औरंगाबाद: कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग के पालन करने के लिए जिलाधिकारी ने 60 वर्ष से ऊपर के वृद्ध और 10 वर्ष से नीचे के बच्चों को घाट पर जाने से पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है.इसके अलावा विश्व प्रसिद्ध मेला देव, देवकुंड, उमगा आदि स्थानों पर मेले पर रोक लगा दी गई है. ग्रामीण क्षेत्रों में भी कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं.
प्रशासन ने जारी किया गाइडलाइन
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रसार को रोकने के लिए बिहार सरकार के निर्देश के बाद छठ पूजा में विशेष एहतियात बरती जा रही है. जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल ने देव समेत जिले के सभी प्रमुख स्थानों पर छठ पूजा पर रोक लगा दिया है. इसके अलावा ग्रामीण घाटों पर भी कई नियम लगाए गए हैं. इन नियमों को ध्यान में रखते हुए जिले के बारुण प्रखण्ड में नहर किनारे ग्रामीणों ने छः किलोमीटर लंबी घाट बनायी है. जहां पूजा के साथ साथ सोशल डिस्टनसिंग का भी पालन हो सके.
पटना नहर के किनारे बना है घाट
बारुण प्रखंड के सोन नदी से निकले नहर जो पटना में गंगा नदी में जाकर मिल जाती है, पटना कैनाल के नाम से जाना जाता है. इस नहर के किनारे ही ग्रामीणों ने दोनों तटों को मिलाकर 6 किलोमीटर लंबी घाट का निर्माण कराया है. कमेटी अध्यक्ष अशोक पासवान बताते हैं कि गांव के सामने बने पुल से डेढ़ किलोमीटर उत्तर और डेढ़ किलोमीटर दक्षिण तक घाट का निर्माण कराया गया है.
6 किलोमीटर लंबे घाट से श्रद्धालुओं को राहत
जिलाधिकारी के आदेश के बाद गांव में घाटों के साफ सफाई और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन सुनिश्चित करने के लिए कार्यकर्ता लगातार प्रयास कर रहे हैं.जिससे कि लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हुए बिना ही कोरोना वायरस के संक्रमण से भी बचा जा सके. यही कारण है कि बारुण के हिस ग्रामीण घाट को 6 किलोमीटर लंबा बनाया गया है.