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औरंगाबाद के बाल वैज्ञानिक विनीत कुमार ने बनाया नोट सैनिटाइजर मशीन, कई बैंको ने दिया आर्डर

औरंगाबाद के बाल वैज्ञानिक विनीत कुमार अपने दोस्त अभिषेक कुमार के साथ मिलकर एक नोट सैनिटाइजर मशीन बनाया है, जो अल्ट्रा वॉयलेट रौशनी से संचालित होता है. विनीत और उसका दोस्त इससे पहले भी कई अविष्कार कर चुके है.

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Published : Jul 25, 2020, 6:04 PM IST

औरंगाबाद: जिले के सदर प्रखंड के रहने वाले बाल वैज्ञानिक विनीत कुमार ने एक अनोखा सैनिटाइजर मशीन बनाया है. जो नोटों, सिक्कों, मोबाइल, घर में बने फर्श और अन्य घरेलू समानों को भी सेनेटाइज कर सकता है. विनीत के इस अविष्कार से बैंको और हॉस्पिटल में काम करने वाले कर्मचारी सुरक्षित हो सकेंगे.

विनीत इससे पहले भी कई अविष्कार कर चुका है. जिसमें प्लास्टिक से पेट्रोल, कोरोना से बचने के लिए छाता और सैनिटाइजिंग टनल का निर्माण शामिल है.

एक और आविष्कार
दरअसल, सदर प्रखंड के देवहरा गांव निवासी धनेश प्रजापति के पुत्र बाल वैज्ञानिक विनीत कुमार एक बार फिर एक नया आविष्कार लेकर आया है. यह आविष्कार लेन-देन में में काम आने वाले नोटों और सिक्कों को सेनेटाइज करने का है. इसके अलावे रोजमर्रा के जीवन में काम आने वाले मोबाइल, पेन, चश्मा, कपड़े आदि को सेनेटाइज करने के लिए विनीत ने एक ऐसा बॉक्स का निर्माण किया है. जिसके अंदर 30 सेकेंड में ये सभी चीजें सैनिटाइज कर सकते हैं. यहां तक कि खाने पीने वाली वस्तुओं को छोड़ दिया जाए, तो सभी तरह की चीजों को सैनिटाइज किया जा सकता है.

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बाल वैज्ञानिक विनीत कुमार अपने दोस्त अभिषेक कुमार के साथ

कैसे काम करता है
इस मशीन के अंदर एक अल्ट्रा वायलेट रौशनी का इस्तेमाल किया है, जो कि बिजली से काम करता है. यह अल्ट्रा वायलेट किरणें 30 सेकंड में किसी भी विषाणु को मार सकती हैं. इन्हीं किरणों की सहायता से नोट, सिक्के, मोबाइल, कपड़े और अन्य इस्तेमाल की चीजों को आप आसानी से सैनिटाइज कर सकते हैं. इस बॉक्स में एक खासियत यह है कि बॉक्स को जैसे ही खोलेंगे लाइट बंद हो जाएगी. ऐसा सिस्टम इसलिए दिया है, क्योंकि अल्ट्रा वायलेट किरणें सीधे त्वचा पर पड़ने पर त्वचा को नुकसान पहुंचा सकती है. यही कारण है कि विनीत ने इस बॉक्स को खुलने के साथ ही ऑटोमेटिक बल्ब बुझ जाए, ऐसी तकनीक विकसित की है.

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सैनिटाइजर मशीन

फर्श और बेड सेनेटाइजिंग मशीन
इतना ही नहीं विनीत कुमार अपने दोस्त अभिषेक कुमार के साथ मिलकर फर्श और बेड सैनिटाइजिंग मशीन का भी निर्माण किया है. इस फर्श सैनिटाइजिंग मशीन को भी अल्ट्रा वायलेट रौशनी की सहायता से ही चलाई जाती है. इसे बिल्कुल वाइपर की तरह प्रयोग कर सकते हैं. जिसे फर्श पर धीरे-धीरे घुमाया जाता है और अल्ट्रा वायलेट किरणों की सहायता से फर्श पर पड़े कोरोना वायरस को आसानी से मार देता है. घरेलू उपयोग में आने वाली ज्यादातर चीजों को लोग जहां-तहां रख देते हैं. हाथ सैनिटाइजर से और मुंह को मास्क से सुरक्षित कर लेते हैं, लेकिन फर्श, नोट, मोबाइल फोन, पेन आदि पर ध्यान नहीं देते हैं. यही कारण है कि कोरोना तेजी से फैलता जा रहा है.

