की बात कही थी.

देखें पूरी रिपोर्ट

देर शाम किया प्रेस कॉन्फ्रेंस
प्रखंड विकास पदाधिकारी के इस बयान के बाद जिलाधिकारी ने देर शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उसी बक्सर के सीमा में 30 के आसपास लाश होने की बात कही थी. लेकिन 24 घंटे के बाद ही 71 लाशों के पोस्टमार्टम करने का दावा कर खुद जिला प्रशासन के अधिकारी संदेह के घेरे में आ गए. पटना उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान ले लिया.

लगा दिया था महाजाल
गंगा नदी में मिली सैकड़ों लाशों को लेकर देशभर में हो रहे किरकिरी को देख जिला प्रशासन के अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश एवं बिहार के बक्सर सीमा पर पड़नेवाले गंगा नदी में महाजाल लगाकर सील कर दिया. 10 मई को इसकी जानकारी देते हुए एसडीएम केके उपाध्याय ने बताया था कि गंगा नदी में लाशें आ रही हैं. लेकिन यह लाशें कहां से आ रही हैं. जांच के बाद ही कहना उचित होगा. महाजाल लगाने के पीछे जिला प्रशासन का एक ही मकसद है कि सभी लाश एक जगह पर ही जमा हो. जहां से उठाकर विधि विधान के साथ उसका अंतिम संस्कार किया जा सके.

शवदाह में हुआ तीन गुणा इजाफा
गंगा नदी में मिले सैकड़ों शव के बाद जिला प्रशासन के अधिकारियों के द्वारा सभी शव उत्तर प्रदेश के बताए जाने के बाद ईटीवी भारत की टीम मिनी काशी के नाम से मशहूर नगर परिषद क्षेत्र के श्मशान घाट पर पहुंची. जहां ड्यूटी में तैनात नगर परिषद के कर्मचारी शशि मिश्रा ने बताया कि सामान्य दिनों की अपेक्षा इस कोरोना काल में शवदाह की संख्या में 3 गुणा इजाफा हुआ है.

ये भी पढ़ें: बक्सर में गंगा नदी किनारे मिल रहे शवों पर पप्पू यादव ने सरकार को घेरा, कहा- 'पूरे मामले की जल्द हो जांच'

ये भी पढ़ें: बक्सर में शवों की दुर्दशा पर कांग्रेस का सरकार पर वार, कहा- 'केंद्र और राज्य में अधर्मी सरकार'

बक्सरः जिले के आसपास के गंगा घाटों से 10 मई को मिले सैकड़ों लाश बिहार सरकार के अधिकारियों के गले का फांस बन गया है. लाशों की हेराफेरी करने वाले अधिकारी अपने ही जाल में फंसते दिखाई दे रहे हैं. दरअसल बक्सर जिला के आसपास गंगा नदी घाट से मिले सैकड़ों लाशों को लेकर पटना उच्च न्यायालय ने संज्ञान लिया. राज्य सरकार के मुख्य सचिव बिना सोचे समझे आनन-फानन में 1 मार्च से 13 मई तक बक्सर जिले में कोरोना संक्रमण से 6 लोगों की मौत होने का रिपोर्ट उच्च न्यायालय में पेश कर दिया. जबकि प्रमंडलीय आयुक्त की रिपोर्ट में यह बताया गया कि 5 मई से 14 मई के बीच केवल बक्सर चरित्रवन स्थित श्मशान घाट पर 789 लाशें जलाई गई हैं.

यह भी पढ़ें- बक्सर के गंगा घाट पर लाशों का अंबार, सवाल- कहां से आयीं इतनी लाशें?

दोबारा रिपोर्ट सबमिट करने का आदेश
दोनों अधिकारियों के रिपोर्ट में विरोधाभास को देख पटना उच्च न्यायालय ने 19 मई को पुनः रिपोर्ट सबमिट करने का आदेश दिया है. जिसके बाद पटना से लेकर बक्सर तक के प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप मच गया है.

