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वन विभाग की जमीन को अधिकारियों ने कराया अतिक्रमण मुक्त, अवैध तरीके से निर्मित झोपड़ियों को किया ध्वस्त

जिले के महुआवां में वन विभाग की जमीन पर कई लोगों ने अवैध तरीके से झोपड़ियां बना ली थी. जिसे मंगलवार को वन विभाग के अधिकारियों ने अतिक्रमण मुक्त कराया.

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Published : Aug 4, 2020, 5:28 PM IST

Updated : Aug 19, 2020, 8:54 PM IST

औरंगाबाद: जिले के महुआवां में वन विभाग की जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा जमा कर झोपड़ियां बना चुके लोगों पर विभाग की तरफ से मंगलवार को कार्रवाई की गयी. अवैध तरीके से निर्मित झोपड़ियों को ध्वस्त कर अतिक्रमित जमीन को वन विभाग ने कब्जामुक्त करा लिया.

बता दें कि जिले के महुआवां में वन विभाग की जमीन पर कई लोगों ने अवैध तरीके से झोपड़ियां बना ली थी. जिसे मंगलवार को वन विभाग के अधिकारियों ने मुक्त कराया. हालांकि इस बीच ग्रामीणों के विरोध का भी उन्हें सामना करना पड़ा. लेकिन भारी संख्या में पुलिस बल के आगे ग्रामीणों की एक नहीं चली.

देखें रिपोर्ट

'झोपड़ी हटाने के लिए नहीं दिया नोटिस'
वहीं दूसरी तरफ, ग्रामीणों का कहना है कि झोपड़ी हटाने के लिए उन्हें न तो कोई नोटिस दिया गया और न ही कोई सूचना दी गयी. आज अचानक अधिकारियों की टीम आई और उनके घर का सारा सामान निकालकर बाहर फेंक दिया और झोपड़ियां तोड़ दी. वहीं जिले के वन प्रक्षेत्र रेंजर शिवकुमार राम ने बताया कि ग्रामीणों द्वारा पहले झोपड़ी बनाकर कुछ दिनों तक छोड़ दिया जाता है. बाद में उसी पर पक्का मकान बनाकर सभी रहने लगते हैं.

औरंगाबाद: जिले के महुआवां में वन विभाग की जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा जमा कर झोपड़ियां बना चुके लोगों पर विभाग की तरफ से मंगलवार को कार्रवाई की गयी. अवैध तरीके से निर्मित झोपड़ियों को ध्वस्त कर अतिक्रमित जमीन को वन विभाग ने कब्जामुक्त करा लिया.

बता दें कि जिले के महुआवां में वन विभाग की जमीन पर कई लोगों ने अवैध तरीके से झोपड़ियां बना ली थी. जिसे मंगलवार को वन विभाग के अधिकारियों ने मुक्त कराया. हालांकि इस बीच ग्रामीणों के विरोध का भी उन्हें सामना करना पड़ा. लेकिन भारी संख्या में पुलिस बल के आगे ग्रामीणों की एक नहीं चली.

देखें रिपोर्ट

'झोपड़ी हटाने के लिए नहीं दिया नोटिस'
वहीं दूसरी तरफ, ग्रामीणों का कहना है कि झोपड़ी हटाने के लिए उन्हें न तो कोई नोटिस दिया गया और न ही कोई सूचना दी गयी. आज अचानक अधिकारियों की टीम आई और उनके घर का सारा सामान निकालकर बाहर फेंक दिया और झोपड़ियां तोड़ दी. वहीं जिले के वन प्रक्षेत्र रेंजर शिवकुमार राम ने बताया कि ग्रामीणों द्वारा पहले झोपड़ी बनाकर कुछ दिनों तक छोड़ दिया जाता है. बाद में उसी पर पक्का मकान बनाकर सभी रहने लगते हैं.

Last Updated : Aug 19, 2020, 8:54 PM IST
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