बक्सर: इलाहाबाद से बिहटा जाने के दौरान बुधवार की शाम भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के हेलीकाप्टर चिनूक (Indian Airforce Helicopter Chinook) में तकनीकी खराबी आ गई थी. जिसके बाद राजपुर प्रखण्ड के मानिकपुर हाई स्कूल में इसकी इमरजेंसी लैंडिंग (Emergency Landing) करानी पड़ी थी. चिनूक को दुरुस्त करने के लिए इंजीनियर बक्सर पहुंच गए हैं. बताया जा रहा है कि कीचड़ और पानी होने के कारण हेलीकॉप्टर को टेकऑफ होने में समय लग सकता है. हेलीकॉप्टर का पहिया जमीन में धंस गया है.
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बुधवार शाम इलाहाबाद से बिहटा जाने के दौरान भारतीय वायु सेना का चिनूक हेलीकॉप्टर जैसे ही बक्सर की सीमा में पहुंचा, उसमें तकनीकी खराबी आ गई. हेलीकॉप्टर के डायने से चिंगारी निकलना शुरू हो गया था. जिसके बाद पायलट के सूझबूझ से हेलीकॉप्टर को राजपुर प्रखण्ड के हाई स्कूल के ग्राउंड में आपात कालीन लैंडिंग कराया गया. हेलीकॉप्टर में सवार भारतीय वायु सेना के अधिकारी समेत सभी कर्मी सही सलामत बाहर निकल गए. हालांकि जिस ग्राउंड में हेलीकॉप्टर को उतारा गया वहां कीचड़ और जलजमाव होने के कारण हेलीकॉप्टर के पहिये जमीन में धंस गए हैं.
वायु सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर को दुरुस्त करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की टीम बक्सर पहुंच चुकी है. ग्राउंड में कीचड़ और जलजमाव होने के कारण काफी परेशानियो का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा हर सम्भव सहयोग भी किया जा रहा है. वायु सेना के अधिकारियो ने बताया कि चारो तरफ कीचड़, जलजमाव और खेत होने के कारण टेकऑफ होने में 1 से दो दिन का समय लग सकता है.
बुधवार को देर शाम जब यह हेलीकॉप्टर ऊपर से गुजर रहा था, तो काफी आवाज आ रही थी. अचानक हेलीकॉप्टर के डायने में से चिंगारी निकलना शुरू हो गया. और हेलीकॉप्टर कटी हुई पतंग की तरह अनियंत्रित होकर लगातार नीचे की तरफ गिरने लगी. कुछ ही देर बाद उसमें सवार वायु सेना के जवान एवं अधिकारी कूदने लगे और हेलीकॉप्टर को किसी तरह से लैंड कराया गया.- प्रत्यक्षदर्शी
वायु सेना के आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुलवामा हमले के बाद, मार्च 2019 में चिनूक हेलीकॉप्टर को भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया था. यह हेलीकॉप्टर 10 टन तक वजन उठाकर उड़ सकता है. आपदा के समय एवं दुर्गम इलाको में ऑपरेशन करने के लिए इस हेलीकॉप्टर को ब्रह्मास्त्र माना जाता है. एक साथ इस हेलीकॉप्टर में 50-55 लोग बैठ सकते हैं. आपदा के दौरान 24 स्ट्रैचर इसके अंदर एक साथ लग सकता है. दुर्गम इलाकों में 20 हजार फीट तक की ऊंचाइयो पर उड़ने में इसे महारत हासिल है.
अमेरिकी चिनूक हेलीकॉप्टर ने ही पाकिस्तान में घुसकर ओसामा बिन लादेन को मार गिराने में अहम भूमिका निभाई थी. यह हेलीकॉप्टर ऊंचे और दुर्गम इलाके में भारी भरकम साजो सामान ले जाने के लिए सबसे ज्यादा सक्षम माना जाता है. वर्ष 2015 में भारत ने अमेरिका से 2.5 अरब डॉलर में 22 अपाचे एवं 15 चिनूक हेलीकॉप्टर की खरीद किया था. पुलवामा हमले के बाद मार्च 2019 में सबसे पहले 4 चिनूक हेलीकॉप्टर को भरतीय वायु सेना में शामिल किया गया था.
तकनीकी खराबी के कारण मानिकपुर हाई स्कूल के फील्ड में चिनूक हेलीकॉप्टर की आपतकालीन लैंडिंग कराने की सूचना मिलने के बाद जिले के दूर दराज के इलाके से हजारों लोग इस हेलीकॉप्टर को देखने के लिए लगातार पहुंच रहे हैं. सुरक्षात्मक दृष्टि से जिला प्रशासन एवं स्थानीय थाना के अधिकारी लगातार वहां कैम्प कर रहे हैं. उस हेलीकॉप्टर में सवार सभी वायुसेना के कर्मियों को हाईस्कूल में ही ठहराया गया है.
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