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बक्सर: पंचकोसी परिक्रमा मेले का चौथा दिन, हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालु - उद्दालक मुनि आश्रम

महंत राजाराम शर्मा ने बताया कि पंचकोसी परिक्रमा मेले का इतिहास बहुत पुराना है. ऐसी मान्यता है कि जब महर्षि विश्वामित्र के साथ भगवान राम और लक्ष्मण तड़का के वध के लिए आये थे. उसी समय यहां तप कर रहे पांचों ऋषियों के आश्रम गए थे. तभी से परंपरा बन गई, जो आज तक जारी है.

उद्दालक ऋषि भूमि
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Published : Nov 20, 2019, 6:38 PM IST

बक्सर: जिले में 17 नंवबर को सुप्रसिद्ध पवित्र पंचकोसी परिक्रमा मेले की शुरुआत हुई थी. जिसका बुधवार को चौथा दिन है. यह मेला अहिरौली माता अहिल्या के उद्धार स्थली से शुरू होकर चौथे दिन बक्सर के उद्दालक मुनि आश्रम पुहंचा. जहां हजारों श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में खिचड़ी दी गई.

देश के हर हिस्से में अपनी एक अलग मान्यता और परंपरा का पालन होता है. पंचकोसी परिक्रमा मेला अपने आप में अनूठा मेला है. बता दें कि यह मेला अहिरौली माता अहिल्या के उद्धार स्थली से प्रारंभ होकर दूसरे दिन नदाव नारद मुनि के आश्रम पहुंचा. तीसरे दिन भभुआर भार्गव ऋषि का आश्रम होते हुए चौथे दिन बक्सर के उद्दालक मुनि आश्रम पुहंचा.

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श्रद्धालुओं ने खाया खिचड़ी का प्रसाद

मेले का इतिहास बहुत पुराना है
महंत राजाराम शर्मा ने बताया कि पंचकोसी परिक्रमा मेले का इतिहास बहुत पुराना है. ऐसी मान्यता है कि जब महर्षि विश्वामित्र के साथ भगवान राम और लक्ष्मण तड़का के वध के लिए आये थे. उसी समय यहां तप कर रहे पांचों ऋषियों के आश्रम गए थे. तभी से परंपरा बन गई, जो आज तक जारी है.

पंचकोसी परिक्रमा मेले का चौथा दिन

भगवान राम ने किया था 5 तरह का भोजन
महंत राजाराम शर्मा ने बताया कि भगवान राम ने अपनी इस यात्रा में पांचों जगहों पर पांच तरह का भोजन किया था. जो कि वहां का प्रसाद बन गया है. आज भी परिक्रमा कर रहे श्रद्धालु अहिरौली में हलवा, नादांव में पुआ पकवान और भभुआर में दही-चूड़ा और चरित्रवन में लिट्टी-चोखा प्रसाद स्वरूप खाते हैं.

बक्सर: जिले में 17 नंवबर को सुप्रसिद्ध पवित्र पंचकोसी परिक्रमा मेले की शुरुआत हुई थी. जिसका बुधवार को चौथा दिन है. यह मेला अहिरौली माता अहिल्या के उद्धार स्थली से शुरू होकर चौथे दिन बक्सर के उद्दालक मुनि आश्रम पुहंचा. जहां हजारों श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में खिचड़ी दी गई.

देश के हर हिस्से में अपनी एक अलग मान्यता और परंपरा का पालन होता है. पंचकोसी परिक्रमा मेला अपने आप में अनूठा मेला है. बता दें कि यह मेला अहिरौली माता अहिल्या के उद्धार स्थली से प्रारंभ होकर दूसरे दिन नदाव नारद मुनि के आश्रम पहुंचा. तीसरे दिन भभुआर भार्गव ऋषि का आश्रम होते हुए चौथे दिन बक्सर के उद्दालक मुनि आश्रम पुहंचा.

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श्रद्धालुओं ने खाया खिचड़ी का प्रसाद

मेले का इतिहास बहुत पुराना है
महंत राजाराम शर्मा ने बताया कि पंचकोसी परिक्रमा मेले का इतिहास बहुत पुराना है. ऐसी मान्यता है कि जब महर्षि विश्वामित्र के साथ भगवान राम और लक्ष्मण तड़का के वध के लिए आये थे. उसी समय यहां तप कर रहे पांचों ऋषियों के आश्रम गए थे. तभी से परंपरा बन गई, जो आज तक जारी है.

पंचकोसी परिक्रमा मेले का चौथा दिन

भगवान राम ने किया था 5 तरह का भोजन
महंत राजाराम शर्मा ने बताया कि भगवान राम ने अपनी इस यात्रा में पांचों जगहों पर पांच तरह का भोजन किया था. जो कि वहां का प्रसाद बन गया है. आज भी परिक्रमा कर रहे श्रद्धालु अहिरौली में हलवा, नादांव में पुआ पकवान और भभुआर में दही-चूड़ा और चरित्रवन में लिट्टी-चोखा प्रसाद स्वरूप खाते हैं.

Intro:बक्सर में इन दिनों सुप्रसिद्ध पवित्र पंचकोशी परिक्रमा मेला चल रहा है । पिछले रविवार से शुरु हुआ यह परिक्रमा मेला का आज चौथा पड़ाव है । बक्सर के अहिरौली माता अहिल्या के उद्धार स्थली से प्रारंभ होकर दूसरे दिन नदाव नारद मुनि के आश्रम तथा तीसरे दिन भभुआर भार्गव ऋषि का आश्रम होते हुए आज बक्सर के नुआंव में जहाँ उद्दालक मुनि का आश्रम था परिक्रमा कर रहे हजारों श्रद्धालुओं का जत्था पहुंचा है । जहाँ प्रसाद के रूप में खिचड़ी खाया जाता है।


Body:आपको बता दें कि पंचकोशी परिक्रमा मेला का इतिहास बहुत पुराना है।मान्यता है कि जब महर्षि विश्वामित्र के साथ भगवान राम और लक्ष्मण तड़का वध के लिए आये थे उसी दरम्यान यहाँ तप कर रहे पांचो ऋषियों के आश्रम गये थे तभी से परंपरा बन गई जो आज तक जारी है । भगवान राम अपने इस यात्रा में पांचो जगहों पर पाँच तरह का भोजन किये थे वही वहाँ का प्रसाद बन गया ।आज भी परिक्रमा कर रहे श्रद्धालु अहिरौली में हलवा ,नादाँव में पुआ पकवान और भभुआर में दही चूड़ा तथा चरित्रवन में लिट्टी चोखा प्रसाद स्वरूप खाते हैं।
बाइट। राजाराम शर्मा महंत आश्रम बक्सर
बाइट। महिला श्रद्धालु
बाइट प्रसाद वितरण समिति सदस्य


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