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बक्सर सदर अस्पताल के सीएस की लाचारी- यहां कोई नहीं सुनता मेरी

मरीज के परिजन बताते हैं कि मैंने अपनी बहु को 5 दिन पहले अस्पताल में भर्ती करवाया था. डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर डिलीवरी कराने की बात कही. लेकिन जब प्रसव पीड़ा शुरू हुआ तो अस्पताल में न तो कोई डॉक्टर था और न ही कोई ओटी सहायक.

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बक्सर सरकारी अस्पताल में सुविधाओं का घोर अभाव
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Published : Dec 14, 2019, 1:11 PM IST

Updated : Dec 14, 2019, 1:25 PM IST

बक्सर: प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल किसी छिपा नहीं है. ये हालात तब है जब केंद्रीय राज्य स्वास्थ्य मंत्री अश्वनी चौबै खुद प्रदेश के निवासी हों. बेहतरी के तमाम दावों के बीच शर्मसार करने वाली हालिया तस्वीर जिले के सदर अस्पताल का है. जहां 5 दिनों से भर्ती गर्भवती महिला मरीज को छोड़कर डॉक्टर और ऑपरेशन करने वाले सहायक छुट्टी पर चले गए. इस दौरान जब प्रसूता को प्रसव पीड़ा शुरू हुआ तो अस्पताल में उपस्थित कर्मियों ने अपने हाथ खड़े कर दिए.

'प्रसव पीड़ा शुरू होने के बाद कर्मियों ने खड़े किए हाथ'
इस बाबत मरीज के परिजन जय भगवान पांडे बताते है कि मैंने अपनी बहु को 5 दिन पहले अस्पताल में भर्ती करवाया था. डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर डिलीवरी कराने की बात कही. लेकिन जब प्रसव पीड़ा शुरू हुआ तो अस्पताल में न तो कोई डॉक्टर था और ना ही कोई ओटी सहायक. इस बात की जानकारी जब अस्पताल में उपस्थित कर्मियों को दी तो उन्होंने अपने हाथ खड़े कर दिए और किसी अन्य अस्पताल में ले जाने की सलाह दी.

बक्सर सरकारी अस्पताल में सुविधाओं का घोर अभाव

'बदहाल अवस्था में अस्पताल'
जय भगवान पांडे ने अस्पताल कर्मियों पर संवेदनहीनता का आरोप लगाते हुए कहा कि अस्पताल में किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं है. उन्होंने बताया कि मामले के बारे में सिविल सर्जन डॉ. उषा किरण को भी अवगत कराया. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. भगवान पांडे बताते है कि अस्पताल में न पेय जल है और ना ही शौचालय. गरीब आदमी इलाज कराने के लिए कहां जाएगा?

बक्सर
डॉ. उषा किरण, सिविल सर्जन

'इस अस्पताल में मेरी कोई नहीं सुनता'
इस मामले पर जिले के सीएस डॉ. उषा किरण ने बताया कि अस्पताल सरकारी है. यहां पर सैकड़ों मरीज इलाज के लिए आते है. विभाग में कर्मियों की कमी है. हमलोग किसी दूसरे अस्पताल में पोस्टेड डॉक्टर को बुलाकर काम चलाते है. जो डॉक्टर यहां पर कार्यरत थे, वे छुट्टी पर चले गए है. यहां पर सबकी अपनी-अपनी मनमानी है. इस अस्पताल में मेरी कोई नहीं सुनता.

बक्सर: प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल किसी छिपा नहीं है. ये हालात तब है जब केंद्रीय राज्य स्वास्थ्य मंत्री अश्वनी चौबै खुद प्रदेश के निवासी हों. बेहतरी के तमाम दावों के बीच शर्मसार करने वाली हालिया तस्वीर जिले के सदर अस्पताल का है. जहां 5 दिनों से भर्ती गर्भवती महिला मरीज को छोड़कर डॉक्टर और ऑपरेशन करने वाले सहायक छुट्टी पर चले गए. इस दौरान जब प्रसूता को प्रसव पीड़ा शुरू हुआ तो अस्पताल में उपस्थित कर्मियों ने अपने हाथ खड़े कर दिए.

'प्रसव पीड़ा शुरू होने के बाद कर्मियों ने खड़े किए हाथ'
इस बाबत मरीज के परिजन जय भगवान पांडे बताते है कि मैंने अपनी बहु को 5 दिन पहले अस्पताल में भर्ती करवाया था. डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर डिलीवरी कराने की बात कही. लेकिन जब प्रसव पीड़ा शुरू हुआ तो अस्पताल में न तो कोई डॉक्टर था और ना ही कोई ओटी सहायक. इस बात की जानकारी जब अस्पताल में उपस्थित कर्मियों को दी तो उन्होंने अपने हाथ खड़े कर दिए और किसी अन्य अस्पताल में ले जाने की सलाह दी.

