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पंचकोसी परिक्रमा यात्रा: जिस भार्गव ऋषि सरोवर में डुबकी लगाएंगे श्रद्धालु, उसमें भरा है गंदा पानी और जलकुंभी

प्रत्येक साल अगहन महीने के पंचमी से पंचकोसी परिक्रमा यात्रा (Panchkosi Parikrama Yatra in Buxar) की शुरुआत होती है. जिसमें भाग लेने के लिए लाखों लोग बक्सर आते हैं, लेकिन दुखद बात है कि जिला प्रशासन की ओर से इस साल इसको लेकर कोई इंतजाम नहीं किया गया है. शुक्रवार को श्रद्धालु जिस भार्गव ऋषि सरोवर (Bhargava Rishi Sarovar of Buxar) में आस्था की डुबकी लगाएंगे, वह जलकुंभी से पटा हुआ है.

भार्गव ऋषि सरोवर में गंदा पानी
भार्गव ऋषि सरोवर में गंदा पानी
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Published : Nov 25, 2021, 11:05 PM IST

बक्सर: बिहार के बक्सर में 24 नवंबर से पांच दिवसीय पंचकोसी परिक्रमा यात्रा (Panchkosi Parikrama Yatra in Buxar) शुरू हो गयी है. पंचकोसी परिक्रमा के तीसरे दिन 26 नवम्बर को श्रद्धालु भार्गव ऋषि के आश्रम भभुअर पहुंचेंगे, लेकिन यहां अबतक कोई भी तैयारी नहीं की गई है. जिस वजह से श्रद्धालुओं को गंदे नाली के पानी से भरे भार्गव ऋषि सरोवर (Bhargava Rishi Sarovar of Buxar) में आस्था की डुबकी लगानी पड़ सकती है. स्थानीय सांसद और केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के बड़े-बड़े होर्डिंग और पोस्टर तो लगाए गए हैं, लेकिन तैयारी नगण्य है.

ये भी पढ़ें: धार्मिक और पर्यटन स्थलों की यात्रा के लिए स्पेशल ट्रेन, जान लें IRCTC का ये पैकेज

दरअसल, भार्गव ऋषि आश्रम के 30 एकड़ में फैले सरोवर पर दबंगों ने कब्जा कर रखा है. राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'जल जीवन हरियाली' से भी इस सरोवर का जीर्णोद्धार नहीं हो पाया है. ग्रामीणों का कहना है कि पैसे देकर गरीबों के वोट खरीदने के लिए ही चुनाव के समय सांसद और विधायक गांव में आते हैं. चुनाव जीतने के बात तो दर्शन दुर्लभ हो जाते हैं.

देखें रिपोर्ट

अगहन मास के पंचमी से विश्व प्रसिद्ध 5 दिवसीय पंचकोशी परिक्रमा यात्रा की शुरुआत माता अहिल्या के आश्रम अहिरौली से हुई थी. जहां उत्तरायणी गंगा में स्नान करने के बाद श्रद्धालुओं ने अहिल्या माता की मंदिर में पूजा पाठ कर पुआ पकवान का भोग लगाया. हालांकि इस साल उत्तरायणी गंगा के तट और मंदिर परिसर की चारों तरफ कचड़े का अंबार लगा हुआ था, जिससे श्रद्धलुओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. जिला प्रशासन की ओर से ना तो साफ-सफाई की व्यवस्था कराया गई थी और ना ही नगर परिषद के अधिकारियों ने इस पर संज्ञान लिया.

इस यात्रा के दूसरे दिन गुरुवार को श्रद्धालु नारद मुनि के आश्रम नदाव पहुंचे, जहां नारद मुनि सरोवर में स्नान करने के बाद मंदिर में पूजा-पाठ कर सत्तू मूली का भोग लगाया. साथ ही इस यात्रा के तीसरे दिन भार्गव ऋषि का आश्रम भभुअर के लिए प्रस्थान करने लगे है. जहां शुक्रवार को भार्गव ऋषि सरोवर में स्नान कर सिद्धाश्रम में परिक्रमा कर दही-चूड़ा का भोग लगाएंगे.

