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सरस्वती पूजा 2022: आर्थिक संकट के 'चक्रव्यूह' में फंसे मूर्तिकार, नहीं मिल रहे मूर्तियों के खरीदार

बिहार में पाबंदियों के चलते मूर्तिकारों की कमाई पर 'कोरोना का ग्रहण' (Corona Effect On Business Of Sculptors) लगा है. सरकार ने कोरोना के कारण सभी शिक्षण संस्थानों को 6 फरवरी तक बंद रखने का आदेश दिया है. जिससे मूर्तिकार चिंतित दिख रहे हैं. अपने पारंपरिक काम को रोजगार बनाने वाले इन कलाकारों के लिए अपना और परिवारों का पेट पालना मुश्किल होता जा रहा है. मूर्तिकारों की माने तो स्कूल और कोचिंग बंद रहने के कारण मूर्तियों का ऑर्डर नहीं मिल पा रहा है. पढ़ें पूरी खबर..

सरस्वती पूजा
Saraswati Puja
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Published : Feb 3, 2022, 11:20 AM IST

भोजपुर: बिहार में सरस्वती पूजा (Saraswati Puja in Bihar) की तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही हैं. भोजपुर में 5 फरवरी को हर्षोल्लास के साथ बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा. ऐसे में मूर्तिकार मां सरस्वती की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं. लेकिन मूर्ति कला को पेशा बनाने वाले कुम्हार, कोरोना महामारी की मार (Corona hit on sculpture) से बेदम हो चुके है. कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले को देख बिहार सरकार ने सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर दिया गया हैं. ऐसे में आने वाले सरस्वती पूजा के लिए मूर्ति बना रहे कलाकारों का दर्द किसी से छिपी नहीं है. कोरोना के कारण मूर्तिकारों को पिछले साल भारी नुकसान उठाना पड़ा था.

कोरोना ने मूर्तिकारों की रोजी-रोटी पर ग्रहण लगा दिया है. दरअसल, कोरोना की वजह से पहले ही मां सरस्वती की मूर्तियों का ऑर्डर कम मिलता था. इस बार सरकार ने कोरोना के कारण सभी शिक्षण संस्थानों को 6 फरवरी तक बंद रखने का आदेश दिया है. जिससे मूर्तिकार चिंतित दिख रहे हैं. अपने पारंपरिक काम को रोजगार बनाने वाले इन कलाकारों के लिए अपना और परिवारों का पेट पालना मुश्किल होता जा रहा है.

देखें वीडियो

दरअसल, दूसरे साल भी कोरोना का कहर इस कलाकारों पर आफत बनकर टूटा है. कोरोना संक्रमण नियंत्रण को लेकर प्रभावी पाबंदियों के तहत शिक्षण संस्थान बंद होने के कारण इस बार सरस्वती पूजा में महंगी व बड़ी मूर्तियों की मांग न के बराबर है. वहीं सरस्वती पूजा के बीच इंटरमीडिएट परीक्षा होने के कारण मूर्ति का ऑर्डर भी अन्य वर्षों की तुलना में काफी कम है. जिससे मूर्ति बनाने के पेशे से जुड़े लोगों के लिये दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पाना भारी पड़ रहा है.

मूर्तिकार नागा जी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि सरस्वती पूजा आने के चार महीने पहले ही मूर्ती बनाने का काम चालू कर देते हैं. बढ़ते कोरोना महामारी के कारण सरकार ने कई गाइडलाइन जारी कर दी है. जिसके तरह सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने का आदेश दिया गया है. उन्होंने कहा कि स्कूल और कोचिंग बंद रहने के कारण मूर्तियों का ऑर्डर नहीं मिल पा रहा है. वहीं, जो ऑर्डर मिला भी है, उसे भी कैंसिल करा दिया गया है. जिससे हमें काफी नुकसान हुआ है.

मूर्तिकार ने बताया कि हमारे पास 500 रुपये से 5000 रुपये तक की प्रतिमा बनाकर रखी गई है. लेकिन दो चार प्रतिमा को छोड़ अभी तक सभी मूर्तियां जस की तस रखी हुई हैं. वहीं, शिक्षक पिंटू बताते हैं कि इस बार शिक्षण संस्थान बंद होने के कारण मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित नहीं की जाएगी. जिससे छात्र काफी दुखी है. वहीं उन्होंने छात्रों से अपील करते हुए कहा कि इस बार मां सरस्वती की पूजा आराधना छात्र अपने घरों में करें.

बता दें कि कोरोना के खतरे को देखते हुए राज्यभर में पाबंदियां लागू है. इसका असर इस बार सरस्वती पूजा के आयोजन पर भी देखने को मिल रहा है. इस साल सरस्वती पूजा 5 फरवरी को है. लोगों मानना है की आस्था के अनुरूप लोग पूजा जरूर कर रहे हैं. लेकिन व्यवस्था में थोड़ी कमी की गई है. मूर्तियों की मांग कम होने से मूर्तिकार काफी चिंतित हैं. वहीं आने वाले समय में मूर्तिकारों को यह उम्मीद है कि बचे वक्त में उन्हें कुछ और ऑर्डर मिल सकते हैं.

