औरंगाबाद: जिले के दाउदनगर शहर सैकड़ों साल से अपनी अलग पहचान लिए खड़ा है. जहां कई इतिहास और संस्कृति दफन है. यहां इंसान और जानवरों में भी फर्क नहीं किया जाता है. दरअसल, एक लंगूर की मौत के बाद स्थानीय लोगों ने पारंपरिक तरीके से गाजे-बाजे के साथ शव यात्रा निकाली. शव यात्रा में शामिल लोगों ने हनुमान चालीसा का पाठ भी किया.
बिजली के करंट से हुआ था बंदर की मौत
स्थानीय लोगों के अनुसार दाउदनगर शहर के बजाजा रोड में बिजली की करंट से एक बंदर की मौत हो गयी थी. करीब आधा दर्जन की संख्या में लंगूर उस समय शहर में थे. सड़क पार करने के दौरान एक छत से दूसरे छत पर कूदने के दौरान एक लंगूर बिजली के खंभे पर जा गिरा. जिससे उसकी मौत मौके पर ही हो गई. इसके बाद लोगों ने बिजली विभाग को फोन कर बिजली आपूर्ति बंद करवाया और बांस के सहारे लंगूर के शव को नीचे उतारा. इसके बाद भगवान हनुमान के भक्तों ने पारंपरिक तरीके शव यात्रा निकाली.
शव यात्रा मुख्य बाजार बजाजा रोड़ से हनुमान मंदिर के पास पहुंची. जहां धार्मिक परंपरा के अनुसार पूजा अर्चना की गयी. लंगूर के शव पर माल्यार्पण और गंगाजल का छिड़काव किया गया. इसके बाद सोन नदी क्षेत्र में ले जाकर गड्ढा खोदकर लंगूर के शव को दफन कर दिया गय.
सैकड़ों लोग रहे मौजूद
शव यात्रा में चुन्नू केसरी, प्रदीप, प्रमोद प्रसाद, हनुमान कुमार, पूर्व वार्ड पार्षद रविंद्र प्रसाद गुप्ता, हनुमान मंदिर के पूजा व्यवस्थापक प्रमुख पप्पू गुप्ता समेत दर्जनों लोग मौजूद रहे. मौके पर लंगूर की शव यात्रा को देखने के लिए सैकड़ों लोगों की भीड़ उमड़ गई.