देखें पूरी रिपोर्ट

कितने में होगा उपलब्ध
बाल वैज्ञानिक विनीत कुमार ने बताया कि नोट सैनिटाइजेशन मशीन 2 हजार रुपए में और फर्श सेनीटाइजर मशीन एक हजार रुपए में आम लोगों को उपलब्ध करा देंगे. उन्होंने इसमें कई तरह के सिस्टम लगाए हैं. जिसमें उनकी लागत काफी ज्यादा है. वे फिलहाल इसे यूनियन बैंक को और सदर हॉस्पिटल को देने जा रहे हैं.

कौन है विनीत
विनीत अपने दोस्त अभिषेक कुमार के साथ हर नए आविष्कार को करता है. हर नए आविष्कार में उसका दोस्त उसके साथ रहता है. सदर प्रखंड के देवहरा गांव निवासी गैस चूल्हा सुधारने वाले मिस्त्री धनेश प्रजापति का पुत्र है. वहीं उसका दोस्त अभिषेक कुमार जोगिया गांव स्थित किराने की दुकान चलाने वाले अशोक चौधरी का पुत्र है. दोनों मिलकर अबतक कई नए आविष्कार कर चुके हैं.

पिता के पैसों पर करता है नए-नए आविष्कार
बता दें कि बाल वैज्ञानिक विनीत कुमार को 26 जनवरी को जिले के प्रभारी मंत्री बृजकिशोर बिंद ने मंच से सम्मानित किया था और 1 लाख रुपए की पुरस्कार देने की घोषणा की थी. लेकिन अभी तक इस पुरस्कार की राशि नहीं मिली है. ऐसी प्रतिभाओं को सरकार की ओर से प्रोत्साहित करने की जरूरत है. लेकिन बिहार सरकार के मंत्री ने घोषणा करने के बाद भी उसे पुरस्कार की धनराशि उपलब्ध नहीं कराई. फिलहाल विनीत अपने पिता के मजदूरी से प्राप्त रूपयों से ही इस तरह के नए-नए आविष्कार करते रहता है.

औरंगाबाद: जिले के सदर प्रखंड के रहने वाले बाल वैज्ञानिक विनीत कुमार ने एक अनोखा सैनिटाइजर मशीन बनाया है. जो नोटों, सिक्कों, मोबाइल, घर में बने फर्श और अन्य घरेलू समानों को भी सेनेटाइज कर सकता है. विनीत के इस अविष्कार से बैंको और हॉस्पिटल में काम करने वाले कर्मचारी सुरक्षित हो सकेंगे.

विनीत इससे पहले भी कई अविष्कार कर चुका है. जिसमें प्लास्टिक से पेट्रोल, कोरोना से बचने के लिए छाता और सैनिटाइजिंग टनल का निर्माण शामिल है.

एक और आविष्कार
दरअसल, सदर प्रखंड के देवहरा गांव निवासी धनेश प्रजापति के पुत्र बाल वैज्ञानिक विनीत कुमार एक बार फिर एक नया आविष्कार लेकर आया है. यह आविष्कार लेन-देन में में काम आने वाले नोटों और सिक्कों को सेनेटाइज करने का है. इसके अलावे रोजमर्रा के जीवन में काम आने वाले मोबाइल, पेन, चश्मा, कपड़े आदि को सेनेटाइज करने के लिए विनीत ने एक ऐसा बॉक्स का निर्माण किया है. जिसके अंदर 30 सेकेंड में ये सभी चीजें सैनिटाइज कर सकते हैं. यहां तक कि खाने पीने वाली वस्तुओं को छोड़ दिया जाए, तो सभी तरह की चीजों को सैनिटाइज किया जा सकता है.