बक्सर सरकारी अस्पताल में सुविधाओं का घोर अभाव

'बदहाल अवस्था में अस्पताल'
जय भगवान पांडे ने अस्पताल कर्मियों पर संवेदनहीनता का आरोप लगाते हुए कहा कि अस्पताल में किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं है. उन्होंने बताया कि मामले के बारे में सिविल सर्जन डॉ. उषा किरण को भी अवगत कराया. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. भगवान पांडे बताते है कि अस्पताल में न पेय जल है और ना ही शौचालय. गरीब आदमी इलाज कराने के लिए कहां जाएगा?

बक्सर
डॉ. उषा किरण, सिविल सर्जन

'इस अस्पताल में मेरी कोई नहीं सुनता'
इस मामले पर जिले के सीएस डॉ. उषा किरण ने बताया कि अस्पताल सरकारी है. यहां पर सैकड़ों मरीज इलाज के लिए आते है. विभाग में कर्मियों की कमी है. हमलोग किसी दूसरे अस्पताल में पोस्टेड डॉक्टर को बुलाकर काम चलाते है. जो डॉक्टर यहां पर कार्यरत थे, वे छुट्टी पर चले गए है. यहां पर सबकी अपनी-अपनी मनमानी है. इस अस्पताल में मेरी कोई नहीं सुनता.

Intro:केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्वनी कुमार चौबे का संसदीय क्षेत्र के जिलां अस्पताल में फैली कुव्यवस्था से परेशान है,मरीज के परिजन,5 दिनों से भर्ती मरीज को छोड़कर छुटी पर चले गए डॉक्टर,नही हुआ ऑपरेशन


Body:केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में फैली कुव्यवस्था से मरीजों को आये दिनों जूझना पडता है, ताजा मामला बक्सर सदर अस्पताल की है, जहां जय भगवान पांडे अपने बहु की डिलीवरी कराने के लिए 5 दिन पहले अस्पताल में आये थे,आज जैसे ही मरीज को दर्द शुरू हुआ तो जय भगवान पांडेय ने अस्पताल में उपस्थित स्वास्थ्य कर्मियों को इसकी जानकारी दी ,जिसके बाद स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि, अस्पताल में ऑपरेशन करने वाले एवं बेहोश करने वाले डॉक्टर छूटी पर चले गए है,आप अपना मरीज को किसी दूसरे अस्पताल में ले जाइए ,जिसके बाद मरीज के परिजन बक्सर सिविल सर्जन डॉक्टर उषा किरण के कार्यालय में पहुचकर इसकी जानकारी दी,उसके बाद भी अस्पताल प्रशासन के तरफ से कोई व्यवस्था नही किया गया,लगातर कार्यालय की चक्कर लगा रहे मरीज के परिजन जय भगवान पांडेय ने बताया कि, जब हम अपने मरीज को लेकर आये थे,उस समय कहा गया कि मरीज को भर्ती करा दीजिए और आज 4 दिन रखने के बाद जब दर्द शुरू हुआ तो, कहते है,डॉक्टर नही है,दूसरे अस्पताल में ले जाइए, अब हम इस हालात में कहा जाए,न अस्पताल में पानी है,न बाथरूम खुला रहता है,गरीब आदमी आखिर कहा जाए।

byte- जय भगवान पांडेय-मरीज के परिजन

वही इस मामले को लेकर जब बक्सर सिविल सर्जन डॉक्टर उषा किरण से पूछा गया कि आखिर मरीज को भर्ती कराकर सारे डॉक्टर को कैसे छूट दे दी जाती है,तो इन्होंने बताया कि स्वास्थ्य बिभाग में मैन पावर की।काफी कमी है,दूसरे -दूसरे अस्पताल में पोस्टेड डॉक्टर को बुलाकर हम लोग काम चलाते है,जो डॉक्टर यहाँ पदस्थापित थे, वह छूटी पर चले गए है,इस अस्पताल में मेरा कोई सुनता कहा है। सबकी अपनी मनमानी है।

byte- डॉक्टर उषा किरण-सिविल सर्जन बक्सर


Conclusion:हम आपको बताते चले कि यह बक्सर का वही सदर अस्पताल है,जंहा मरीज को ऑपरेशन टेबल पर छोड़कर डॉक्टर बैंक चली जाती है,तो कभी ऑपरेशन थियेटर से कुत्ता पैर लेकर भाग जाता है,उसके बाद भी जब बिभागीय मंत्री अश्वनी कुमार चौबे से इसकी शिकायत की जाती है,तो इस अस्पताल की तुलना वह पटना एम्स से कर अपना पल्ला झाड़ लेते है।
Last Updated : Dec 14, 2019, 1:25 PM IST
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