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बेटियों ने निभाया बेटों का फर्ज, शव यात्रा देख छलकी आंखें

भोजपुर की दो बहनोंं ने अपनी मां की अर्थी को कंधा दिया. ये देख लोगों की आंखें भर आईं. आम तौर पर मुखाग्नि देने की परंपरा बेटे निभाते हैं. लेकिन आरा की दो बहनों ने इस परंपरा को तोड़कर मिसाल पेश की है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट-

बेटियों ने निभाया बेटों का फर्ज
बेटियों ने निभाया बेटों का फर्ज
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Published : Sep 17, 2021, 4:28 PM IST

भोजपुर: बिहार के भोजपुर (Bhojpur) जिले में दो बेटियों ने बेटों का फर्ज निभाया. मां की मौत के बाद अर्थी को बेटियों ने कंधा दिया. मामला जिले के गड़हनी प्रखंड के सुआरी गांव का है. बेटियों ने सामाजिक अवधारण को दरकिनार करकते हुए अपनी मां की शव यात्रा में बेटों की तरह भूमिका निभाया. अर्थी को कंधा देते हुए दोनों बेटियां आगे आगे चल रहीं थीं, उनके पीछे गांव और समाज के लोग थे. ये सब देखकर लोगों की आंखें भर आईं.

ये भी पढ़ें- GST के दायरे में आते ही पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों में होगी भारी कटौती

भारतीय परंपरा के अनुसार बेटे ही माता-पिता को मुखाग्नि देते रहे हैं. लेकिन अब यह परंपरा टूट चुकी है. इसके साथ ये सवाल भी पीछे छूट चुका है कि माता-पिता को बिना बेटों के मुखाग्नि कौन देगा? अब ये बीते जमाने की बातें हो गई हैं. आरा की दोनों बहनों ने अपनी मां को मुखाग्नि देकर समाज में एक मिसाल पेश की हैं.

भाकपा माले की सदस्य रहीं पुष्पा देवी के निधन पर पार्टी दफ्तर में शोक मनाया गया. पुष्पा देवी की तीन बेटियां हैं. एक बेटी बैंक में है और दूसरी बेटी दारोगा. उनके अंतिम संस्कार में बड़हरा के महुली घाट पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे. माले की कार्यकर्ता होने के नाते पार्टी के नेता भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे. उनके अंतिम संस्कार में पार्टी का झंडा भी समर्पित किया गया.

दिवंगत मां पुष्पा देवी के अर्थी को उनकी बेटियों रिंकी कुमारी और झिंकी कुमारी ने कंधा दिया. श्रद्धांजलि सभा में भाकपा-माले के पोलित ब्यूरो सदस्य स्वदेश भट्टाचार्य, पार्टी के राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो सदस्य अमर, विधायक मनोज मंजिल, विधायक सुदामा प्रसाद, केंद्रीय कमेटी सदस्य राजू यादव, इंसाफ मंच के राज्य सचिव क्यामुद्दीन अंसारी, नगर सचिव दिलराज प्रीतम, आईसा के राज्य सचिव शब्बीर कुमार आदि प्रमुख रूप से मौजूद थे.

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भोजपुर: बिहार के भोजपुर (Bhojpur) जिले में दो बेटियों ने बेटों का फर्ज निभाया. मां की मौत के बाद अर्थी को बेटियों ने कंधा दिया. मामला जिले के गड़हनी प्रखंड के सुआरी गांव का है. बेटियों ने सामाजिक अवधारण को दरकिनार करकते हुए अपनी मां की शव यात्रा में बेटों की तरह भूमिका निभाया. अर्थी को कंधा देते हुए दोनों बेटियां आगे आगे चल रहीं थीं, उनके पीछे गांव और समाज के लोग थे. ये सब देखकर लोगों की आंखें भर आईं.

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भारतीय परंपरा के अनुसार बेटे ही माता-पिता को मुखाग्नि देते रहे हैं. लेकिन अब यह परंपरा टूट चुकी है. इसके साथ ये सवाल भी पीछे छूट चुका है कि माता-पिता को बिना बेटों के मुखाग्नि कौन देगा? अब ये बीते जमाने की बातें हो गई हैं. आरा की दोनों बहनों ने अपनी मां को मुखाग्नि देकर समाज में एक मिसाल पेश की हैं.

भाकपा माले की सदस्य रहीं पुष्पा देवी के निधन पर पार्टी दफ्तर में शोक मनाया गया. पुष्पा देवी की तीन बेटियां हैं. एक बेटी बैंक में है और दूसरी बेटी दारोगा. उनके अंतिम संस्कार में बड़हरा के महुली घाट पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे. माले की कार्यकर्ता होने के नाते पार्टी के नेता भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे. उनके अंतिम संस्कार में पार्टी का झंडा भी समर्पित किया गया.

दिवंगत मां पुष्पा देवी के अर्थी को उनकी बेटियों रिंकी कुमारी और झिंकी कुमारी ने कंधा दिया. श्रद्धांजलि सभा में भाकपा-माले के पोलित ब्यूरो सदस्य स्वदेश भट्टाचार्य, पार्टी के राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो सदस्य अमर, विधायक मनोज मंजिल, विधायक सुदामा प्रसाद, केंद्रीय कमेटी सदस्य राजू यादव, इंसाफ मंच के राज्य सचिव क्यामुद्दीन अंसारी, नगर सचिव दिलराज प्रीतम, आईसा के राज्य सचिव शब्बीर कुमार आदि प्रमुख रूप से मौजूद थे.

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