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बक्सर में मुरझाया फूलों का कारोबार, बोले दुकानदार- 'तीसरी लहर ने कर दिया बर्बाद' - Temples Closed Due To Corona In Bihar

कोरोना की तीसरी लहर की (Corona Third Wave In Buxar) वजह से बक्सर में फूलों का व्यापार करने वाले हजारों लोगों को नुकसान झेलना पड़ रहा है. दरअसल 6 जनवरी से लेकर 21 जनवरी तक सरकार ने धार्मिक स्थलों का बंद रखने का आदेश दिया है. पढ़ें पूरी खबर..

flower business collapsed in Buxar
flower business collapsed in Buxar
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Published : Jan 14, 2022, 4:07 PM IST

बक्सर: बिहार में कोरोना की तीसरी लहर ने रफ्तार पकड़ ली है. संक्रमण पर काबू पाने के लिए राज्य सरकार ने नाइट कर्फ्यू समेत कई पाबंदियों को 21 जनवरी तक के लिए लागू किया है. इस आदेश के मुताबिक धार्मिक स्थलों और बड़े मंदिरों (Temples Closed Due To Corona In Bihar) को भी बंद रखा गया है. ऐसे में तीसरी लहर का असर एक बार फिर फूलों के कारोबार (flower business collapsed in Buxar) पर भी पड़ा है.

ये भी पढ़ें : 11 बार कोरोना टीका लेने वाले बुजुर्ग ने स्वास्थ्य विभाग को लिखा पत्र, कहा- मैंने झूठ बोला था, स्वास्थ्यकर्मी निर्दोष

मंदिर बंद रहने और विवाह में समेत कई आयोजनों को सीमित किये जाने से बक्सर में फूलों का व्यापार चौपट हो गया है. फूल कारोबारियों को 2022 से काफी उम्मीदें थी, क्योंकि 2021 में कोरोना की दूसरी लहर ने कारोबार को पूरी तरह से बर्बाद करके रख दिया था. उम्मीद थी कि, अब जब यह लहर धीमी पड़ी तो 2022 की शुरुआत नए साल और फिर खरमास खत्म होने के बाद अच्छे लगन के साथ होगी. लेकिन नए वेरिएंट के खतरे को देखते हुए धार्मिक स्थलों में पूजा पाठ करने पर सरकार ने पाबंदी लगा दी है. जिसके कारण फूल कारोबारियों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं.

बक्सर में मुरझाया फूलों का कारोबार

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मिनी काशी के नाम से मशहूर विश्वामित्र की पावन नगरी बक्सर फूल कारोबार के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. उत्तरायणी गंगा में स्नान करने के लिए बिहार के अलावे उत्तर प्रदेश, झारखण्ड से लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं, जिनके द्वारा धार्मिक कार्यों और मंदिरों में फूलों का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता है. साथ ही शाहाबाद के अलग- अलग शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में फूल की सप्लाई की जाती है. लेकिन धार्मिक स्थलों पर पूजा पाठ बन्द हो जाने के कारण फूलों की मंडी में सन्नाटा पसरा हुआ है. शादी विवाह के ऑर्डर कैंसिल किए जा रहे हैं.

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"बनारस, पटना ,कलकत्ता से फूलों का कारोबार करने वाले व्यपारियो ने बताया कि, धार्मिक स्थलों पर पूजा पाठ करने पर राज्य सरकार ने जैसे ही पाबन्दी लगाई, फूलों के कारोबार में 60% गिरावट देखने को मिली. जनवरी से लेकर जुलाई, अगस्त तक होने वाले मांगलिक कार्यों को लेकर नवंबर-दिसंबर महीने में ही ऑर्डर मिल गए थे. ऑर्डर बुक करने के साथ ही साथ फूल के ऑर्डर भी देने शुरू कर दिए थे, लेकिन नई गाइडलाइन ने सब कुछ बर्बाद कर दिया है."- फूलों की खेती करने वाले किसान

फूल की खेती करने वाले किसानों को भी कोरोना की दूसरी लहर की धीमी हुई रफ्तार से काफी उम्मीदें थी. किसानों ने सोचा था कि, नए साल में गुलाब की आमद जबरदस्त होगी, 2 साल के नुकसान की भरपाई इस साल हो जाएगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं और मंडियों में गुलाब के फूल डंप ही पड़े रह गए. अब उम्मीद आने वाले शादियों के सीजन से है. लेकिन रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक नाइट कर्फ्यू और शादियों में सीमित लोगों के आमंत्रण की गाइडलाइन ने कारोबारियों की चिंता बढ़ा दी है.

