औरंगाबाद: जिले में आसमान आग उगल रहा है, तापमान 45 डिग्री तक पहुंच चुका है. इस तपिश वाली गर्मी ने अब तक 39 लोगों की जान ले चुकी है. बावजूद इसके किसान गेहूं के खेतों में आग लगा रहे हैं. सूखे की मार झेल रहे ये किसान इस गैरकानूनी काम को कर रहे हैं. इस कारण पर्यावरण के साथ-साथ जीव-जन्तुओं को भी नुकसान पहुंच रहा है.
कटाई के बाद बच जाते हैं डंठल
दरअसल, जिले के ज्यादातर इलाकों में प्रमुख फसल के रूप में गेहूं की खेती होती है. गेहूं की खेती में पहले दैनिक मजदूर हाथ से कटाई करते थे और फसल को खलिहान में ले जाते थे. लेकिन आजकल गेहूं की कटाई हार्वेस्टर से हो रही है और हार्वेस्टर से कटाई के दौरान डंठल को आधे पर ही हार्वेस्टर काटता है. एक तरफ गेहूं को साफ करके निकालता है और डंठल को वहीं गिरा देता है .
डंठल को जला देते हैं किसान
गिरे हुए डंठल और खेत में आधे पर लगे हुए डंठल को साफ करने के बजाए, किसान आग लगा रहे हैं. इन डंठलों के आग से तापमान में भारी वृद्धि हो रही है और इससे उठने वाले धुएं से वातावरण भी दूषित हो रहा है. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में जगह-जगह अगलगी की घटनाएं भी इन्हीं कारणों से घट रही हैं.
जिला प्रशासन ने लगाई है रोक
जिला प्रशासन ने इन गतिविधियों पर कानूनन रोक लगा दी है. लेकिन जिला प्रशासन की रोक के बाद भी किसानों द्वारा खेतों में डंठल जलाने की प्रक्रिया लगातार जारी है.
इस बारे में एक किसान ने बताया कि वे लोग तो प्रगतिशील किसान हैं. वे डंठल को खेत में ही बरसात के दिनों में सड़ा कर कंपोस्ट तैयार करते हैं. लेकिन जो किसान जल्दी में रहते हैं वह अपने खेतों में आग लगाकर डंठल को जलाते हैं. यह कानूनी रूप से गलत है और साथ ही यह खेत की उर्वरा क्षमता भी प्रभावित करता है. बावजूद इसके किसान नहीं मान रहे हैं.
क्या है समाधान
किसानों का कहना है कि डंठलों को जलाने के बजाय उसे धान रोपने से 15 दिन पहले खेतों में जुताई के समय सड़ा देना चाहिए. ऐसा करने से वह एक बेहतर कंपोस्ट के रूप में मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ाएगा. जिससे कई फायदे होंगे. साथ ही मिट्टी की उर्वरा क्षमता बढ़ेगी, पर्यावरण प्रदूषण भी नहीं होगा और आग लगने से वातावरण का तापमान में वृद्धि और अगलगी की घटनाओं में भी कमी आएगी.
कहते हैं अधिकारी
इधर, जिला कृषि पदाधिकारी राजेश प्रताप सिंह ने बताया कि इस तरह की गतिविधियों को पूरी तरह से जिले में रोकने की कोशिश की जा रही है. इसके लिए किसानों को जागरूक भी किया जा रहा है. उन्हें चेतावनी भी दी जा रही है. उसके बाद भी अगर कोई किसान इस तरह की गतिविधियों में शामिल पाया जाएगा तो उन्हें कृषि विभाग द्वारा दिए जाने वाले प्रत्येक लाभ से वंचित कर दिया जाएगा.