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'अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को कानूनी सुरक्षा प्रदान कराना विधिक जागरुकता अभियान का लक्ष्य'

महात्मा गांधी के जन्म दिवस 2 अक्टूबर से पूरे देश में विधिक जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है. इसका उद्देश्य लोगों तक कानूनी सहायता पहुंंचाना और उनके अधिकारों से उन्हें अवगत कराना है. इस बारे में ईटीवी भारत ने सह जिला विधिक प्राधिकार के सचिव सह अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र तिवारी से खास बातचीत की.

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Published : Nov 14, 2021, 7:33 AM IST

बक्सर: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) के आदेश पर पूरे देश में महात्मा गांधी के जन्म दिवस (Gandhi Jayanti) 2 अक्टूबर से पूरे देश में विधिक जागरुकता अभियान (Legal Awareness Campaign) चलाया जा रहा है. बक्सर में इसके तहत लगातार कार्यक्रम चलाए जा रहें हैं. इस बाबत ईटीवी भारत ने सह जिला विधिक प्राधिकार के सचिव सह अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र तिवारी (Dharmendra Tiwari) से खास बातचीत की. प्रस्तुत है बातचीत के मुख्य अंश-

ये भी पढ़ें: सफेदपोश ही बिहार में करा रहे हैं शराब की तस्करी- अजीत कुमार सिंह

ईटीवी भारत: जिला विधिक प्राधिकार द्वारा कौन-कौन से और किस तरह के कार्यक्रम अभी चलाये जा रहें हैं ?

जिला विधिक प्राधिकार के सचिव- आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, उसी के परिप्रेक्ष्य में नालसा द्वारा निश्चित किया गया कि जब सरकार आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है, न्यायपालिका भी उसमें कंट्रीब्यूट करेगी. उस कंट्रीब्यूशन में यह तय किया गया कि 2 अक्टूबर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की जयंती से लेकर पंडित जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) की जयंती 14 नवम्बर तक पूरे देश में जागरुकता का कार्यक्रम करेंगे.

उसी के राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकार पैन इंडिया अवेयरनेस कार्यक्रम चला रहा है. उसमें त्रिस्तरीय कार्यक्रम है. हमारे पैनल के अधिवक्ता जगह-जगह जाकर जागरुकता कार्यक्रम कर रहें हैं. दूसरा, डोर टू डोर हमारी टीम जा रही है जिसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और आशा कार्यकर्ता हैं. इसका नेतृत्व पीएलबी कर रहें हैं. ये टीम हर दरवाजे पर तीन बार जाएगी और लोगों को जागरूक करने का काम करेगी. तीसरा, इस दौरान हमलोग दो मोबाइल वैन भी चला रहे हैं जो लोगों को जागरूक करने के लिए प्रत्येक घर तक जा रही है.

देखें वीडियो

ईटीवी भारत: -आज के समय यह अभियान लोगों के लिए कितना आवश्यक और प्रासंगिक है ?

जिला विधिक प्राधिकार के सचिव- सरकार बहुत सारे कानून बनाती है लेकिन कानूनों की प्रासंगिकता तभी है जब लोगों को उनके विषय में जानकारी हो. इसीलिए यह महसूस किया गया कि लोगों को इसकी जानकारी भी हो कि क्या-क्या कल्याणकारी योजनाएं हैं. इसके लिए बहुत जरूरी है कि लोगों को अवेयर किया जाए. आपके कानूनी अधिकार क्या हैं? वृद्धों, महिलाओं और बच्चों के कानूनी अधिकार क्या हैं? समाज का सबसे कमजोर वर्ग जो अंतिम पायदान पर है, उनके क्या कानूनी अधिकार हैं? ऐसे लोगों के साथ विधिक सेवा प्राधिकार खड़ा होना चाहता है. सेक्शन 12 है जो राष्ट्रीय विधिक प्राधिकार द्वारा 1987 में बनाया गया. उसके तहत निःशुल्क कानूनी सहायता देना चाहते हैं. इस तरह से जो कोई गिरफ्तार होता है, उसे गिरफ्तारी के नियम नहीं पता होतें हैं. जमानत की जानकारी नहीं होती है. ऐसे लोगो को निःशुल्क सहायता दी जाएगी.

