बक्सर: जिले में बने क्वारंटीन सेंटर्स पर प्रशासन की ओर से किए गए इंतजाम पर राजद जिलाध्यक्ष ने सवाल खड़े किए हैं. इनका कहना है कि यहां कैदियों की तरह लोगों के साथ व्यवहार हो रहा है. न वहां पर लोगों को शुद्ध भोजन मिल रहा है, और न ही साफ-सफाई की व्यवस्था है. लोग वहां परेशान हैं और सरकार सोयी हुई है.
आपको बता दें कि 364 प्रखंड स्तरीय क्वारंटीनसह-आपदा राहत केंद्र पर 20 हजार 602 प्रवासियों को रखा गया है. अब भी इन सेंटर्स पर प्रवासियों का आना बदस्तूर जारी है.
व्यवस्था पर राजद जिलाध्यक्ष ने उठाए सवाल
जिला प्रशासन की ओर से प्रवासी मजदूरों को क्वारंटीन सेंटर्स पर दी जा रही सुविधा पर राजद जिलाध्यक्ष ने सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि क्वारंटीन सेंटर्स पर प्रवासियों को कैदी की तरह रखा जा रहा है. उनका कहना है कि प्रवासी को ताला में बंद कर सारे पुलिस कर्मी और प्रशासन के लोग वहां से चले जाते हैं. वहां पर लोगों को न तो शुद्ध खाना मिल रहा है, और न ही साफ-सफाई की व्यवस्था है. केन्द्र और राज्य सरकार प्रवासियों के साथ क्रूर मजाक कर रही है. लोग हंगामा कर रहे हैं. लेकिन, सीएम नीतीश कुमार ने चैन की बंसी बजाते हुए खुद को ही क्वारंटीन कर लिया है.
सहानुभूति बटोरने में जुटी सियासी पार्टियां
आपको बता दें कि लॉकडाउन के कारण दूसरे प्रदेशों में फंसे प्रवासी मजदूरों के आने का सिलसिला लगातार जारी है. जिला प्रशासन ने इन प्रवासियों के लिए प्रखंड स्तर से लेकर पंचायत स्तर पर कुल 364 क्वारंटीनन सेंटर-सह-आपदा राहत केंद्र बनाया है. जहां 20 हजार 602 प्रवासियों को क्वारंटीन किया गया है. इनमेंं 721 महिलाएं और 814 बच्चे भी शामिल हैं.
वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए प्रवासी मजदूरों की सहानुभूति बटोरने के लिए पक्ष और विपक्ष के बीच सियासी जंग जारी है. जिसकी वजह से आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. देखने वाली बातो होगी कि पक्ष-विपक्ष के बीच चल रहे इस शह-मात के खेल में किसको जीत और किसको हार का सामना करना पड़ता है.