बक्सरः नगर परिषद क्षेत्र के पॉश इलाके में साढ़े तीन एकड़ में फैला महात्मा गांधी बाजार (बड़ी बाजार) अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. 2 दशक पूर्व तक इस बाजार में बिहार और उत्तर प्रदेश के दर्जनों जिले से सैकड़ों व्यापारी, प्याज एवं सब्जी की खरीदारी करते थे. जिसके कारण लोगों को रोजगार मिलने के अलावा किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए बाजार उपलब्ध था.
नगर परिषद कर्मियों की लापरवाही के कारण अब यह बाजार आवारा पशुओं का रेन बसेरा बन गया है.एक दशक पूर्व तत्कालीन स्थानीय सांसद लाल मुनी चौबे के फंड से 24 लाख रुपये की लागत से बाउंड्री वॉल, जबकि नगर परिषद के द्वारा 18 लाख रुपये की लागत से सेड का निर्माण करवाया गया था. लेकिन विभागीय अधिकारियों एवं ठेकेदारों की मिलीभगत के कारण निर्माण कार्य इतने निम्न स्तर के मेटेरियल से कराया गया कि 2-3 साल बाद ही बाउंड्री वॉल के साथ सेड भी जमींदोज हो गया.
बाजार में स्थानीय लोगों का अतिक्रमण
40 वर्षों से बाजार में सब्जी बेचकर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले व्यापारी राम प्रवेश ने बताया कि इस बाजार को शहर का शेयर मार्केट कहा जाता था. जहां, लोग बाजार के किनारे खड़ा होकर छोटे-छोटे समान को बेचकर सैकड़ों रुपये कुछ ही देर में कमाते थे. उत्तर प्रदेश एवं दूर दराज से आने वाले व्यापारी सामानों की मुंह मांगी कीमत देते थे. लेकिन आज ये बाजार पूरी तरह से बर्बाद हो गया. व्यापारियों ने बताया कि इस बाजार पर कुछ लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है. जिसके कारण गाड़ियों को बाजार के बाहर ही लगाना पड़ता है. इससे जाम की स्थिति बनी रहती है.
युद्ध स्तर पर एक महीने में होगा काम
नगर परिषद के उप मुख्य पार्षद इन्द्र प्रताप सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि एक माह के अंदर बाजार को मूल स्वरूप में लाया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसमें युद्ध स्तर पर काम कराया जाएगा. सभी अतिक्रमणकारियों को वहां से हटाया जाएगा. इस बाजार में कोई भी व्यापारी स्थायी रूप से रहकर व्यापार नहीं करेंगे.
उप मुख्य पार्षद का कहना है कि यह दैनिक बाजार होगा. दिनभर सामानों की बिक्री करने के साथ ही देर शाम तक बाजार को खाली करना होगा. बता दें कि बाजार के सौंदर्यीकरण के नाम पर लाखों रुपए की निकासी होती है बावजूद इसके बाजार की स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है.