बक्सर: बिहार के बक्सर में यूरिया की किल्लत (Shortage of Urea in Buxar) है, जिस वजह से किसान परेशान हैं. आलम ये है कि जिले के किसान खाद के लिए यूपी पर निर्भर (Farmers Depend on UP for Fertilizer) हैं. रोजाना ट्रेनों के अलावे, चार पहिया और दोपहिया वाहनों से किसान यूरिया लेकर बक्सर पहुंच रहे हैं. उनकी परेशानियों को देखते हुए गुरुवार को समाहरणालय कक्ष में उर्वरक निगरानी समिति की बैठक (Fertilizer Monitoring Committee Meeting) आयोजित की गई. जहां समस्या के निदान को लेकर चर्चा की गई.
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बक्सर डीएम अमन समीर (Buxar DM Aman Sameer) की अध्यक्षता में आयोजित जिला स्तरीय उर्वरक निगरानी समिति की बैठक में डुमराव विधानसभा क्षेत्र से भाकपा माले विधायक अजीत कुमार सिंह, राजपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक विश्वनाथ राम, सांसद अश्विनी कुमार चौबे के प्रतिनिधि नितिन मुकेश, सदर कांग्रेस विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी के प्रतिनिधि पप्पू पांडे, कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार के अलावे जिला परिषद की चेयरमैन विद्या भारती भी मौजूद रहीं. इस दौरान सभी जनप्रतिनिधियों ने जिला कृषि पदाधिकारी पर फोन नहीं उठाने का आरोप लगाते हुए कहा कि जिले में यूरिया के लिए हाहाकार मचा हुआ है लेकिन कृषि पदाधिकारी हम लोगों का फोन भी नहीं उठाते हैं. जिसके बाद जिलाधिकारी ने कृषि पदाधिकारी को फटकार लगाते हुए कहा कि गोलमोल जवाब देने से काम नहीं चलेगा.
बक्सर में यूरिया की किल्लत को लेकर जिला अधिकारी अमन समीर ने कहा कि कृषि विभाग का अधिकारियों को होलसेल लेकर रिटेलर तक पर नजर रखने के लिए निर्देश दिया गया है. जहां से भी कालाबाजारी करने की सूचना मिल रही है, वहां पर कार्रवाई करते हुए दुकानदारों का लाइसेंस रद्द किया जा रहा है. साथ ही उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की जा रही है. उन्होंने कहा कि अगर जिले में किसी भी दुकानदार की ओर से तय कीमत से अधिक राशि ली जा रही है तो किसान निजी तौर पर भी हमें सूचना दे सकते हैं. सूचना सही होगी तो कार्रवाई से उन दुकानदारों को कोई नहीं बचा सकता है.
प्रदेश के कृषि मंत्री के गृह जिले में यूरिया की कालाबाजारी को लेकर डुमराव विधानसभा क्षेत्र से भाकपा माले विधायक अजीत कुमार सिंह ने कहा कि बड़े पैमाने पर दुकानदारों पर कार्रवाई हो रही है. इससे स्पष्ट हो जाता है कि जिले में यूरिया की कालाबाजारी हो रही है. हैरानी की बात है कि अधिकारी केवल छोटे-छोटे दुकानदारों पर ही कार्रवाई कर रहे हैं लेकिन इस कलाबाजारी के खेल में शामिल उन बड़ी मछलियों को पकड़ने से क्यों प्रशासनिक अधिकारी परहेज कर रहे हैं, इसका जवाब तो वही देंगे. विधायक ने कहा कि केंद्र की सरकार 2022 तक सभी किसानों की आमदनी दोगुनी करने और किसानों के खेतों तक योजना पहुंचाने का जो वादा किया था, वह तो जुमला साबित हो रहा है. आज किसान खाद के लिए यूपी पर निर्भर हैं.
आपको बता दें कि पूरे जिले में 2 लाख 9 हजार किसानों के द्वारा 1 लाख 6 हजार हेक्टेयर भूमि पर रबी फसल की बुवाई की गई है. फसल बुवाई के समय किसानों को डीएपी नहीं मिला और जब किसानों को यूरिया की जरूरत पड़ी तो बाजार से यूरिया ही गायब है. जिस वजह से 266 रुपए बोरी की यूरिया किसान 600 से 700 रुपए में खरीदने को मजबूर हैं.
रबी फसल की बुवाई के लिए 36 हजार मीट्रिक टन यूरिया और 7 हजार 500 मीट्रिक टन डीएपी की प्रत्येक वर्ष जरूरत होती है लेकिन अब तक लगभग 2 हजार मीट्रिक टन यूरिया ही जिले में उपलब्ध हो पाई है. जिनमें से अधिकांश यूरिया इफको के गोदाम में रखी हुई है. किसानों को नहीं मिल पाने के कारण दुकानदार जमकर कालाबाजारी कर रहे हैं.
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