औरंगाबाद: जिले के नबीनगर प्रखण्ड के जोबे गांव के जिस जमीन को गांव वाले ऊसर समझकर पिछले 10 वर्षों से लोगों ने परती छोड़ दिया था. उसी जमीन पर डीएवी स्कूल की शिक्षिका और गांव की बेटी मंजू कुमारी ने अपने पति के साथ मिलकर नकदी फसल केले की खेती करके सबको चकित कर दिया है. धान, गेहूं और दलहन की फसल उपजाने वाले किसानों के खेतों के बीच में केले की लहलहाती फसल को देखकर आसपास के लोग चौंक जाते हैं.
कौन है मंजू कुमारी ?
मंजू कुमारी औरंगाबाद जिले के नवीनगर प्रखंड के जोबे गांव के किसान अंबिका सिंह की पुत्री है. जो नबीनगर स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल में शिक्षिका के तौर पर पदस्थापित हैं. वह अपने पति प्रमोद कुमार सिंह की सहायता से इस केले की खेती को बखूबी अंजाम दे रही हैं.
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बिहार सरकार की उद्यानिकी विभाग करेगी मदद
इस खेती में उन्हें जिला उद्यानिकी विभाग बिहार सरकार द्वारा भी मदद मिली है. उद्यानिकी विभाग ने उन्हें सब्सिडी दर पर पौधे उपलब्ध कराए हैं. पहली फसल में ही 6 लाख 40 हजार की फसल का उत्पादन हुआ है.
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खेती में पहले साल बोरिंग पंपसेट फेल हो जाने के कारण कुछ हासिल नहीं हुआ. अधिकतर पौधे सिंचाई के अभाव में सूख गए थे. लेकिन, दूसरे ही साल से लगातार फसल अच्छी होने लगी. केले की फसल का पहला उत्पादन 2000 घौद(बंच) के रूप में प्राप्त हुआ जो कि धान और गेहूं की फसल से काफी ज्यादा कीमत दे रहा था. एक घौद में लगभग 20 किलोग्राम केले थे और 16 से 17 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से केले को व्यापारियों ने बगान से जाकर उठाया था. -प्रमोद कुमार सिंह, प्रगतिशील किसान
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जब बेटी और दामाद ने केले की की खेती शुरू की थी तो धान और गेहूं की खेती करने वाले क्षेत्र के किसान उनकी इस पहल का मजाक उड़ा रहे थे. लेकिन अब उन्हें इस बात की खुशी होती है कि आसपास के किसान अब उनसे केले की खेती सीखने आ रहे हैं. यह उन किसानों के हक में ही होगा जब धान की उचित कीमत नहीं मिलने से औने पौने भाव मे बेचने को मजबूर हो जाते थे. स्थानीय किसान भी नकदी फसल की ओर आकर्षित हो रहे हैं.- मंजू कुमारी के पिता
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