विश्व प्रसिद्ध इस यात्रा को लेकर जिला प्रशासन की तैयारी नगण्य है. भार्गव ऋषि सरोवर में गन्दे नाली का पानी जमा होने के साथ ही पूरा सरोवर जलकुंभी से पटा है. स्थानीय लोग इस बात को लेकर परेशान हैं कि जो हजारों श्रद्धालु आएंगे, वह इस गन्दे नाली के पानी मे कैसे स्नान करेंगे. मंदिर परिसर की चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है. इस आश्रम के सरोवर पर राजनीति में पैठ रखने वाले दबंगों ने कब्जा कर रखा है. ग्रामीणों ने कई बार इसकी लिखित शिकायत की. प्रशासन की तरफ से नोटिस भी भेजा गया, लेकिन सत्ता में बैठे राजनेताओं ने अपने पावर का इस्तेमाल कर नोटिस को हर बार दबवा दिया या फिर उस अधिकारी का ही तबादला करवा दिया.

बक्सर जिला मुख्यालय से मात्र 7 किलोमीटर दूर मुफस्सिल थाना क्षेत्र में स्थित इस गांव का नाम भार्गव ऋषि के द्वारा भभुअर रखा गया था. जहां के ग्रामीणों ने ईटीवी भारत की टीम को बताया कि जब भी लोकसभा, या विधानसभा का चुनाव होता है तो राजनेता के द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर और गरीब तबके के लोगों की एक सूची तैयार की जाती है और मतदान से 1 दिन पहले सभी चिह्नित परिवारों का वोट 1 हजार रुपये में नेता खरीद लेते है. चुनाव जीतकर जब चले जाते है, तो उसके बाद फिर वही फार्मूला लेकर अगले चुनाव में आते हैं. ऐसे में क्षेत्र का विकास कैसे होगा. 52 बीघे में फैले आश्रम के सरोवर पर कब्जा कर लिया गया है.

मंदिर में सोलिंग करने के नाम पर 11 लाख रुपये की राशि की निकासी कर ली गई और बोर्ड भी लगा दिया गया है लेकिन सच्चाई क्या है, यह सभी लोग जानते हैं. एक ईंट भी इस मंदिर में नहीं लगाई गई है. उसके बाद भी दबंगों के डर से पूरा गांव चुप है.

कागज पर राज्य सरकार के महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन हरियाली में 61.11% अंक लाकर बक्सर पूरे प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है, जबकि सार्वजनिक जल संचयन संरचनाओं को चिह्नित कर उसे अतिक्रमण मुक्त कराने में बक्सर जिला के अधिकारी पूरे प्रदेश में दूसरे स्थान पर हैं लेकिन हैरानी की बात है कि प्रशासनिक अधिकारियो की नाक के नीचे बाईपास नहर से लेकर ठोरा नदी में खुद नगर परिषद के अधिकारी कूड़ा डंप करा रहे हैं.

शहर के बीचों-बीच बसाव मठिया के पास सरकारी तलाब पर ही नहीं अंग्रेज कब्रिस्तान के पास सरकारी पोखरे पर जन प्रतिनिधि और अन्य राजनेताओं ने बड़ी-बड़ी इमारत खड़ी कर ली है, जिसे खाली कराना तो दूर प्रशासनिक अधिकारी नोटिस भेजने की हिम्मत भी नही जुटा पाते हैं. उसके बाद यह दावा किया जा रहा है कि सरकार की शत प्रतिशत योजनाओं को जमीन पर उतार दिया गया है. यही कारण है कि दबंग धीरे- धीरे मठ मंदिर की जमीन पर कब्जा करते जा रहे हैं और प्रशासनिक अधिकारी गरीबों की झोपड़ी उजाड़कर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं.

वहीं अगर हम पंचकोसी परिक्रमा यात्रा की बात करें तो कहा जाता है कि, त्रेता युग में जब भगवान श्रीराम अपने भ्राता लक्ष्मण और ऋषि विश्वामित्र के साथ बक्सर पधारे थे, उस समय बक्सर में ताड़का, सुबाहू, मारीच आदि राक्षसों का आतंक था. इन राक्षसों का वधकर भगवान राम ने ऋषि विश्वामित्र से यहां शिक्षा ग्रहण किया था. ताड़का राक्षसी का वध करने के बाद भगवान राम ने नारी हत्या दोष से मुक्ति पाने के लिए अपने भ्राता लक्ष्मण और ऋषि विश्वामित्र के साथ 5 कोस की यात्रा प्रारम्भ की.

