औरंगाबाद: जिले में सदर अस्पताल की स्थिति बद से बदतर हो गई है. कहने को तो सदर अस्पताल को मॉडल अस्पताल का दर्जा प्राप्त है. लेकिन उसके अनुसार यहां मरीजों को मिलने वाली सुविधाएं पर्याप्त नहीं है. अगर अस्पताल को देखा जाए तो सबसे बुरी स्थिति प्रसव वार्ड की है, जहां महज 20 बेड पर ही गर्भवती महिलाओं का इलाज किया जाता है.
प्रसव के बाद फर्श पर रहने को मजबूर
स्थानीय लोगों ने अस्पताल की व्यवस्था पर प्रश्न उठाया है कि पूरे जिले से प्रसव कराने आने वाली महिलाओं को प्रसव के उपरांत कैसे बेड मिलेगा. यह भगवान भरोसे ही है. कभी-कभी तो यहां ऐसी स्थिति हो जाती है कि जच्चा और बच्चा दोनों को फर्श पर ही रहने को मजबूर होना पड़ता है. बता दें कि शनिवार को सदर अस्पताल के प्रसव वार्ड में एक महिला को प्रसव के बाद बेड नहीं मिला. इसके बाद मजबूरन महिला को जमीन पर ही लेटना पड़ा. उन्होंने कहा कि ऐसे में पूरे जिले से प्रसव कराने आने वाली महिलाओं को प्रसव के बाद बेड कैसे मिलेगा, यह कहना बहुत मुश्किल है.
उपाधीक्षक ने कहा- जल्द होगा समाधान
देव प्रखंड के खरकनी गांव से आई रीना देवी को बेड के अभाव में प्रसव के बाद अपने नवजात के साथ फर्श पर ही लेटना पड़ा. परिजनों के मुताबिक रीना देवी प्रसव कराने शनिवार की सुबह सदर अस्पताल पहुंची थी, जहां प्रसव के बाद रीना ने एक बच्चे को जन्म दिया. इसके बाद जब रीना के परिजनों ने वहां मौजूद नर्सों से बेड की मांग की तो नर्सों ने चुप्पी साध ली. वहीं, इस बारे में जब सदर अस्पताल के उपाधीक्षक से बात की गयी तो उन्होंने बेड की कमी का हवाला देते हुए जल्द ही इसका समाधान करने की बात कही है.