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ब्रह्मपुर में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव, खाट पर उठाकर मरीजों को पहुंचाया जा रहा अस्पताल

बिहार में एक तरफ जहां राजनीतिक पार्टियां 2020 के इस महासमर को जितने की तैयारी में लगी हुई हैं. वहीं, क्षेत्र की जनता 2015 में नेता के किए गए वादों की सूची बनाकर पहले से ही नेताओं को घेरने के लिएबैठी हुई है.

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Published : Sep 22, 2020, 5:01 PM IST

Updated : Sep 23, 2020, 6:16 PM IST

Lack of basic amenities
बुनियादी सुविधाओं का अभाव

बक्सर: बिहार के मुखिया सीएम नीतीश कुमार अपने संबोधन में बिहार के विकास का दावा करते हैं. चुनाव को लेकर नयी सौगात के साथ उद्घाटन कर रहे हैं. लेकिन बक्सर में एक ऐसा गांव है जो सरकार के दावे की पोल खोल रहा है. आजादी के 74 साल बाद भी जिले में दर्जनों ऐसे गांव हैं. जहां मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. यहां के बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं और बीमार व्यक्तियों को खाट पर उठाकर अस्पताल ले जाना पड़ता है. इसके बावजूद सरकार प्रदेश में न्याय के साथ विकास का दावा कर रही है.

ब्रह्मपुर विधानसभा का हाल
जिले के 199 ब्रह्मपुर विधानसभा क्षेत्र के सिमरी प्रखंड अंतर्गत ढ़ाकाइच पंचायत के गुलरिया मठिया गांव, जिसकी आबादी लगभग 1500 है. सैकड़ों साल से लोग इस गांव में रहते हैं. लेकिन आजादी के 7 दशक से अधिक समय बीत जाने के बाद भी इस गांव के लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे है. यहां के लोग आज भी खेतों की पगडंडियों के सहारे ही शहर और बजारों का रास्ता तय करते हैं.

Lack of basic amenities
बुनियादी सुविधाओं का अभाव

हाईकोर्ट के निर्देश का भी नही हुआ पालन
बता दें कि सालों पहले अपनी समस्या को लेकर ग्रामीणों की ओर से पटना हाईकोर्ट में पीआईएल दायर कराया गया था. जिसके बाद इस मामले पर संज्ञान लेते हुए पटना उच्च न्यायालय ने जिला प्रशासन को सड़क निर्माण के लिए आदेश जारी किया. आनन-फानन में प्रशासनिक अधिकारियों ने सड़क बनाने के लिए टेंडर भी निकाल दिया. लेकिन आज तक न तो संवेदक और न ही कोई प्रशासनिक अधिकारी स्थल पर स्थिति का जायजा लेने पहुंचे है. जिसके कारण आज भी यहां के बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं.

सरकार का दावा
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव की आहट के बाद बिहार के मुखिया नीतीश कुमार, वर्चुअल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश में न्याय के साथ विकास करने का दावा कर रहे हैं. 15 साल जंगलराज और बनाम 15 साल विकास के मुद्दे पर चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा कर रहे हैं. जनता को गोलबंद करने के लिए पार्टी नेताओं को निर्देश दे रहे हैं. लेकिन क्षेत्र की जनता की नाराजगी देख, कोरोना का हवाला देकर पक्ष, विपक्ष के नेता क्षेत्र में जाने के वजाये जिला अतिथिगृह से ही सरकार की उपलब्धियों और नाकामियों को बताकर वापस लौट जा रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

मिलने से इनकार करते हैं विधायक
2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में सात निश्चय योजना के तहत बिहार की जनता से विकास का वादा कर, प्रचंड बहुमत के साथ चुनाव जीतने वाले नेता, 5 साल में एक बार भी अपने क्षेत्र की जनता के सुख-दुख में में शामिल नहीं हुए. जिसको लेकर स्थानीय लोगों में काफी नाराजगी है. जिले के ब्रह्मपुर विधानसभा क्षेत्र के लोगों ने बताया कि चुनाव के दौरान राजद विधायक शम्भू यादव आये थे. लेकिन उसके बाद कभी दर्शन नहीं दिए. जब यहां की जनता मिलने की कोशिश करती है तो मिलने से भी इंकार कर देते हैं.

ग्रामीणों ने इटीवी भारत से बयां किया दर्द
ईटीवी भारत की टीम जब जिले के ब्रह्मपुर विधानसभा क्षेत्र के इस गांव में पहुंची तो ग्रामीणों ने बताया कि आजादी का मतलब अब तक इस गांव के लोग नहीं समझ पाए हैं. मार्च से लेकर मई तक ही इस गांव के बच्चे गांव से निकलकर स्कूल जा पाते हैं. लेकिन जैसे ही जून-जुलाई में बारिश शुरू हो जाती है. सभी लोग गांव में ही कैद हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विकास का दावा कर रहे है. लेकिन जिस प्रदेश में मरीजों को खाट पर उठाकर अस्पताल ले जाना पड़ता हो वहां विकास का दावा करना कितना सही है. इस गांव में आने जाने के लिए न सड़क है और न ही स्कूल, अनगनबाड़ी केंद्र और न ही हॉस्पिटल है.

