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Buxar News: बक्सर जेल में बंद बीमार कैदी की मौत, परिजनों ने जेल प्रशासन पर लगाया लापरवाही का आरोप

बिहार के बक्सर जेल में बंद बीमार कैदी की मौत इलाज के दौरान हो गई. परिजनों ने जेल प्रशासन पर लापरवाही करने का आरोप लगाया है. परिजनों ने कहा कि इलाज के दौरान खाना पीना नहीं दिया गया, जिस कारण तबियत ज्यादा बिगड़ गई. मृतक हत्या के मामले में जेल में बंद था. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jun 10, 2023, 6:58 PM IST

बक्सरः बिहार के बक्सर जेल में बंद कैदी की मौत (Prisoner Died In Buxar Jail) हो गई. परिजनों ने जेल प्रशासन पर लापरवाही करने का आरोप लगाया है. मृतक की पहचान मुफस्सिल थाना क्षेत्र के पंडितपुर निवासी राजकुमार पांडे के रूप में हुई है, जो हत्या सहित कई मामलों में जेल में बंद था. पिछले साल फरवरी में रोहतास जिले के विक्रमगंज में उसने खुद को सरेंडर कर दिया था. मार्च 2022 में कोर्ट ने सजा सुनाते हुए केंद्रीय कारा भेज दिया था.

यह भी पढ़ेंः Sitamarhi News: मंडल कारा में बंद महिला कैदी की बिगड़ी तबीयत, सदर अस्पताल ले जाने के दौरान हुई मौत


इलाज के क्रम में मौतः शनिवार को सदर अस्पताल बक्सर में इलाज के क्रम में उसकी मौत हो गई. कैदी के परिजनों ने जेल प्रशासन तथा सदर अस्पताल पर गंभीर आरोप लगाते हुए दोनों की कार्यशैली तथा व्यवस्था को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है. परिजनों ने बताया कि 8 जून को इनकी तबियत खराब हुई थी. इलाज हेतु पटना पीएमसीएच ले जाया गया, मगर पटना ले जाने और लाने तक उनको खाने-पीने को कुछ नहीं दिया गया.

लापरवाही का आरोपः परिजनों के अनुसार खाना नहीं देने के कारण उसकी तबियत ज्यादा खराब हो गई. फिर 9 जून को बक्सर सदर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया. यहां भी इलाज में घोर अनियमितता बरती गई. अस्पताल में इलाज हेतु संसाधनों की कमी देखने को मिल रही थी. 10 जून को लापरवाही से मौत हो गई. परिजनों द्वारा बताया गया कि जब कोर्ट द्वारा इनका इलाज पटना में कराने के लिए निर्देशित किया गया था तो फिर बक्सर में क्यों इलाज कराया गया.

"302 का मामला दर्ज था, लेकिन वे निर्दोष थे. डेढ़ साल से जेल में थे. इस दौरान तीन से चार बार अस्पताल में भर्ती हुए हैं. पटना इलाज के लिए ले जाया गया था. इस दौरान खाना पीना नहीं दिया गया. जिससे तबियत और ज्यादा बिगड़ गई. इसी कारण मौत हुई है." -रविशंकर पांडे, मृतक का पुत्र

जेल अधीक्षक ने आरोप को बताया बेबुनियादः इस पूरे मामले में जेल अधीक्षक राजीव कुमार ने परिजनों के आरोप को बेबुनियाद बताया. उन्होंने कहा कि विचाराधीन कैदी उच्च रक्तचाप, मधुमेह, थॉयराइड तथा हॉर्निया जैसे कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे. उनका बेहतर इलाज हेतु पटना भेजा गया था. वहां से इलाज कराकर लौटने के पश्चात इनकी तबियत फिर से खराब हुई, जिसे देखते हुए इन्हें सदर अस्पताल में भर्ती किया गया. इलाज के क्रम में इनकी मौत हो गई.

