बक्सर: तेजी से तापमान में बढ़ोत्तरी हो रही है. ऐसे बदलते मौसम में डायरिया से पीड़ित मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है. डायरिया के कारण बच्चों और वयस्कों में डिहाइड्रेट होने की समस्या रहती है. कई बार कुशल प्रबंधन और जानकारी के अभाव में ये जानलेवा भी हो जाता है. इसके लिए डायरिया के लक्षणों के प्रति सतर्कता एवं सही समय पर उचित प्रबंधन कर डायरिया जैसे गंभीर रोग से आसानी से बचा जा सकता है.
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प्राथमिक उपचार के रूप में ओआरएस का घोल दिया जा सकता है. जिससे निर्जलीकरण की स्थिति से बचा जा सके. ओआरएस का घोल गर्भवती महिलाओं के साथ बच्चों के लिए भी फायदेमंद साबित होगा. उसके बाद भी यदि मरीज को इससे राहत न मिले, तो बिना विलंब किये तुरंत मरीज को चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए. जिससे मरीज की शीघ्र इलाज की समुचित व्यवस्था हो सके.
डायरिया के लक्षण
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह सीडीओ डॉ. नरेश कुमार ने बताया कि सामान्य रूप से डायरिया और उसके लक्षण कई प्रकार के होते है. पहला एक्यूट वाटरी डायरिया जिसमें दस्त काफी पतला होता है. यह कुछ घंटों या कुछ दिनों तक ही होता है. इससे डिहाइड्रेशन एवं अचानक वजन में गिरावट होने का ख़तरा बढ़ जाता है. दूसरा एक्यूट ब्लडी डायरिया जिसे शूल के नाम से भी जाना जाता है. इसके कारण मरीज की आंत में संक्रमण और कुपोषण का खतरा बढ़ जाता है. तीसरा परसिस्टेंट डायरिया जो 14 दिन या इससे अधिक समय तक रहता है.
इन लक्ष्णों का रखें ध्यान
- लगातार पतले दस्त का होना
- बार-बार दस्त के साथ उल्टी का होना
- प्यास का बढ़ जाना
- भूख का कम हो जाना या खाना नहीं खाना
- दस्त के साथ हल्के बुखार का आना
- दस्त में खून आना
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डायरिया में घरेलु उपचार से बचें
एसीएमओ ने बताया डायरिया के लक्षण यदि ओआरएस के सेवन के बाद भी रहे तो, अविलम्ब मरीज को डॉक्टर के पास ले जाएं तथा उचित उपचार कराएं. इसमें विलम्ब जानलेवा साबित हो सकता है. डायरिया से होने वाली मृत्यु का प्रमुख कारण उपचार में की गयी देरी होती है. उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं में डायरिया के लक्षण परेशानी का सबब बन जाते हैं. क्योंकि गर्भावस्था के दौरान डायरिया होने से शिशु का विकास अवरुद्ध हो सकता है. इसलिए गर्मी के मौसम में शिशुओं के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं का भी ध्यान रखना होता है.