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बाल वैज्ञानिक विनीत कुमार अपने दोस्त अभिषेक कुमार के साथ

कैसे काम करता है
इस मशीन के अंदर एक अल्ट्रा वायलेट रौशनी का इस्तेमाल किया है, जो कि बिजली से काम करता है. यह अल्ट्रा वायलेट किरणें 30 सेकंड में किसी भी विषाणु को मार सकती हैं. इन्हीं किरणों की सहायता से नोट, सिक्के, मोबाइल, कपड़े और अन्य इस्तेमाल की चीजों को आप आसानी से सैनिटाइज कर सकते हैं. इस बॉक्स में एक खासियत यह है कि बॉक्स को जैसे ही खोलेंगे लाइट बंद हो जाएगी. ऐसा सिस्टम इसलिए दिया है, क्योंकि अल्ट्रा वायलेट किरणें सीधे त्वचा पर पड़ने पर त्वचा को नुकसान पहुंचा सकती है. यही कारण है कि विनीत ने इस बॉक्स को खुलने के साथ ही ऑटोमेटिक बल्ब बुझ जाए, ऐसी तकनीक विकसित की है.

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सैनिटाइजर मशीन

फर्श और बेड सेनेटाइजिंग मशीन
इतना ही नहीं विनीत कुमार अपने दोस्त अभिषेक कुमार के साथ मिलकर फर्श और बेड सैनिटाइजिंग मशीन का भी निर्माण किया है. इस फर्श सैनिटाइजिंग मशीन को भी अल्ट्रा वायलेट रौशनी की सहायता से ही चलाई जाती है. इसे बिल्कुल वाइपर की तरह प्रयोग कर सकते हैं. जिसे फर्श पर धीरे-धीरे घुमाया जाता है और अल्ट्रा वायलेट किरणों की सहायता से फर्श पर पड़े कोरोना वायरस को आसानी से मार देता है. घरेलू उपयोग में आने वाली ज्यादातर चीजों को लोग जहां-तहां रख देते हैं. हाथ सैनिटाइजर से और मुंह को मास्क से सुरक्षित कर लेते हैं, लेकिन फर्श, नोट, मोबाइल फोन, पेन आदि पर ध्यान नहीं देते हैं. यही कारण है कि कोरोना तेजी से फैलता जा रहा है.

देखें पूरी रिपोर्ट

कितने में होगा उपलब्ध
बाल वैज्ञानिक विनीत कुमार ने बताया कि नोट सैनिटाइजेशन मशीन 2 हजार रुपए में और फर्श सेनीटाइजर मशीन एक हजार रुपए में आम लोगों को उपलब्ध करा देंगे. उन्होंने इसमें कई तरह के सिस्टम लगाए हैं. जिसमें उनकी लागत काफी ज्यादा है. वे फिलहाल इसे यूनियन बैंक को और सदर हॉस्पिटल को देने जा रहे हैं.

कौन है विनीत
विनीत अपने दोस्त अभिषेक कुमार के साथ हर नए आविष्कार को करता है. हर नए आविष्कार में उसका दोस्त उसके साथ रहता है. सदर प्रखंड के देवहरा गांव निवासी गैस चूल्हा सुधारने वाले मिस्त्री धनेश प्रजापति का पुत्र है. वहीं उसका दोस्त अभिषेक कुमार जोगिया गांव स्थित किराने की दुकान चलाने वाले अशोक चौधरी का पुत्र है. दोनों मिलकर अबतक कई नए आविष्कार कर चुके हैं.

पिता के पैसों पर करता है नए-नए आविष्कार
बता दें कि बाल वैज्ञानिक विनीत कुमार को 26 जनवरी को जिले के प्रभारी मंत्री बृजकिशोर बिंद ने मंच से सम्मानित किया था और 1 लाख रुपए की पुरस्कार देने की घोषणा की थी. लेकिन अभी तक इस पुरस्कार की राशि नहीं मिली है. ऐसी प्रतिभाओं को सरकार की ओर से प्रोत्साहित करने की जरूरत है. लेकिन बिहार सरकार के मंत्री ने घोषणा करने के बाद भी उसे पुरस्कार की धनराशि उपलब्ध नहीं कराई. फिलहाल विनीत अपने पिता के मजदूरी से प्राप्त रूपयों से ही इस तरह के नए-नए आविष्कार करते रहता है.

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