ईटीवी भारत: आपने जैसा बताया कि लोगों गिरफ्तारी के नियमों की जानकारी नहीं होती है, जमानत कैसे करानी है, इसकी जानकारी नहीं होती है. इसमें क्या प्राधिकार सहायक होगा?

जिला विधिक प्राधिकार के सचिव: बिल्कुल सहायक होगा. जिला विधिक सेवा प्राधिकार ऐसे लोगों के लिए जो गिरफ्तार होते हैं, उनके लिए निःशुल्क अधिवक्ता उपलब्ध कराता है. इसके लिए कोई फीस नहीं देनी है. हमारा अधिवक्ता उनके साथ रहेगा और ऐसा नहीं कि अधिवक्ता निशुल्क देने के तात्पर्य में कमजोर होगा. बहुत योग्य, कर्मठ अधिवक्ता देता हूं. हमारा जो पैनल है, उनको एकदम मुफ्त में पूरी ताकत के साथ उनका सहयोग करेगा. गिरफ्तार या गिरफ्तारी के पहले ही उसको जरूरत है. उसको लगता है कि मेरी गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए, मेरे खिलाफ केस हो गया है. वो आएगा तो उसको कानूनी सहायता उपलब्ध कराएंगे. इसके लिए हम कार्यक्रम चला रहें हैं.

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ईटीवी भारत: ऐसे में क्या माना जा सकता है कि कोर्ट में जो पेंडिंग केसों की संख्या बढ़ती जा रही है, उनमें कमी आएगी? विधिक सेवा प्राधिकार के प्रयास से कमी आएगी ?

जिला विधिक प्राधिकार के सचिव: हां, इसके लिए अलग से भी काम करते हैं. हम वाद और विवाद दोनों को निपटाते हैं. वाद वह है जिसमें केस हो गया है और विवाद वह है जिसमें अभी केस नहीं हुआ है, यदि नहीं निपटाया गया तो केस होगा. इससे कोर्ट में भी केसों की संख्या बढ़ती है. उन दोनों पक्षों की भी परेशानी बढ़ती है. जिसके लिए केस हो गया है, ऐसे मामलों को हम लोग लोक अदालतों के माध्यम से मध्यस्थता कर सुलह करा निपटाने का प्रयास कर रहे हैं. इससे न्यायालय का भी बोझ कम होगा. दूसरे बहुत सारे मामले ऐसे हैं समाज में जिनमें अभी केस तो नहीं हुआ है लेकिन अगर उसका निपटान नहीं किया गया तो एक और मुकदमा लेकर यह आएगा. न्यायपालिका पर बोझ बनेगा. खर्च बढ़ेगा, परेशानी बढ़ेगी. इसके लिए अगर वह आवेदन देता है तो दूसरे पक्ष को बुलाकर मामले का निपटारा किया जा रहा है.

ईटीवी भारत: यह अभियान कब तक चलना है ?

जिला विधिक प्राधिकार के सचिव: अभी तो ये लिखित रूप से 14 नवंबर तक चलना है किंतु यह लगातार जारी रहेगा. जिला विधिक सेवा प्राधिकार का काम बंद नहीं होगा. प्राधिकार के सचिव धर्मेंद्र तिवारी ने मीडिया से अपील करते हुए कहा कि इसकी सफलता के लिए मीडिया का सहयोग भी बेहद आवश्यक है. इसलिए मीडिया को भी इसमें आगे आकर इसके फायदों को जन-जन तक पहुंचाना चाहिए. मीडिया के लोगों से अपील है कि हमारे साथ आएं, हमारी बातों को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य करें. आप लोकतंत्र के चौथे स्तंभ हैं. आपके सहयोग के बिना यह संभव नहीं है कि हम लोगों को जागृत कर सकें. यह कार्यक्रम आगे भी चलता रहेगा.