वे अपने इस यात्रा के पहले पड़ाव में गौतम ऋषि के आश्रम अहिरौली पहुंचे, जहां पत्थर रूपी अहिल्या को अपने चरणों से स्पर्श कर उनका उद्धार किया. उत्तरायणी गंगा में स्नान कर पुआ पकवान खाया. वहां से अपनी इस यात्रा के दूसरे पड़ाव में नारद मुनि का आश्रम नदाव पहुंचे, जहां सरोवर में स्नान करने के बाद सत्तू और मूली का उन्होंने भोग लगाया. इसी तरह तीसरे पड़ाव में भार्गव ऋषि का आश्रम भभुअर, चौथे पड़ाव में उद्दालक ऋषि का आश्रम उनवास और अपनी इस यात्रा के पांचवें एवं अंतिम पड़ाव में चरित्र वन बक्सर में पहुंचकर उन्होंने लिट्टी-चोखा का भोग लगाया. उस समय से ही इस परंपरा का निर्वहन लोग करते आए हैं.

ये भी पढ़ें: बिहार में भी बढ़ सकती है सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध की समय-सीमा, पर्यावरण मंत्री ने दिए संकेत

प्रत्येक साल अगहन महीने के पंचमी से इस यात्रा की शुरुआत होती है, जिसमें भाग लेने के लिए लाखों लोग बक्सर आते हैं लेकिन जिला प्रशासन के द्वारा इस साल इस यात्रा को लेकर कोई इंतजाम नहीं किया गया है. जिस वजह से स्थानीय लोगों में घोर नाराजगी है.

आपको बताएं कि 24 नवंबर से शुरू हुई पंचकोसी परिक्रमा यात्रा के पहले पड़ाव मे श्रद्धालु माता अहिल्या के आश्रम अहिरौली पहुंचे थे. उत्तरायणी गंगा में स्नान करने के बाद माता अहिल्या के मंदिर में दीप जलाकर पूजा-पाठ करने के साथ ही पुआ पकवान का भोग लगाया. 25 नवंबर को श्रद्धालुओं ने नारद मुनि के आश्रम नदाव में पूजा-पाठ कर सत्तु-मूली का भोग लगाया. चौथे दिन 27 नवंबर को उद्दालक ऋषि का आश्रम उनवास एवं इस यात्रा के अंतिम पड़ाव में 28 नवंबर को श्रद्धालु बक्सर के चरित्र वन में पहुंचकर उत्तरायणी गंगा में स्नान कर लिट्टी-चोखा का भोग लगाने के साथ ही इस यात्रा की समापन करेंगे.

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बक्सर: बिहार के बक्सर में 24 नवंबर से पांच दिवसीय पंचकोसी परिक्रमा यात्रा (Panchkosi Parikrama Yatra in Buxar) शुरू हो गयी है. पंचकोसी परिक्रमा के तीसरे दिन 26 नवम्बर को श्रद्धालु भार्गव ऋषि के आश्रम भभुअर पहुंचेंगे, लेकिन यहां अबतक कोई भी तैयारी नहीं की गई है. जिस वजह से श्रद्धालुओं को गंदे नाली के पानी से भरे भार्गव ऋषि सरोवर (Bhargava Rishi Sarovar of Buxar) में आस्था की डुबकी लगानी पड़ सकती है. स्थानीय सांसद और केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के बड़े-बड़े होर्डिंग और पोस्टर तो लगाए गए हैं, लेकिन तैयारी नगण्य है.

ये भी पढ़ें: धार्मिक और पर्यटन स्थलों की यात्रा के लिए स्पेशल ट्रेन, जान लें IRCTC का ये पैकेज

दरअसल, भार्गव ऋषि आश्रम के 30 एकड़ में फैले सरोवर पर दबंगों ने कब्जा कर रखा है. राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'जल जीवन हरियाली' से भी इस सरोवर का जीर्णोद्धार नहीं हो पाया है. ग्रामीणों का कहना है कि पैसे देकर गरीबों के वोट खरीदने के लिए ही चुनाव के समय सांसद और विधायक गांव में आते हैं. चुनाव जीतने के बात तो दर्शन दुर्लभ हो जाते हैं.

