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World Disabilities Day: दिव्यांग राजकुमार ने मेहनत को बनाया तरक्की का हथियार, उनके कंधे पर खड़ा है परिवार - etv news in hindi

3 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य दिव्यांगों के प्रति व्यवहार में बदलाव लाना है. ऐसे में ईटीवी भारत ने बिहार के भोजपुर के दिव्यांग राजकुमार (Divyang Rajkumar of Bhojpur) से खास बातचीत की है. राजकुमार बिना किसी सरकारी मदद के अपने बलबूते अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. पढ़िए पूरी रिपोर्ट

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Published : Dec 3, 2021, 4:45 PM IST

भोजपुर: जिले में एक दिव्यांग युवक (Self-Dependent Divyang of Bhojpur) ने समाज के लिए मिसाल पेश की है. लोगों को सहारा बनाने के बजाय इस युवक ने खुद को इतना मजबूत कर लिया है कि, लोग देखते रह जाए. भोजपुर के कोइलवर प्रखंड के परेव के रहने वाले दिव्यांग राजकुमार (Inspiration To People) अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण इडली बेच कर करते हैं.

यह भी पढ़ें- पटना में विश्व दिव्यांग दिवस की पूर्व संध्या पर निकाली गई जागरूकता रैली, 'विकलांग मंत्रालय' बनाने की मांग

राजकुमार स्कूटी से गांव-गांव घूमकर इडली बेचते हैं. राजकुमार ने बताया कि 'स्कूटी से इडली बेचकर लोगों की सोच बदल रहे हैं. दिव्यांगता के कारण पहले काफी मायूसी होती थी. लेकिन फिर फैसला किया कि ट्रेनों में भीख नहीं मांगेंगे. अपनी जिंदगी की गाड़ी को अपने दम पर आगे बढ़ाएंगे.'

लोगों के लिए प्रेरणा दिव्यांग राजकुमार

यह भी पढ़ें- मन की आंखों से जला रहे हैं ज्ञान की ज्योति: जानिए कौन हैं अर्जुन यादव

राजकुमार ने एक स्कूटी में अपना चलता फिरता इडली दुकान खोल दिया है. गांव-गांव जाकर इडली बेचते हैं. उन्होंने कहा कि विकलांगों के प्रति लोगों को अब सोच बदलनी होगी. लोग इसे अभिशाप के रूप में न देखें. दिव्यांग राजकुमार कई महीनों से इडली बेच रहे हैं. इडली बेचकर दिव्यांग अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें- मतदान केंद्र पहुंचे युवक को देख सभी रह गए दंग, कहा- वोट डालना उसका अधिकार

"सरकारी सुविधा हम तक नहीं पहुंच पाती है. सुविधा देने के लिए भी घूस की मांग की जाती है. जो भी आमदनी होती है उससे, परिवार का गुजारा हो जाता है. मेहनत मजदूरी कर लोगों को सक्षम बनना चाहिए."- राजकुमार, दिव्यांग

यह भी पढ़ें- पंचायत चुनाव में लोकतंत्र की अनोखी तस्वीर, कोई पहुंची 15 दिन के मासूम के साथ, तो कोई हाथ के बल

उन्होंने बताया कि वह बचपन से ही दिव्यांग थे. उन्होंने सातवीं तक पढ़ाई की है. राजकुमार ने बताया कि वह रोजाना 500 से 600 रुपये कमा लेते हैं. वह आगे की पढ़ाई करना चाहता थे पर, मजबूरी के कारण आगे की पढ़ाई नहीं कर सके. उन्होने अन्य दिव्यांगों से अपील करते हुए कहा कि दिव्यांगता को अपने ऊपर हावी नहीं होने दें.अपने परिवार पर बोझ ना बनें, खुद का कोई व्यवसाय शुरू कर अपना व अपने परिवार का भरण पोषण करें.

बता दें कि अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस (World Disabilities Day ) के लिए वार्षिक ऑब्जरवेशन की घोषणा यूनाइटेड नेशंस ने जनरल असेम्बली रेजोल्यूशन में 1992 में की थी. इसका उद्देश्य समाज सभी क्षेत्रों में विकलांग लोगों के अधिकारों और कल्याण को बढ़ावा देना है. इसके अलावा राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन के हर पहलू में विकलांग व्यक्तियों की स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाना है.

नोट: ऐसी ही विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

भोजपुर: जिले में एक दिव्यांग युवक (Self-Dependent Divyang of Bhojpur) ने समाज के लिए मिसाल पेश की है. लोगों को सहारा बनाने के बजाय इस युवक ने खुद को इतना मजबूत कर लिया है कि, लोग देखते रह जाए. भोजपुर के कोइलवर प्रखंड के परेव के रहने वाले दिव्यांग राजकुमार (Inspiration To People) अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण इडली बेच कर करते हैं.

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राजकुमार स्कूटी से गांव-गांव घूमकर इडली बेचते हैं. राजकुमार ने बताया कि 'स्कूटी से इडली बेचकर लोगों की सोच बदल रहे हैं. दिव्यांगता के कारण पहले काफी मायूसी होती थी. लेकिन फिर फैसला किया कि ट्रेनों में भीख नहीं मांगेंगे. अपनी जिंदगी की गाड़ी को अपने दम पर आगे बढ़ाएंगे.'

लोगों के लिए प्रेरणा दिव्यांग राजकुमार

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राजकुमार ने एक स्कूटी में अपना चलता फिरता इडली दुकान खोल दिया है. गांव-गांव जाकर इडली बेचते हैं. उन्होंने कहा कि विकलांगों के प्रति लोगों को अब सोच बदलनी होगी. लोग इसे अभिशाप के रूप में न देखें. दिव्यांग राजकुमार कई महीनों से इडली बेच रहे हैं. इडली बेचकर दिव्यांग अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं.

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"सरकारी सुविधा हम तक नहीं पहुंच पाती है. सुविधा देने के लिए भी घूस की मांग की जाती है. जो भी आमदनी होती है उससे, परिवार का गुजारा हो जाता है. मेहनत मजदूरी कर लोगों को सक्षम बनना चाहिए."- राजकुमार, दिव्यांग

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उन्होंने बताया कि वह बचपन से ही दिव्यांग थे. उन्होंने सातवीं तक पढ़ाई की है. राजकुमार ने बताया कि वह रोजाना 500 से 600 रुपये कमा लेते हैं. वह आगे की पढ़ाई करना चाहता थे पर, मजबूरी के कारण आगे की पढ़ाई नहीं कर सके. उन्होने अन्य दिव्यांगों से अपील करते हुए कहा कि दिव्यांगता को अपने ऊपर हावी नहीं होने दें.अपने परिवार पर बोझ ना बनें, खुद का कोई व्यवसाय शुरू कर अपना व अपने परिवार का भरण पोषण करें.

बता दें कि अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस (World Disabilities Day ) के लिए वार्षिक ऑब्जरवेशन की घोषणा यूनाइटेड नेशंस ने जनरल असेम्बली रेजोल्यूशन में 1992 में की थी. इसका उद्देश्य समाज सभी क्षेत्रों में विकलांग लोगों के अधिकारों और कल्याण को बढ़ावा देना है. इसके अलावा राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन के हर पहलू में विकलांग व्यक्तियों की स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाना है.

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