ईटीवी भारत: इस अभियान के तहत आज क्या किया गया?

जिला विधिक प्राधिकार के सचिव: 13 नवंबर को एक मेगा कैंप का आयोजन किया. इस मेगा कैंप में हम लोगों ने सरकार के विभिन्न विभागों- विभाग, श्रम विभाग, सामाजिक सुरक्षा या जिला बाल संरक्षण इकाई, डाक विभाग, बैंकों के लोगों को तरह-तरह के सभी विभाग के लोगों को बुलाया और उनके अलग-अलग कैंप लगाये. आज के कार्यक्रम का उद्देश्य यह था कि सरकार की जो विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं हैं, उनका लाभ लोगों पहुंचाया जाए. जो अनाथ बच्चे हैं, उनको स्कॉलरशिप योजना का लाभ दिलवाएं. इसी तरह से 6 दिव्यांगजनों को हम लोगों ने आज ट्राई साइकिल दिलवाया है.

28 लोगों को आयुष्मान कार्ड वितरित किया गया. बहुत सारे श्रम कार्ड आज बने. अटल पेंशन योजना (Atal Pension Yojana), सामाजिक सुरक्षा बीमा योजना (Social Security Insurance Scheme) या दुर्घटना बीमा योजना (Accident Insurance Scheme) के अनेक लाभार्थियों को आज हम लोगों ने लाभ दिया. जिला सत्र एवं न्यायाधीश की उपस्थिति में आज चिकित्सा विभाग और श्रम विभाग दोनों के चिकित्सक और अधीक्षक थे. जहां यह तय हुआ है कि जिन 32,000 परिवारों का श्रम कार्ड बना हुआ है, उन लोगों को आयुष्मान कार्ड दिया जाएगा. ऐसे में कहा जा सकता है कि विधिक सेवा प्राधिकार निश्चित रूप से न्याय पाने में लोगों लिए बहुत बड़ा स्तंभ बन सकता है. जरुरत है इसके प्रचार और प्रसार करने की.

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बक्सर: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) के आदेश पर पूरे देश में महात्मा गांधी के जन्म दिवस (Gandhi Jayanti) 2 अक्टूबर से पूरे देश में विधिक जागरुकता अभियान (Legal Awareness Campaign) चलाया जा रहा है. बक्सर में इसके तहत लगातार कार्यक्रम चलाए जा रहें हैं. इस बाबत ईटीवी भारत ने सह जिला विधिक प्राधिकार के सचिव सह अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र तिवारी (Dharmendra Tiwari) से खास बातचीत की. प्रस्तुत है बातचीत के मुख्य अंश-

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ईटीवी भारत: जिला विधिक प्राधिकार द्वारा कौन-कौन से और किस तरह के कार्यक्रम अभी चलाये जा रहें हैं ?

जिला विधिक प्राधिकार के सचिव- आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, उसी के परिप्रेक्ष्य में नालसा द्वारा निश्चित किया गया कि जब सरकार आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है, न्यायपालिका भी उसमें कंट्रीब्यूट करेगी. उस कंट्रीब्यूशन में यह तय किया गया कि 2 अक्टूबर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की जयंती से लेकर पंडित जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) की जयंती 14 नवम्बर तक पूरे देश में जागरुकता का कार्यक्रम करेंगे.