देखें रिपोर्ट

अगहन मास के पंचमी से विश्व प्रसिद्ध 5 दिवसीय पंचकोशी परिक्रमा यात्रा की शुरुआत माता अहिल्या के आश्रम अहिरौली से हुई थी. जहां उत्तरायणी गंगा में स्नान करने के बाद श्रद्धालुओं ने अहिल्या माता की मंदिर में पूजा पाठ कर पुआ पकवान का भोग लगाया. हालांकि इस साल उत्तरायणी गंगा के तट और मंदिर परिसर की चारों तरफ कचड़े का अंबार लगा हुआ था, जिससे श्रद्धलुओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. जिला प्रशासन की ओर से ना तो साफ-सफाई की व्यवस्था कराया गई थी और ना ही नगर परिषद के अधिकारियों ने इस पर संज्ञान लिया.

इस यात्रा के दूसरे दिन गुरुवार को श्रद्धालु नारद मुनि के आश्रम नदाव पहुंचे, जहां नारद मुनि सरोवर में स्नान करने के बाद मंदिर में पूजा-पाठ कर सत्तू मूली का भोग लगाया. साथ ही इस यात्रा के तीसरे दिन भार्गव ऋषि का आश्रम भभुअर के लिए प्रस्थान करने लगे है. जहां शुक्रवार को भार्गव ऋषि सरोवर में स्नान कर सिद्धाश्रम में परिक्रमा कर दही-चूड़ा का भोग लगाएंगे.

विश्व प्रसिद्ध इस यात्रा को लेकर जिला प्रशासन की तैयारी नगण्य है. भार्गव ऋषि सरोवर में गन्दे नाली का पानी जमा होने के साथ ही पूरा सरोवर जलकुंभी से पटा है. स्थानीय लोग इस बात को लेकर परेशान हैं कि जो हजारों श्रद्धालु आएंगे, वह इस गन्दे नाली के पानी मे कैसे स्नान करेंगे. मंदिर परिसर की चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है. इस आश्रम के सरोवर पर राजनीति में पैठ रखने वाले दबंगों ने कब्जा कर रखा है. ग्रामीणों ने कई बार इसकी लिखित शिकायत की. प्रशासन की तरफ से नोटिस भी भेजा गया, लेकिन सत्ता में बैठे राजनेताओं ने अपने पावर का इस्तेमाल कर नोटिस को हर बार दबवा दिया या फिर उस अधिकारी का ही तबादला करवा दिया.

बक्सर जिला मुख्यालय से मात्र 7 किलोमीटर दूर मुफस्सिल थाना क्षेत्र में स्थित इस गांव का नाम भार्गव ऋषि के द्वारा भभुअर रखा गया था. जहां के ग्रामीणों ने ईटीवी भारत की टीम को बताया कि जब भी लोकसभा, या विधानसभा का चुनाव होता है तो राजनेता के द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर और गरीब तबके के लोगों की एक सूची तैयार की जाती है और मतदान से 1 दिन पहले सभी चिह्नित परिवारों का वोट 1 हजार रुपये में नेता खरीद लेते है. चुनाव जीतकर जब चले जाते है, तो उसके बाद फिर वही फार्मूला लेकर अगले चुनाव में आते हैं. ऐसे में क्षेत्र का विकास कैसे होगा. 52 बीघे में फैले आश्रम के सरोवर पर कब्जा कर लिया गया है.

मंदिर में सोलिंग करने के नाम पर 11 लाख रुपये की राशि की निकासी कर ली गई और बोर्ड भी लगा दिया गया है लेकिन सच्चाई क्या है, यह सभी लोग जानते हैं. एक ईंट भी इस मंदिर में नहीं लगाई गई है. उसके बाद भी दबंगों के डर से पूरा गांव चुप है.

कागज पर राज्य सरकार के महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन हरियाली में 61.11% अंक लाकर बक्सर पूरे प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है, जबकि सार्वजनिक जल संचयन संरचनाओं को चिह्नित कर उसे अतिक्रमण मुक्त कराने में बक्सर जिला के अधिकारी पूरे प्रदेश में दूसरे स्थान पर हैं लेकिन हैरानी की बात है कि प्रशासनिक अधिकारियो की नाक के नीचे बाईपास नहर से लेकर ठोरा नदी में खुद नगर परिषद के अधिकारी कूड़ा डंप करा रहे हैं.

