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बक्सर: MV कॉलेज की व्यवस्था बदहाल, शिक्षकों के 51 स्वीकृत पदों पर सिर्फ 18 ही कार्यरत - प्रिंसिपल नवीन कुमार

आम तौर पर लोग इस कॉलेज को एम.वी कॉलेज के नाम से जानते हैं. खाकी बाबा की कोशिश और तत्कालीन डुमरांव महाराज की दी गई दान की जमीन पर 11 जून 1957 को इस कॉलेज की नींव रखी गई थी.

एम.वी कॉलेज
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Published : Sep 28, 2019, 3:53 PM IST

बक्सर: जिले के सबसे प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थान महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय में सालों से शिक्षकों के दो तिहाई पद रिक्त हैं. शिक्षकों के 51 स्वीकृत पदों के स्थान पर सिर्फ 18 शिक्षकों के सहारे ही यहां पढ़ाई का काम चल रहा है.

कई विभागों में लंबे वक्त से शिक्षक नहीं
कॉलेज के प्रिंसिपल नवीन कुमार खुद ये कह रहे हैं कि कॉलेज में शिक्षकों की संख्या एक-तिहाई पहुंच गई है. कई विभाग ऐसे हैं जिनमें लंबे वक्त से शिक्षक है ही नहीं, लेकिन फिर भी उनमें स्टूडेंट का एडमिशन लिया जाता है. कॉलेज में मौजूद शिक्षक ही किसी तरह से छात्रों की शिक्षा मैनेज करते हैं.

पेश है रिपोर्ट

11 जून 1957 को रखी गई थी कॉलेज की नींव
बता दें कि आम तौर पर लोग इस कॉलेज को एम.वी कॉलेज के नाम से जानते हैं. खाकी बाबा की कोशिश और तत्कालीन डुमरांव महाराज की दी गई दान की जमीन पर 11 जून 1957 को इस कॉलेज की नींव रखी गई थी. 1957 में सामाजिक विज्ञान और मानविकी, वहीं 1967 में विज्ञान संकाय की शुरुआत से इस क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए उच्च शिक्षा की राह आसान हो गयी थी. लेकिन, वर्तमान समय में जिला मुख्यालय का एकमात्र कॉलेज बदहाली का दंश झेल रहा है.

बक्सर: जिले के सबसे प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थान महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय में सालों से शिक्षकों के दो तिहाई पद रिक्त हैं. शिक्षकों के 51 स्वीकृत पदों के स्थान पर सिर्फ 18 शिक्षकों के सहारे ही यहां पढ़ाई का काम चल रहा है.

कई विभागों में लंबे वक्त से शिक्षक नहीं
कॉलेज के प्रिंसिपल नवीन कुमार खुद ये कह रहे हैं कि कॉलेज में शिक्षकों की संख्या एक-तिहाई पहुंच गई है. कई विभाग ऐसे हैं जिनमें लंबे वक्त से शिक्षक है ही नहीं, लेकिन फिर भी उनमें स्टूडेंट का एडमिशन लिया जाता है. कॉलेज में मौजूद शिक्षक ही किसी तरह से छात्रों की शिक्षा मैनेज करते हैं.

पेश है रिपोर्ट

11 जून 1957 को रखी गई थी कॉलेज की नींव
बता दें कि आम तौर पर लोग इस कॉलेज को एम.वी कॉलेज के नाम से जानते हैं. खाकी बाबा की कोशिश और तत्कालीन डुमरांव महाराज की दी गई दान की जमीन पर 11 जून 1957 को इस कॉलेज की नींव रखी गई थी. 1957 में सामाजिक विज्ञान और मानविकी, वहीं 1967 में विज्ञान संकाय की शुरुआत से इस क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए उच्च शिक्षा की राह आसान हो गयी थी. लेकिन, वर्तमान समय में जिला मुख्यालय का एकमात्र कॉलेज बदहाली का दंश झेल रहा है.

Intro:प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था की चर्चा तो प्रायः होती रहती है।कभी पक्ष में तो कभी विपक्ष में । किंतु उच्च शिक्षा की स्थिति के बारे में बहुत ही कम या यूं कहें कि नही के बराबर होती है।आज etv भारत आपको बिहार की उच्च शिक्षा की बर्तमान स्थिति से रूबरू करा है ।आप भी हैरान हो जाएंगे कि उच्च शिक्षा की व्यवस्था कितनी बदहाल हो चुकी है ।


Body:इसकी एक बानगी जानने के लिए हम पहुँचे बक्सर जिले के सबसे प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थान महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय जिसे आम तौर पर लोग M.V.Collage के नाम से जानते हैं। खाकी बाबा के प्रयास और तत्कालीन डुमरांव महाराज के द्वारा दी गई दान की जमीन के फलस्वरूप 11 जून 1957 को इस कलेजकी नीव रखी गई थी । 1957 में सामाजिक विज्ञान और मानविकी तथा 1967 में विज्ञान संकाय के उद्घाटन से इस क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए उच्च शिक्षा प्राप्त करने राह को बहुत ही आसान हो गया ।समय के साथ कॉलेज का विस्तार हुआ ,महत्व बढ़ा ।फिर वीर कुंवर सिंह विश्विद्यालय के अस्तित्व में आने के बाद मगध विश्वविद्यालय से निकल कर वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय का भाग बना ।
जिला मुख्यालय का एकमात्र अंगीभूत महाविद्यालय की बर्तमान व्यवस्था इतनी बदहाल है कि यहाँ सालों से शिक्षको का दो तिहाई पद रिक्त है । शिक्षको के 51 स्वीकृत पदों के विरुद्ध केवल 18 शिक्षकों के सहारे ही यहाँ पढ़ाई का काम चल रहा है।आप खुद समझ सकतें हैं कि 51 के बदले 18 से कैसी पढ़ाई होती होगी ?
इतना ही नही कुव्यवस्था और बेपरवाही का आलम यह है कि यहाँ ऐसे भी संकाय चल रहे हैं जिसमे के सालों से एक भी शिक्षक नही हैं किंतु उन संकायों में विद्यार्थियों का प्रवेश भी लिया जाता है, बिना कोई क्लास चलाये परीक्षा भी ली जाती है और प्रमाण पत्र भी दिया जाता है।आश्चर्य में मत पड़िये आप बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं और हम बिल्कुल वहीं बता रहें हैं जो इस कॉलेज के प्रधानाचार्य हमसे बताए ।
बाइट डॉ नवीन कुमार। प्रिंसीपल एम वी कॉलेज बक्सर ।


Conclusion:
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