भोजपुरः इन दिनों प्रदेश के किसान दोहरी मार झेल रहे हैं. जहां एक तरफ लॉकडाउन के कारण महीनों से किसान कई समस्याओं का सामना कर रहे थे. वहीं अब यास चक्रवात की वजह से हुई भीषण बारिश ने सब्जी की खेती करने वाले किसानों की कमर तोड़ दी. दरअसल भोजपुर के गुंडी गांव में लगभग 40 से 50 किसान सब्जी का खेती और मौसमी फसल पर ही पूरी तरह से निर्भर रहते है. जो इस बारिश में पूरी तरह बर्बाद हो गई.
जिले में गुंडी गांव की खेती की चर्चा होती है साथ ही अलग-अलग क्षेत्र के किसान यहां के किसानों से खेती के गुर सीखते हैं. लेकिन इस यास चक्रवात की वजह से सबसे ज्यादा परेशान गुंडी गांव के सब्जी खेती करने वाले किसान हुए है. ईटीवी भारत ने ग्राउंड पर जाकर किसानों के हुए नुकसान को जानने की कोशिश की.
'यास तूफान ने सब कुछ बर्बाद कर दिया. अब खेत में कुछ बचा ही नहीं है. चार बीघा खेत में कद्दू, बोरी और नेनुआ लगाए थे. तूफान की वजह से खेत में जलजमाव होने से सारी सब्जियां बर्बाद हो गईं'- मो. मुस्तकीम, किसान
मुस्तकीम बताते हैं- सात बीघा खेती करने में दो से ढाई लाख रुपया तक खर्चा हुआ है. कद्दू और बोरी तैयार हो गया था. दो चार दिन में बाजार में सब्जी की खेप भेजते. लेकिन तूफान सब ले गया. जो खेत में बचा है उसे किसी तरह तोड़कर बाजार में पहुंचा रहे हैं. ताकि दस हजार रुपये तक आ जाए.
'हमारे गांव में ज्यादातर किसान सब्जी खेती पर ही निर्भर रहते हैं. लेकिन पहले लॉकडाउन की वजह से सब्जी किसानों को बाजार नहीं मिला अब लगातार हुई बारिश से सब्जी का खेत पूरी तरह डूब गया है. अब तो सब्जी तोड़ने के लिए ना मजदूर मिल रहे हैं ना ही सब्जी बेचने के लिए मंडी में रेट मिल रहा है. ऐसे में अगर सरकार मुआवजा नहीं देती है तो हमलोग इस से उबर नही पाएंगे. क्योंकि लगभग एक बीघा खेती करने में 70 से 80 हजार की लागत आई है. किसी भी किसान की पूंजी तक नहीं निकल पा रही है'. शाहनवाज आलम, किसान
बता दें कि बड़हरा प्रखंड के गुंडी गांव से भोजपुर सहित अन्य जिले में सब्जी की सप्लाई की जाती है. यास तूफान से लत्तीदार सब्जियों ने कहर बरपाया है. इस साल जिले में बीन्स सब्जी की खेती 165 हेक्टेयर में, लौकी 170 हेक्टेयर में, कद्दू 725 हेक्टेयर मे, बैगन 935 हेक्टेयर, खीरा 125 हेक्टेयर, परवल 255 हेक्टेयर, करेला 170 हेक्टेयर में किया गया है.
'इस बारिश से 70% लत्तीदार सब्जियों को नुकसान हुआ है. लत्तीदार सब्जी ज्यादा पानी नहीं झेल पाते हैं. पानी लगने से पौधा में पीलापन आ जाता है. इसके बाद पौधा सूखकर गल जाता है'- डॉ पीके द्विवेदी, हेड, कृषि विज्ञान केन्द्र
जब सब्जी रोपने का समय होता है. उस समय लौकी प्रति पीस 22 रुपया या 25 रुपया तक बिक रहा था. लेकिन जब हमारे खेतों से सब्जी निकलने लगी तब 1 रुपये या 2 रुपये में बिक रहा है. ये कहीं ना कहीं राज्य और केंद्र सरकार की विफलता साबित कर रही है- मो. जमील अख्तर, किसान
खेत में पानी लगने से लत्तीदार सब्जी 70% तक खराब हो चुकी है. गुंडी गांव के किसान रामसेवक सिंह ने दो बीघा में लौकी उगाया था. अब खेत में पानी लग गया है. रामसेवक सिंह बताते हैं- अब इस खेत में कुछ नहीं हो सकता है. खेत में पानी लगने से लौकी का पौधा गलने लगा है. इस बार लौकी की खेती अच्छी हुई थी.
किसानों के बर्बाद हुई सब्जी खेती पर जब हम जिला प्रसाशन से बात करने और उनकी प्रतिक्रिया लेने का प्रयास किये तो कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार ने कहा कि सब्जी और फसल क्षति की जानकारी हुई है. इसके लिए सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारी और सभी पंचायत सलाहाकरों को निरीक्षण कर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है. जैसे ये रिपोर्ट आ जाती है हम बैठक कर किसानों के समस्या को हल करने का प्रयास करंगे.
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