पटना: फर्जी टीचर मामला में जिला शिक्षा पदाधिकारी (District Education Officer) और 72 शिक्षकों के खिलाफ एफआईआरदर्ज करने के आदेश दिए गए हैं. इस मामले में निगरानी ने शिक्षा विभाग से इजाजत मांगी थी. जिसके बाद शिक्षा विभाग (Education Department) ने एफआईआर दर्ज करने के आदेश दे दिए हैं. इन सभी पर फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी करने और देने का आरोप है.
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बिहार में वर्ष 2015 से ही जारी निगरानी जांच में एक बड़ा मामला सामने आया है. दरअसल सुपौल के तत्कालीन जिला कार्यक्रम पदाधिकारी और वर्तमान में बक्सर के जिला शिक्षा पदाधिकारी अमर भूषण पर शिक्षा विभाग ने प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिया हैं. निगरानी जांच में उनकी भूमिका सामने आई और निगरानी ने शिक्षा विभाग से इस मामले में इजाजत मांगी थी. अमर भूषण के अलावा 72 ऐसे शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर के आदेश दिए गए हैं, जो फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी कर रहे थे.
प्राथमिक शिक्षा निदेशक अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने सुपौल डीईओ को निर्देश दिया है कि निगरानी जांच में तत्कालीन जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना अमर भूषण और 72 शिक्षकों के खिलाफ लगाए गए आरोप प्रमाणित पाए गए हैं. इसलिए प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत दोषी मानते हुए अमर भूषण और 72 शिक्षकों पर प्राथमिकी दर्ज कराई जाए.
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आपको बता दें कि अमर भूषण वर्तमान में बक्सर के जिला शिक्षा पदाधिकारी हैं. उन पर सुपौल के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) रहते हुए फर्जी सर्टिफिकेट पर 72 शिक्षकों को बहाल करने का आरोप है. निगरानी वर्ष 2015 से ही इस पूरे मामले की जांच कर रही है.
वर्ष 2015 से पहले बहाल करीब 10,0000 शिक्षकों के फोल्डर गायब हैं और उन्हें निगरानी जांच में अपने सर्टिफिकेट जमा करने को कहा गया था. जिन लोगों के फोल्डर गायब थे शिक्षा विभाग ने उन्हें ऑनलाइन पोर्टल के जरिए अपने सर्टिफिकेट अपलोड करने का आदेश जुलाई महीने में ही दिया था.
निगरानी ने फर्जी फोल्डर मामले की जांच के दौरान अब तक 16 साल से भी ज्यादा शिक्षकों पर प्राथमिकी दर्ज की है. वर्तमान में करीब 10,0000 शिक्षकों के फोल्डर की जांच की जा रही है. जिन्हें ऑनलाइन फोल्डर जमा करने को कहा गया था.