"परिजनों के लगाए गए आरोप बेबुनियाद है. कैदी गंभीर बीमारियों से पीड़ित था. इसे इलाज के लिए पटना ले जाया गया था. वहां से लौटने के बाद फिर से तबियत बिगड़ गई थी, जिस कारण सदर अस्पताल में भर्ती कराया गा, जहां इलाज के दौरान मौत हो गई." - राजीव कुमार, जेल अधीक्षक

बक्सरः बिहार के बक्सर जेल में बंद कैदी की मौत (Prisoner Died In Buxar Jail) हो गई. परिजनों ने जेल प्रशासन पर लापरवाही करने का आरोप लगाया है. मृतक की पहचान मुफस्सिल थाना क्षेत्र के पंडितपुर निवासी राजकुमार पांडे के रूप में हुई है, जो हत्या सहित कई मामलों में जेल में बंद था. पिछले साल फरवरी में रोहतास जिले के विक्रमगंज में उसने खुद को सरेंडर कर दिया था. मार्च 2022 में कोर्ट ने सजा सुनाते हुए केंद्रीय कारा भेज दिया था.

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इलाज के क्रम में मौतः शनिवार को सदर अस्पताल बक्सर में इलाज के क्रम में उसकी मौत हो गई. कैदी के परिजनों ने जेल प्रशासन तथा सदर अस्पताल पर गंभीर आरोप लगाते हुए दोनों की कार्यशैली तथा व्यवस्था को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है. परिजनों ने बताया कि 8 जून को इनकी तबियत खराब हुई थी. इलाज हेतु पटना पीएमसीएच ले जाया गया, मगर पटना ले जाने और लाने तक उनको खाने-पीने को कुछ नहीं दिया गया.

लापरवाही का आरोपः परिजनों के अनुसार खाना नहीं देने के कारण उसकी तबियत ज्यादा खराब हो गई. फिर 9 जून को बक्सर सदर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया. यहां भी इलाज में घोर अनियमितता बरती गई. अस्पताल में इलाज हेतु संसाधनों की कमी देखने को मिल रही थी. 10 जून को लापरवाही से मौत हो गई. परिजनों द्वारा बताया गया कि जब कोर्ट द्वारा इनका इलाज पटना में कराने के लिए निर्देशित किया गया था तो फिर बक्सर में क्यों इलाज कराया गया.

"302 का मामला दर्ज था, लेकिन वे निर्दोष थे. डेढ़ साल से जेल में थे. इस दौरान तीन से चार बार अस्पताल में भर्ती हुए हैं. पटना इलाज के लिए ले जाया गया था. इस दौरान खाना पीना नहीं दिया गया. जिससे तबियत और ज्यादा बिगड़ गई. इसी कारण मौत हुई है." -रविशंकर पांडे, मृतक का पुत्र

जेल अधीक्षक ने आरोप को बताया बेबुनियादः इस पूरे मामले में जेल अधीक्षक राजीव कुमार ने परिजनों के आरोप को बेबुनियाद बताया. उन्होंने कहा कि विचाराधीन कैदी उच्च रक्तचाप, मधुमेह, थॉयराइड तथा हॉर्निया जैसे कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे. उनका बेहतर इलाज हेतु पटना भेजा गया था. वहां से इलाज कराकर लौटने के पश्चात इनकी तबियत फिर से खराब हुई, जिसे देखते हुए इन्हें सदर अस्पताल में भर्ती किया गया. इलाज के क्रम में इनकी मौत हो गई.

"परिजनों के लगाए गए आरोप बेबुनियाद है. कैदी गंभीर बीमारियों से पीड़ित था. इसे इलाज के लिए पटना ले जाया गया था. वहां से लौटने के बाद फिर से तबियत बिगड़ गई थी, जिस कारण सदर अस्पताल में भर्ती कराया गा, जहां इलाज के दौरान मौत हो गई." - राजीव कुमार, जेल अधीक्षक

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