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नियमों को अनदेखा कर किसान खेतों में जला रहे हैं पराली, प्रशासन ने दी चेतावनी

जिले के किसान पने खेतों में आग लगाकर डंठल को जलाते हैं. जिससे पार्यवरण के साथ-साथ जीव-जन्तुओं को भी नुकसान पहुंच रहा है.

खेतों में आग
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Published : Jun 16, 2019, 7:44 PM IST

Updated : Jun 16, 2019, 9:02 PM IST

औरंगाबाद: जिले में आसमान आग उगल रहा है, तापमान 45 डिग्री तक पहुंच चुका है. इस तपिश वाली गर्मी ने अब तक 39 लोगों की जान ले चुकी है. बावजूद इसके किसान गेहूं के खेतों में आग लगा रहे हैं. सूखे की मार झेल रहे ये किसान इस गैरकानूनी काम को कर रहे हैं. इस कारण पर्यावरण के साथ-साथ जीव-जन्तुओं को भी नुकसान पहुंच रहा है.

कटाई के बाद बच जाते हैं डंठल
दरअसल, जिले के ज्यादातर इलाकों में प्रमुख फसल के रूप में गेहूं की खेती होती है. गेहूं की खेती में पहले दैनिक मजदूर हाथ से कटाई करते थे और फसल को खलिहान में ले जाते थे. लेकिन आजकल गेहूं की कटाई हार्वेस्टर से हो रही है और हार्वेस्टर से कटाई के दौरान डंठल को आधे पर ही हार्वेस्टर काटता है. एक तरफ गेहूं को साफ करके निकालता है और डंठल को वहीं गिरा देता है .

aurangabad
खेतों में आग

डंठल को जला देते हैं किसान
गिरे हुए डंठल और खेत में आधे पर लगे हुए डंठल को साफ करने के बजाए, किसान आग लगा रहे हैं. इन डंठलों के आग से तापमान में भारी वृद्धि हो रही है और इससे उठने वाले धुएं से वातावरण भी दूषित हो रहा है. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में जगह-जगह अगलगी की घटनाएं भी इन्हीं कारणों से घट रही हैं.

aurangabad
जला हआ खेत

जिला प्रशासन ने लगाई है रोक
जिला प्रशासन ने इन गतिविधियों पर कानूनन रोक लगा दी है. लेकिन जिला प्रशासन की रोक के बाद भी किसानों द्वारा खेतों में डंठल जलाने की प्रक्रिया लगातार जारी है.
इस बारे में एक किसान ने बताया कि वे लोग तो प्रगतिशील किसान हैं. वे डंठल को खेत में ही बरसात के दिनों में सड़ा कर कंपोस्ट तैयार करते हैं. लेकिन जो किसान जल्दी में रहते हैं वह अपने खेतों में आग लगाकर डंठल को जलाते हैं. यह कानूनी रूप से गलत है और साथ ही यह खेत की उर्वरा क्षमता भी प्रभावित करता है. बावजूद इसके किसान नहीं मान रहे हैं.

राजेश प्रताप सिंह, जिला कृषि पदाधिकारी

क्या है समाधान
किसानों का कहना है कि डंठलों को जलाने के बजाय उसे धान रोपने से 15 दिन पहले खेतों में जुताई के समय सड़ा देना चाहिए. ऐसा करने से वह एक बेहतर कंपोस्ट के रूप में मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ाएगा. जिससे कई फायदे होंगे. साथ ही मिट्टी की उर्वरा क्षमता बढ़ेगी, पर्यावरण प्रदूषण भी नहीं होगा और आग लगने से वातावरण का तापमान में वृद्धि और अगलगी की घटनाओं में भी कमी आएगी.

कहते हैं अधिकारी
इधर, जिला कृषि पदाधिकारी राजेश प्रताप सिंह ने बताया कि इस तरह की गतिविधियों को पूरी तरह से जिले में रोकने की कोशिश की जा रही है. इसके लिए किसानों को जागरूक भी किया जा रहा है. उन्हें चेतावनी भी दी जा रही है. उसके बाद भी अगर कोई किसान इस तरह की गतिविधियों में शामिल पाया जाएगा तो उन्हें कृषि विभाग द्वारा दिए जाने वाले प्रत्येक लाभ से वंचित कर दिया जाएगा.