शहर के बीचों-बीच बसाव मठिया के पास सरकारी तलाब पर ही नहीं अंग्रेज कब्रिस्तान के पास सरकारी पोखरे पर जन प्रतिनिधि और अन्य राजनेताओं ने बड़ी-बड़ी इमारत खड़ी कर ली है, जिसे खाली कराना तो दूर प्रशासनिक अधिकारी नोटिस भेजने की हिम्मत भी नही जुटा पाते हैं. उसके बाद यह दावा किया जा रहा है कि सरकार की शत प्रतिशत योजनाओं को जमीन पर उतार दिया गया है. यही कारण है कि दबंग धीरे- धीरे मठ मंदिर की जमीन पर कब्जा करते जा रहे हैं और प्रशासनिक अधिकारी गरीबों की झोपड़ी उजाड़कर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं.

वहीं अगर हम पंचकोसी परिक्रमा यात्रा की बात करें तो कहा जाता है कि, त्रेता युग में जब भगवान श्रीराम अपने भ्राता लक्ष्मण और ऋषि विश्वामित्र के साथ बक्सर पधारे थे, उस समय बक्सर में ताड़का, सुबाहू, मारीच आदि राक्षसों का आतंक था. इन राक्षसों का वधकर भगवान राम ने ऋषि विश्वामित्र से यहां शिक्षा ग्रहण किया था. ताड़का राक्षसी का वध करने के बाद भगवान राम ने नारी हत्या दोष से मुक्ति पाने के लिए अपने भ्राता लक्ष्मण और ऋषि विश्वामित्र के साथ 5 कोस की यात्रा प्रारम्भ की.

वे अपने इस यात्रा के पहले पड़ाव में गौतम ऋषि के आश्रम अहिरौली पहुंचे, जहां पत्थर रूपी अहिल्या को अपने चरणों से स्पर्श कर उनका उद्धार किया. उत्तरायणी गंगा में स्नान कर पुआ पकवान खाया. वहां से अपनी इस यात्रा के दूसरे पड़ाव में नारद मुनि का आश्रम नदाव पहुंचे, जहां सरोवर में स्नान करने के बाद सत्तू और मूली का उन्होंने भोग लगाया. इसी तरह तीसरे पड़ाव में भार्गव ऋषि का आश्रम भभुअर, चौथे पड़ाव में उद्दालक ऋषि का आश्रम उनवास और अपनी इस यात्रा के पांचवें एवं अंतिम पड़ाव में चरित्र वन बक्सर में पहुंचकर उन्होंने लिट्टी-चोखा का भोग लगाया. उस समय से ही इस परंपरा का निर्वहन लोग करते आए हैं.

ये भी पढ़ें: बिहार में भी बढ़ सकती है सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध की समय-सीमा, पर्यावरण मंत्री ने दिए संकेत

प्रत्येक साल अगहन महीने के पंचमी से इस यात्रा की शुरुआत होती है, जिसमें भाग लेने के लिए लाखों लोग बक्सर आते हैं लेकिन जिला प्रशासन के द्वारा इस साल इस यात्रा को लेकर कोई इंतजाम नहीं किया गया है. जिस वजह से स्थानीय लोगों में घोर नाराजगी है.

आपको बताएं कि 24 नवंबर से शुरू हुई पंचकोसी परिक्रमा यात्रा के पहले पड़ाव मे श्रद्धालु माता अहिल्या के आश्रम अहिरौली पहुंचे थे. उत्तरायणी गंगा में स्नान करने के बाद माता अहिल्या के मंदिर में दीप जलाकर पूजा-पाठ करने के साथ ही पुआ पकवान का भोग लगाया. 25 नवंबर को श्रद्धालुओं ने नारद मुनि के आश्रम नदाव में पूजा-पाठ कर सत्तु-मूली का भोग लगाया. चौथे दिन 27 नवंबर को उद्दालक ऋषि का आश्रम उनवास एवं इस यात्रा के अंतिम पड़ाव में 28 नवंबर को श्रद्धालु बक्सर के चरित्र वन में पहुंचकर उत्तरायणी गंगा में स्नान कर लिट्टी-चोखा का भोग लगाने के साथ ही इस यात्रा की समापन करेंगे.

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