उसी के राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकार पैन इंडिया अवेयरनेस कार्यक्रम चला रहा है. उसमें त्रिस्तरीय कार्यक्रम है. हमारे पैनल के अधिवक्ता जगह-जगह जाकर जागरुकता कार्यक्रम कर रहें हैं. दूसरा, डोर टू डोर हमारी टीम जा रही है जिसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और आशा कार्यकर्ता हैं. इसका नेतृत्व पीएलबी कर रहें हैं. ये टीम हर दरवाजे पर तीन बार जाएगी और लोगों को जागरूक करने का काम करेगी. तीसरा, इस दौरान हमलोग दो मोबाइल वैन भी चला रहे हैं जो लोगों को जागरूक करने के लिए प्रत्येक घर तक जा रही है.

देखें वीडियो

ईटीवी भारत: -आज के समय यह अभियान लोगों के लिए कितना आवश्यक और प्रासंगिक है ?

जिला विधिक प्राधिकार के सचिव- सरकार बहुत सारे कानून बनाती है लेकिन कानूनों की प्रासंगिकता तभी है जब लोगों को उनके विषय में जानकारी हो. इसीलिए यह महसूस किया गया कि लोगों को इसकी जानकारी भी हो कि क्या-क्या कल्याणकारी योजनाएं हैं. इसके लिए बहुत जरूरी है कि लोगों को अवेयर किया जाए. आपके कानूनी अधिकार क्या हैं? वृद्धों, महिलाओं और बच्चों के कानूनी अधिकार क्या हैं? समाज का सबसे कमजोर वर्ग जो अंतिम पायदान पर है, उनके क्या कानूनी अधिकार हैं? ऐसे लोगों के साथ विधिक सेवा प्राधिकार खड़ा होना चाहता है. सेक्शन 12 है जो राष्ट्रीय विधिक प्राधिकार द्वारा 1987 में बनाया गया. उसके तहत निःशुल्क कानूनी सहायता देना चाहते हैं. इस तरह से जो कोई गिरफ्तार होता है, उसे गिरफ्तारी के नियम नहीं पता होतें हैं. जमानत की जानकारी नहीं होती है. ऐसे लोगो को निःशुल्क सहायता दी जाएगी.

ईटीवी भारत: आपने जैसा बताया कि लोगों गिरफ्तारी के नियमों की जानकारी नहीं होती है, जमानत कैसे करानी है, इसकी जानकारी नहीं होती है. इसमें क्या प्राधिकार सहायक होगा?

जिला विधिक प्राधिकार के सचिव: बिल्कुल सहायक होगा. जिला विधिक सेवा प्राधिकार ऐसे लोगों के लिए जो गिरफ्तार होते हैं, उनके लिए निःशुल्क अधिवक्ता उपलब्ध कराता है. इसके लिए कोई फीस नहीं देनी है. हमारा अधिवक्ता उनके साथ रहेगा और ऐसा नहीं कि अधिवक्ता निशुल्क देने के तात्पर्य में कमजोर होगा. बहुत योग्य, कर्मठ अधिवक्ता देता हूं. हमारा जो पैनल है, उनको एकदम मुफ्त में पूरी ताकत के साथ उनका सहयोग करेगा. गिरफ्तार या गिरफ्तारी के पहले ही उसको जरूरत है. उसको लगता है कि मेरी गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए, मेरे खिलाफ केस हो गया है. वो आएगा तो उसको कानूनी सहायता उपलब्ध कराएंगे. इसके लिए हम कार्यक्रम चला रहें हैं.

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ईटीवी भारत: ऐसे में क्या माना जा सकता है कि कोर्ट में जो पेंडिंग केसों की संख्या बढ़ती जा रही है, उनमें कमी आएगी? विधिक सेवा प्राधिकार के प्रयास से कमी आएगी ?

