भोजपुरः होली की परंपरा हजारों साल से चली आ रही है. देश में होली का त्योहार कई जगहों पर अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. वहीं, आज के परिवेश में एक तरफ जहां लोग पश्चिमी संस्कृति को अपना रहे हैं, तो वहीं लोकगायन को बचाने का प्रयास आरा की रहने वाली लोक गायिका कावेरी मोहन कर रही हैं.
होली मनाने की अलग परंपरा
आरा की रहने वाली कावेरी मोहन लगभग पिछले 30 सालों से लोकगायन कर अपनी संस्कृति को बचाये रखने की जुगत में जुटी हैं. लोक गायिका कावेरी मोहन बिहार, उत्तर प्रदेश, असम, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात और हरियाणा समेत कई राज्यों में लोकगायन कर चुकी हैं
लोकगायन को बचाने का प्रयास कर रही लोक गायिका कावेरी मोहन
लोक गायिका कावेरी मोहन ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि आज के परिवेश में होली के गीत आप परिवार के सदस्यों के साथ बैठ कर नहीं सुन सकते हैं. जिस तरह फिल्मों में सेंसर बोर्ड होती है उसी तरह गानों में भी सेंसर बोर्ड होनी चाहिए, ताकि लोग हमारी संस्कृति को अश्लील गानों के माध्यम से बदनाम ना कर सके. वहीं, उन्होंने ज्यादा से ज्यादा पारंपरिक गीत गाने की लोगों से अपील की.