भोजपुर : भोजपुरी केवल भाषा नहीं दर्शन भी है. इसमें मैं नहीं होता बल्कि हम होता है, जो सामूहिकता का बोध कराता है. पूरे विश्व में भोजपुरी बोलने वालों की संख्या करोड़ों में है, लेकिन अभी तक अपने देश में ही भोजपुरी को उचित सम्मान नहीं मिल सका है.
'आठवीं अनुसूची में शामिल करने पर करनी चाहिए पहल'
भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की मांग को लेकर अब लोग आगे आने लगे हैं. उन्हीं में से एक सतेंद्र उपाध्याय हैं, जो आरटीआई एक्टिविस्ट के साथ-साथ एक समाजसेवी भी हैं. उन्होंने कहा कि भोजपुरी बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड तक ही सीमित नहीं है. बल्कि मॉरीशस, सूरीनाम और फिजी समेत अन्य देशों में भी यह भाषा बोली जाती है. ऐसे में केंद्र सरकार को भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने पर पहल करनी चाहिए.
भोजपुरी में उपलब्ध हो पाएगी किताब
सतेंद्र उपाध्याय ने कहा कि भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने का सबसे बड़ा उद्देश्य यह है कि स्कूल, कॉलेज की किताबे भोजपुरी में उपलब्ध हो पाएगी. अपनी भाषा में पढ़ने और एग्जाम देने के अपने फायदे हैं. यूपीएससी जैसे एग्जाम में भोजपुरी एक भाषा के रूप में शामिल हो सकेगी. इससे भोजपुरी भाषी युवाओं को काफी फायदा हो सकेगा.