बक्सर: बिहार के मुखिया सीएम नीतीश कुमार अपने संबोधन में बिहार के विकास का दावा करते हैं. चुनाव को लेकर नयी सौगात के साथ उद्घाटन कर रहे हैं. लेकिन बक्सर में एक ऐसा गांव है जो सरकार के दावे की पोल खोल रहा है. आजादी के 74 साल बाद भी जिले में दर्जनों ऐसे गांव हैं. जहां मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. यहां के बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं और बीमार व्यक्तियों को खाट पर उठाकर अस्पताल ले जाना पड़ता है. इसके बावजूद सरकार प्रदेश में न्याय के साथ विकास का दावा कर रही है.

ब्रह्मपुर विधानसभा का हाल
जिले के 199 ब्रह्मपुर विधानसभा क्षेत्र के सिमरी प्रखंड अंतर्गत ढ़ाकाइच पंचायत के गुलरिया मठिया गांव, जिसकी आबादी लगभग 1500 है. सैकड़ों साल से लोग इस गांव में रहते हैं. लेकिन आजादी के 7 दशक से अधिक समय बीत जाने के बाद भी इस गांव के लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे है. यहां के लोग आज भी खेतों की पगडंडियों के सहारे ही शहर और बजारों का रास्ता तय करते हैं.

Lack of basic amenities
बुनियादी सुविधाओं का अभाव

हाईकोर्ट के निर्देश का भी नही हुआ पालन
बता दें कि सालों पहले अपनी समस्या को लेकर ग्रामीणों की ओर से पटना हाईकोर्ट में पीआईएल दायर कराया गया था. जिसके बाद इस मामले पर संज्ञान लेते हुए पटना उच्च न्यायालय ने जिला प्रशासन को सड़क निर्माण के लिए आदेश जारी किया. आनन-फानन में प्रशासनिक अधिकारियों ने सड़क बनाने के लिए टेंडर भी निकाल दिया. लेकिन आज तक न तो संवेदक और न ही कोई प्रशासनिक अधिकारी स्थल पर स्थिति का जायजा लेने पहुंचे है. जिसके कारण आज भी यहां के बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं.

सरकार का दावा
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव की आहट के बाद बिहार के मुखिया नीतीश कुमार, वर्चुअल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश में न्याय के साथ विकास करने का दावा कर रहे हैं. 15 साल जंगलराज और बनाम 15 साल विकास के मुद्दे पर चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा कर रहे हैं. जनता को गोलबंद करने के लिए पार्टी नेताओं को निर्देश दे रहे हैं. लेकिन क्षेत्र की जनता की नाराजगी देख, कोरोना का हवाला देकर पक्ष, विपक्ष के नेता क्षेत्र में जाने के वजाये जिला अतिथिगृह से ही सरकार की उपलब्धियों और नाकामियों को बताकर वापस लौट जा रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

मिलने से इनकार करते हैं विधायक
2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में सात निश्चय योजना के तहत बिहार की जनता से विकास का वादा कर, प्रचंड बहुमत के साथ चुनाव जीतने वाले नेता, 5 साल में एक बार भी अपने क्षेत्र की जनता के सुख-दुख में में शामिल नहीं हुए. जिसको लेकर स्थानीय लोगों में काफी नाराजगी है. जिले के ब्रह्मपुर विधानसभा क्षेत्र के लोगों ने बताया कि चुनाव के दौरान राजद विधायक शम्भू यादव आये थे. लेकिन उसके बाद कभी दर्शन नहीं दिए. जब यहां की जनता मिलने की कोशिश करती है तो मिलने से भी इंकार कर देते हैं.

ग्रामीणों ने इटीवी भारत से बयां किया दर्द
ईटीवी भारत की टीम जब जिले के ब्रह्मपुर विधानसभा क्षेत्र के इस गांव में पहुंची तो ग्रामीणों ने बताया कि आजादी का मतलब अब तक इस गांव के लोग नहीं समझ पाए हैं. मार्च से लेकर मई तक ही इस गांव के बच्चे गांव से निकलकर स्कूल जा पाते हैं. लेकिन जैसे ही जून-जुलाई में बारिश शुरू हो जाती है. सभी लोग गांव में ही कैद हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विकास का दावा कर रहे है. लेकिन जिस प्रदेश में मरीजों को खाट पर उठाकर अस्पताल ले जाना पड़ता हो वहां विकास का दावा करना कितना सही है. इस गांव में आने जाने के लिए न सड़क है और न ही स्कूल, अनगनबाड़ी केंद्र और न ही हॉस्पिटल है.

Last Updated : Sep 23, 2020, 6:16 PM IST
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