लाशों को ले जाते स्वास्थ्यकर्मी
लाशों को ले जाते स्वास्थ्यकर्मी

अधिकारी पूरी रात करते रहे लाशों का हिसाब-किताब
हाईकोर्ट के फटकार के बाद पटना मुख्यालय के वरीय अधिकारियों द्वारा जिला प्रशासन के अधिकारियों को आंकड़ा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया. जिसके बाद सरकारी एवं गैर सरकारी अस्पतालों के अलावा श्मशान घाट पर काम कर रहे कर्मी से लेकर ब्लॉक एवं नगर परिषद में मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने वाले अधिकारी तक पूरी रात जागकर लाशों के हिसाब-किताब करने में व्यस्त रहे. बैठकों का दौर जारी रहा.

जेसीबी से खुदाई
जेसीबी से खुदाई

हटाए गए मौत के आंकड़े
इधर, कोरोना संक्रमण को लेकर प्रत्येक दिन जिला प्रशासन के द्वारा जारी किए जाने वाले स्वास्थ्य बुलेटिन से मौत के आंकड़ों को हटा दिया गया है. इस मामले को लेकर कोई भी अधिकारी बयान देने से परहेज कर रहे हैं. विभागीय सूत्रों की मानें तो जब तक उच्च न्यायालय में रिपोर्ट सबमिट करने के बाद स्थिति सामान्य नहीं हो जाती है. तब तक इस आंकड़ों को जारी नहीं करने का निर्देश दिया गया है.

अधिकारी परेशान
अधिकारी परेशान

10 मई को शव मिलने के बाद
10 मई को जिले के चौसा प्रखंड अंतर्गत महादेवा घाट के आसपास एवं उत्तर प्रदेश के गाजीपुर, गहमर, बारे एवं बलिया जिले से गंगा नदी में उतराती हुई सैकड़ों लाशें मिली. तब बिहार सरकार के मुख्य सचिव से लेकर डीजीपी तक सभी ने उत्तर प्रदेश की लाश होने का दावा कर दिया. जबकि उत्तर प्रदेश प्रशासन के अधिकारी इनकार कर गए. गंगा घाट पर मौजूद चौसा प्रखंड विकास पदाधिकारी अशोक कुमार ने महादेवा घाट पर 50 लाशें और जबकि उत्तर प्रदेश के इलाकों में 400-500 लाशों का होने की बात कही थी.

देखें पूरी रिपोर्ट

देर शाम किया प्रेस कॉन्फ्रेंस
प्रखंड विकास पदाधिकारी के इस बयान के बाद जिलाधिकारी ने देर शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उसी बक्सर के सीमा में 30 के आसपास लाश होने की बात कही थी. लेकिन 24 घंटे के बाद ही 71 लाशों के पोस्टमार्टम करने का दावा कर खुद जिला प्रशासन के अधिकारी संदेह के घेरे में आ गए. पटना उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान ले लिया.

लगा दिया था महाजाल
गंगा नदी में मिली सैकड़ों लाशों को लेकर देशभर में हो रहे किरकिरी को देख जिला प्रशासन के अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश एवं बिहार के बक्सर सीमा पर पड़नेवाले गंगा नदी में महाजाल लगाकर सील कर दिया. 10 मई को इसकी जानकारी देते हुए एसडीएम केके उपाध्याय ने बताया था कि गंगा नदी में लाशें आ रही हैं. लेकिन यह लाशें कहां से आ रही हैं. जांच के बाद ही कहना उचित होगा. महाजाल लगाने के पीछे जिला प्रशासन का एक ही मकसद है कि सभी लाश एक जगह पर ही जमा हो. जहां से उठाकर विधि विधान के साथ उसका अंतिम संस्कार किया जा सके.

शवदाह में हुआ तीन गुणा इजाफा
गंगा नदी में मिले सैकड़ों शव के बाद जिला प्रशासन के अधिकारियों के द्वारा सभी शव उत्तर प्रदेश के बताए जाने के बाद ईटीवी भारत की टीम मिनी काशी के नाम से मशहूर नगर परिषद क्षेत्र के श्मशान घाट पर पहुंची. जहां ड्यूटी में तैनात नगर परिषद के कर्मचारी शशि मिश्रा ने बताया कि सामान्य दिनों की अपेक्षा इस कोरोना काल में शवदाह की संख्या में 3 गुणा इजाफा हुआ है.

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Last Updated : May 19, 2021, 2:14 PM IST
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