जिला विधिक प्राधिकार के सचिव: हां, इसके लिए अलग से भी काम करते हैं. हम वाद और विवाद दोनों को निपटाते हैं. वाद वह है जिसमें केस हो गया है और विवाद वह है जिसमें अभी केस नहीं हुआ है, यदि नहीं निपटाया गया तो केस होगा. इससे कोर्ट में भी केसों की संख्या बढ़ती है. उन दोनों पक्षों की भी परेशानी बढ़ती है. जिसके लिए केस हो गया है, ऐसे मामलों को हम लोग लोक अदालतों के माध्यम से मध्यस्थता कर सुलह करा निपटाने का प्रयास कर रहे हैं. इससे न्यायालय का भी बोझ कम होगा. दूसरे बहुत सारे मामले ऐसे हैं समाज में जिनमें अभी केस तो नहीं हुआ है लेकिन अगर उसका निपटान नहीं किया गया तो एक और मुकदमा लेकर यह आएगा. न्यायपालिका पर बोझ बनेगा. खर्च बढ़ेगा, परेशानी बढ़ेगी. इसके लिए अगर वह आवेदन देता है तो दूसरे पक्ष को बुलाकर मामले का निपटारा किया जा रहा है.

ईटीवी भारत: यह अभियान कब तक चलना है ?

जिला विधिक प्राधिकार के सचिव: अभी तो ये लिखित रूप से 14 नवंबर तक चलना है किंतु यह लगातार जारी रहेगा. जिला विधिक सेवा प्राधिकार का काम बंद नहीं होगा. प्राधिकार के सचिव धर्मेंद्र तिवारी ने मीडिया से अपील करते हुए कहा कि इसकी सफलता के लिए मीडिया का सहयोग भी बेहद आवश्यक है. इसलिए मीडिया को भी इसमें आगे आकर इसके फायदों को जन-जन तक पहुंचाना चाहिए. मीडिया के लोगों से अपील है कि हमारे साथ आएं, हमारी बातों को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य करें. आप लोकतंत्र के चौथे स्तंभ हैं. आपके सहयोग के बिना यह संभव नहीं है कि हम लोगों को जागृत कर सकें. यह कार्यक्रम आगे भी चलता रहेगा.

ईटीवी भारत: इस अभियान के तहत आज क्या किया गया?

जिला विधिक प्राधिकार के सचिव: 13 नवंबर को एक मेगा कैंप का आयोजन किया. इस मेगा कैंप में हम लोगों ने सरकार के विभिन्न विभागों- विभाग, श्रम विभाग, सामाजिक सुरक्षा या जिला बाल संरक्षण इकाई, डाक विभाग, बैंकों के लोगों को तरह-तरह के सभी विभाग के लोगों को बुलाया और उनके अलग-अलग कैंप लगाये. आज के कार्यक्रम का उद्देश्य यह था कि सरकार की जो विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं हैं, उनका लाभ लोगों पहुंचाया जाए. जो अनाथ बच्चे हैं, उनको स्कॉलरशिप योजना का लाभ दिलवाएं. इसी तरह से 6 दिव्यांगजनों को हम लोगों ने आज ट्राई साइकिल दिलवाया है.

28 लोगों को आयुष्मान कार्ड वितरित किया गया. बहुत सारे श्रम कार्ड आज बने. अटल पेंशन योजना (Atal Pension Yojana), सामाजिक सुरक्षा बीमा योजना (Social Security Insurance Scheme) या दुर्घटना बीमा योजना (Accident Insurance Scheme) के अनेक लाभार्थियों को आज हम लोगों ने लाभ दिया. जिला सत्र एवं न्यायाधीश की उपस्थिति में आज चिकित्सा विभाग और श्रम विभाग दोनों के चिकित्सक और अधीक्षक थे. जहां यह तय हुआ है कि जिन 32,000 परिवारों का श्रम कार्ड बना हुआ है, उन लोगों को आयुष्मान कार्ड दिया जाएगा. ऐसे में कहा जा सकता है कि विधिक सेवा प्राधिकार निश्चित रूप से न्याय पाने में लोगों लिए बहुत बड़ा स्तंभ बन सकता है. जरुरत है इसके प्रचार और प्रसार करने की.

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