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वर्चुअल कोर्ट चलाने के निर्णय को लेकर अधिवक्ताओं ने किया हंगामा

औरंगाबाद जिले के सिविल कोर्ट और दाउद नदर सब-डिविजनल कोर्ट को वर्चुअल मोड में चलाने का फैसला लिया गया है. इस फैसले के विरोध में अधिवक्ताओं ने कोर्ट परिसर में जमकर हंगामा किया. और कोर्ट को फिजिकल तरीके से चलाने की मांग की है.

औरंगाबाद
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Published : Apr 12, 2021, 11:52 AM IST

औरंगाबाद: कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए जिले के सिविल कोर्ट को वर्चुअल रुप से चलाने का फैसला लिया गया है. न्यायालय के वर्चुअल मोड में चलाने के निर्णय के विरोध में अधिवक्ताओं ने कोर्ट परिसर में जमकर हंगामा किया.

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अधिवक्ताओं ने कहा कि वकीलों से बिना सलाह लिए न्यायालय को वर्चुअल तरीके से चलाने का फैसला कर दिया गया, जो कहीं से भी न्याय उचित नहीं है. वकीलों ने वर्चुअल कोर्ट को बंद कर फिजिकल तरीके से कोर्ट चलाने की बात कही. ताकि मुवक्किलों को समय पर न्याय मिल सके. वकीलों ने कहा कि अगर कोर्ट को फिजिकल रुप से नहीं चलाया जाता है तो सभी वकील न्यायलय कार्य से अलग रहेंगे.

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उच्च न्यायालय के सहमति से दिया गया आदेश
प्रदेश में बढ़ते कोरोना के मामलों को लेकर पटना उच्च न्यायालय की सहमति से जिला एवं सत्र न्यायाधीश शिव गोपाल मिश्र की ओर से आदेश दिया गया था कि औरंगाबाद सिविल कोर्ट और दाउदनगर सब-डिविजनल कोर्ट में 9 अप्रैल से अगले आदेश तक वर्चुअल मोड में कार्य किया जाएगा. इस दौरान नया वाद ई-फाइलिंग सिस्टम के माध्यम से दर्ज किए जाएंगे. वहीं कोर्ट परिसर में वादियों और बाहरी लोगों के प्रवेश पर पूर्ण रुप से रोक लगाई गई है.

औरंगाबाद: कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए जिले के सिविल कोर्ट को वर्चुअल रुप से चलाने का फैसला लिया गया है. न्यायालय के वर्चुअल मोड में चलाने के निर्णय के विरोध में अधिवक्ताओं ने कोर्ट परिसर में जमकर हंगामा किया.

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अधिवक्ताओं ने कहा कि वकीलों से बिना सलाह लिए न्यायालय को वर्चुअल तरीके से चलाने का फैसला कर दिया गया, जो कहीं से भी न्याय उचित नहीं है. वकीलों ने वर्चुअल कोर्ट को बंद कर फिजिकल तरीके से कोर्ट चलाने की बात कही. ताकि मुवक्किलों को समय पर न्याय मिल सके. वकीलों ने कहा कि अगर कोर्ट को फिजिकल रुप से नहीं चलाया जाता है तो सभी वकील न्यायलय कार्य से अलग रहेंगे.

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उच्च न्यायालय के सहमति से दिया गया आदेश
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