औरंगाबाद: जिले में आसमान आग उगल रहा है, तापमान 45 डिग्री तक पहुंच चुका है. इस तपिश वाली गर्मी ने अब तक 39 लोगों की जान ले चुकी है. बावजूद इसके किसान गेहूं के खेतों में आग लगा रहे हैं. सूखे की मार झेल रहे ये किसान इस गैरकानूनी काम को कर रहे हैं. इस कारण पर्यावरण के साथ-साथ जीव-जन्तुओं को भी नुकसान पहुंच रहा है.

कटाई के बाद बच जाते हैं डंठल
दरअसल, जिले के ज्यादातर इलाकों में प्रमुख फसल के रूप में गेहूं की खेती होती है. गेहूं की खेती में पहले दैनिक मजदूर हाथ से कटाई करते थे और फसल को खलिहान में ले जाते थे. लेकिन आजकल गेहूं की कटाई हार्वेस्टर से हो रही है और हार्वेस्टर से कटाई के दौरान डंठल को आधे पर ही हार्वेस्टर काटता है. एक तरफ गेहूं को साफ करके निकालता है और डंठल को वहीं गिरा देता है .

aurangabad
खेतों में आग

डंठल को जला देते हैं किसान
गिरे हुए डंठल और खेत में आधे पर लगे हुए डंठल को साफ करने के बजाए, किसान आग लगा रहे हैं. इन डंठलों के आग से तापमान में भारी वृद्धि हो रही है और इससे उठने वाले धुएं से वातावरण भी दूषित हो रहा है. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में जगह-जगह अगलगी की घटनाएं भी इन्हीं कारणों से घट रही हैं.

aurangabad
जला हआ खेत

जिला प्रशासन ने लगाई है रोक
जिला प्रशासन ने इन गतिविधियों पर कानूनन रोक लगा दी है. लेकिन जिला प्रशासन की रोक के बाद भी किसानों द्वारा खेतों में डंठल जलाने की प्रक्रिया लगातार जारी है.
इस बारे में एक किसान ने बताया कि वे लोग तो प्रगतिशील किसान हैं. वे डंठल को खेत में ही बरसात के दिनों में सड़ा कर कंपोस्ट तैयार करते हैं. लेकिन जो किसान जल्दी में रहते हैं वह अपने खेतों में आग लगाकर डंठल को जलाते हैं. यह कानूनी रूप से गलत है और साथ ही यह खेत की उर्वरा क्षमता भी प्रभावित करता है. बावजूद इसके किसान नहीं मान रहे हैं.

राजेश प्रताप सिंह, जिला कृषि पदाधिकारी

क्या है समाधान
किसानों का कहना है कि डंठलों को जलाने के बजाय उसे धान रोपने से 15 दिन पहले खेतों में जुताई के समय सड़ा देना चाहिए. ऐसा करने से वह एक बेहतर कंपोस्ट के रूप में मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ाएगा. जिससे कई फायदे होंगे. साथ ही मिट्टी की उर्वरा क्षमता बढ़ेगी, पर्यावरण प्रदूषण भी नहीं होगा और आग लगने से वातावरण का तापमान में वृद्धि और अगलगी की घटनाओं में भी कमी आएगी.

कहते हैं अधिकारी
इधर, जिला कृषि पदाधिकारी राजेश प्रताप सिंह ने बताया कि इस तरह की गतिविधियों को पूरी तरह से जिले में रोकने की कोशिश की जा रही है. इसके लिए किसानों को जागरूक भी किया जा रहा है. उन्हें चेतावनी भी दी जा रही है. उसके बाद भी अगर कोई किसान इस तरह की गतिविधियों में शामिल पाया जाएगा तो उन्हें कृषि विभाग द्वारा दिए जाने वाले प्रत्येक लाभ से वंचित कर दिया जाएगा.