"अब तक सैकड़ों ऑर्डर लोग कैंसिल करवा चुके हैं. कई ऑर्डर को सीमित कर दिया गया है. जो काम 1 लाख का मिला था, उसे घटाकर 10 से 20 हजार में करने के लिए दबाव लोग बना रहे हैं. कच्चा माल को रोक कर रखा भी नहीं जा सकता है. डेकोरेशन के लिए जिन कारीगरों और मजदूरों को रखा था ऑर्डर कैंसिल होने के बाद भी वे पैसे तो लौटाएंगे नहीं, जिसके कारण चौतरफा नुकसान उठाना पड़ रहा है."- कारोबारी

मांग व बिक्री घटने से फूलों की खेती करने वाले किसानों व दुकानदारों की आर्थिक स्थिति डगमगा गई है. बक्सर में फूलों की मंडी की भरमार है, जहां हजारों की संख्या में फूल बिक्रेता फूल बेचकर अपनी आजीविका चलाते हैं. मंदिर और धार्मिक स्थल बन्द होने से उनके कारोबार पर बहुत बड़ा असर पड़ा है. फूल बिक्रेताओं ने बताया कि, हमलोगों का रोजी- रोटी चौपट हो गयी है.

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बक्सर: बिहार में कोरोना की तीसरी लहर ने रफ्तार पकड़ ली है. संक्रमण पर काबू पाने के लिए राज्य सरकार ने नाइट कर्फ्यू समेत कई पाबंदियों को 21 जनवरी तक के लिए लागू किया है. इस आदेश के मुताबिक धार्मिक स्थलों और बड़े मंदिरों (Temples Closed Due To Corona In Bihar) को भी बंद रखा गया है. ऐसे में तीसरी लहर का असर एक बार फिर फूलों के कारोबार (flower business collapsed in Buxar) पर भी पड़ा है.

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मंदिर बंद रहने और विवाह में समेत कई आयोजनों को सीमित किये जाने से बक्सर में फूलों का व्यापार चौपट हो गया है. फूल कारोबारियों को 2022 से काफी उम्मीदें थी, क्योंकि 2021 में कोरोना की दूसरी लहर ने कारोबार को पूरी तरह से बर्बाद करके रख दिया था. उम्मीद थी कि, अब जब यह लहर धीमी पड़ी तो 2022 की शुरुआत नए साल और फिर खरमास खत्म होने के बाद अच्छे लगन के साथ होगी. लेकिन नए वेरिएंट के खतरे को देखते हुए धार्मिक स्थलों में पूजा पाठ करने पर सरकार ने पाबंदी लगा दी है. जिसके कारण फूल कारोबारियों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं.

बक्सर में मुरझाया फूलों का कारोबार

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मिनी काशी के नाम से मशहूर विश्वामित्र की पावन नगरी बक्सर फूल कारोबार के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. उत्तरायणी गंगा में स्नान करने के लिए बिहार के अलावे उत्तर प्रदेश, झारखण्ड से लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं, जिनके द्वारा धार्मिक कार्यों और मंदिरों में फूलों का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता है. साथ ही शाहाबाद के अलग- अलग शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में फूल की सप्लाई की जाती है. लेकिन धार्मिक स्थलों पर पूजा पाठ बन्द हो जाने के कारण फूलों की मंडी में सन्नाटा पसरा हुआ है. शादी विवाह के ऑर्डर कैंसिल किए जा रहे हैं.

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फूल की खेती करने वाले किसानों को भी कोरोना की दूसरी लहर की धीमी हुई रफ्तार से काफी उम्मीदें थी. किसानों ने सोचा था कि, नए साल में गुलाब की आमद जबरदस्त होगी, 2 साल के नुकसान की भरपाई इस साल हो जाएगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं और मंडियों में गुलाब के फूल डंप ही पड़े रह गए. अब उम्मीद आने वाले शादियों के सीजन से है. लेकिन रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक नाइट कर्फ्यू और शादियों में सीमित लोगों के आमंत्रण की गाइडलाइन ने कारोबारियों की चिंता बढ़ा दी है.

"अब तक सैकड़ों ऑर्डर लोग कैंसिल करवा चुके हैं. कई ऑर्डर को सीमित कर दिया गया है. जो काम 1 लाख का मिला था, उसे घटाकर 10 से 20 हजार में करने के लिए दबाव लोग बना रहे हैं. कच्चा माल को रोक कर रखा भी नहीं जा सकता है. डेकोरेशन के लिए जिन कारीगरों और मजदूरों को रखा था ऑर्डर कैंसिल होने के बाद भी वे पैसे तो लौटाएंगे नहीं, जिसके कारण चौतरफा नुकसान उठाना पड़ रहा है."- कारोबारी

मांग व बिक्री घटने से फूलों की खेती करने वाले किसानों व दुकानदारों की आर्थिक स्थिति डगमगा गई है. बक्सर में फूलों की मंडी की भरमार है, जहां हजारों की संख्या में फूल बिक्रेता फूल बेचकर अपनी आजीविका चलाते हैं. मंदिर और धार्मिक स्थल बन्द होने से उनके कारोबार पर बहुत बड़ा असर पड़ा है. फूल बिक्रेताओं ने बताया कि, हमलोगों का रोजी- रोटी चौपट हो गयी है.

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