यह भी पढ़ें - अधिक ठंड के कारण मां सरस्वती की प्रतिमा निर्माण में हो रही है परेशानी, मूर्तिकारों को अच्छी आमदनी की आस

यह भी पढ़ें - सरस्वती पूजा 2022: शिक्षण संस्थान बंद होने से नहीं मिल रहे मूर्तियों के खरीदार, मूर्तिकारों की बढ़ी चिंता

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भोजपुर: बिहार में सरस्वती पूजा (Saraswati Puja in Bihar) की तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही हैं. भोजपुर में 5 फरवरी को हर्षोल्लास के साथ बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा. ऐसे में मूर्तिकार मां सरस्वती की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं. लेकिन मूर्ति कला को पेशा बनाने वाले कुम्हार, कोरोना महामारी की मार (Corona hit on sculpture) से बेदम हो चुके है. कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले को देख बिहार सरकार ने सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर दिया गया हैं. ऐसे में आने वाले सरस्वती पूजा के लिए मूर्ति बना रहे कलाकारों का दर्द किसी से छिपी नहीं है. कोरोना के कारण मूर्तिकारों को पिछले साल भारी नुकसान उठाना पड़ा था.

कोरोना ने मूर्तिकारों की रोजी-रोटी पर ग्रहण लगा दिया है. दरअसल, कोरोना की वजह से पहले ही मां सरस्वती की मूर्तियों का ऑर्डर कम मिलता था. इस बार सरकार ने कोरोना के कारण सभी शिक्षण संस्थानों को 6 फरवरी तक बंद रखने का आदेश दिया है. जिससे मूर्तिकार चिंतित दिख रहे हैं. अपने पारंपरिक काम को रोजगार बनाने वाले इन कलाकारों के लिए अपना और परिवारों का पेट पालना मुश्किल होता जा रहा है.

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दरअसल, दूसरे साल भी कोरोना का कहर इस कलाकारों पर आफत बनकर टूटा है. कोरोना संक्रमण नियंत्रण को लेकर प्रभावी पाबंदियों के तहत शिक्षण संस्थान बंद होने के कारण इस बार सरस्वती पूजा में महंगी व बड़ी मूर्तियों की मांग न के बराबर है. वहीं सरस्वती पूजा के बीच इंटरमीडिएट परीक्षा होने के कारण मूर्ति का ऑर्डर भी अन्य वर्षों की तुलना में काफी कम है. जिससे मूर्ति बनाने के पेशे से जुड़े लोगों के लिये दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पाना भारी पड़ रहा है.

मूर्तिकार नागा जी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि सरस्वती पूजा आने के चार महीने पहले ही मूर्ती बनाने का काम चालू कर देते हैं. बढ़ते कोरोना महामारी के कारण सरकार ने कई गाइडलाइन जारी कर दी है. जिसके तरह सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने का आदेश दिया गया है. उन्होंने कहा कि स्कूल और कोचिंग बंद रहने के कारण मूर्तियों का ऑर्डर नहीं मिल पा रहा है. वहीं, जो ऑर्डर मिला भी है, उसे भी कैंसिल करा दिया गया है. जिससे हमें काफी नुकसान हुआ है.

मूर्तिकार ने बताया कि हमारे पास 500 रुपये से 5000 रुपये तक की प्रतिमा बनाकर रखी गई है. लेकिन दो चार प्रतिमा को छोड़ अभी तक सभी मूर्तियां जस की तस रखी हुई हैं. वहीं, शिक्षक पिंटू बताते हैं कि इस बार शिक्षण संस्थान बंद होने के कारण मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित नहीं की जाएगी. जिससे छात्र काफी दुखी है. वहीं उन्होंने छात्रों से अपील करते हुए कहा कि इस बार मां सरस्वती की पूजा आराधना छात्र अपने घरों में करें.

बता दें कि कोरोना के खतरे को देखते हुए राज्यभर में पाबंदियां लागू है. इसका असर इस बार सरस्वती पूजा के आयोजन पर भी देखने को मिल रहा है. इस साल सरस्वती पूजा 5 फरवरी को है. लोगों मानना है की आस्था के अनुरूप लोग पूजा जरूर कर रहे हैं. लेकिन व्यवस्था में थोड़ी कमी की गई है. मूर्तियों की मांग कम होने से मूर्तिकार काफी चिंतित हैं. वहीं आने वाले समय में मूर्तिकारों को यह उम्मीद है कि बचे वक्त में उन्हें कुछ और ऑर्डर मिल सकते हैं.

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