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औरंगाबाद
जिले में धान के बिचड़े डाले जा रहे हैं। लेकिन खेतों में आग लगाने का गैरकानूनी काम आज भी जारी है। गेंहू के खेतों में
हार्वेस्टर से कटाई के बाद डंठल बच जाते हैं उन डंठलों में किसान आग लगा रहे हैं । आग लगाने से बहुत नुकसान है । एक तो पर्यावरण को नुकसान है दूसरे पशुओं की चारा की भी काफी कमी हो रही है। वातावरण में गर्मी अचानक बढ़ गई है, किसान फिर भी नहीं मान रहे हैं। जिला प्रशासन ने डंठल में आग लगाने पूरी तरह से रोक लगा रखी है। इसके बाद भी किसान बड़ी संख्या में खेतों में आग लगा रहे हैं।


Body:जिले में बारिश भी नहीं हो नहीं रही है । आसमान से सूरज आग बरसा रहा है। तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक चला जा रहा है लेकिन ऐसे में भी गेहूं के खेतों में किसान आग लगा रहे हैं। आग लगाने से आसपास के तापमान में अचानक वृद्धि हो जा रही है। खेतों में गेहूं के डंठल जलाने के लिए लगाए जा रहे आग से घरों में आग फैल रहे हैं ।
औरंगाबाद जिले के ज्यादातर इलाकों में प्रमुख फसल के रूप में रबी के मौसम में गेहूं की खेती होती है । गेहूं की खेती में पहले दैनिक मजदूर हाथ से कटाई करते थे और फसल को खलिहान में ले जाते थे । आजकल गेहूं की कटाई हार्वेस्टर से हो रही है और हार्वेस्टर से कटाई के दौरान डंठल को आधे पर ही हार्वेस्टर काटता है। एक तरफ गेहूं को साफ करके निकालता है और डंठल को वहीं गिरा देता है ।

गिरे हुए डंठल और खेत में आधे पर लगे हुए डंठल को साफ करने के बजाए, किसान आग लगा रहे हैं। इन डंठलों के आग से तापमान में भारी वृद्धि हो रही है और इससे उठने वाले धुएं से वातावरण भी दूषित हो रहा है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में जगह-जगह अगलगी की घटनाएं भी इन्हीं कारणों से घट रही हैं।

जिला प्रशासन ने इन गतिविधियों पर कानूनन रोक लगा दी है। लेकिन जिला प्रशासन के रोक के बाद भी जिले में किसानों द्वारा खेतों में डंठल जलाने की प्रक्रिया बेरोकटोक, बिना किसी डर के जारी है ।

इस संबंध में जो हमने किसानों से चर्चा की तो किसान कमल किशोर सिंह ने बताया कि वे लोग तो प्रगतिशील किसान हैं। वे डंठल को खेत में ही बरसात के दिनों में सड़ा कर कंपोस्ट तैयार करते हैं। लेकिन जो किसान जल्दी में रहते हैं वह अपने खेतों में आग लगाकर डंठल को जलाते हैं । यह कानून भी गलत है और खेत की उर्वरा क्षमता भी प्रभावित करता है । लाख कोशिश के बावजूद भी किसान मान नहीं रहे हैं ।

कहते हैं अधिकारी
जिला कृषि पदाधिकारी राजेश प्रताप सिंह ने बताया कि इस तरह की गतिविधियों को पूरी तरह से जिले में रोकने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए किसानों को जागरुक भी किया जा रहा है। उन्हें चेतावनी भी दी जा रही है। उसके बाद भी अगर कोई किसान इस तरह की गतिविधियों में शामिल होता पाया जाएगा तो उन्हें कृषि विभाग द्वारा दिए जाने वाले प्रत्येक लाभ से वंचित कर दिया जाएगा।

क्या है समाधान
किसान कमल किशोर बताते हैं कि डंठलों को जलाने के बजाय उसे धान रोपने से 15 दिन पहले खेतों में जुताई के समय सड़ा देना चाहिए। ऐसा करने से वह एक बेहतर कंपोस्ट के रूप में मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ाएगा जिससे कई फायदे होंगे । मिट्टी की उर्वरा क्षमता बढ़ेगी, पर्यावरण प्रदूषण भी नहीं होगा और आग लगने से वातावरण का तापमान में वृद्धि और अगलगी की घटनाओं में भी कमी आएगी। किसानों को सफल बनाने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है।



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Last Updated : Jun 16, 2019, 9:02 PM IST
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