भोजपुर: जल्द ही अब आरा स्टेशन के बोर्ड के नाम पर मां आरण्य देवी का चित्र लगेगा. दानापुर रेलमंडल के आरा जंक्शन के बोर्ड पर आरा में 'अ; के बाद 'आ; में दो पाइयो में मां आरण्य देवी मंदिर के दो देवियों के चित्र लगे रहेंगे. जिससे आरा जंक्शन के नाम से आरण्य देवी का दर्शन यात्रियों को जंक्शन पर हो सकेगा.
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आरण्य ही बाद में आरा हुआ
प्राचीन भारत के इतिहास के मुताबिक जब जैन मुनि अहिंसा के प्रचार में भारत भ्रमण का तूफानी दौरा कर रहे थे, तो वे इस इलाके से भी गुजरे थे. गांगी के तट पर बसे इस अरण्यक पर मुनिजन मोहित हो गये थे. जैन मुनियों की एक टोली ने इसी रमणीय जगह पर बसने का फैसला कर लिया था. यहां देखते-देखते एक नगर बसने लगा. आरण्य यानी वनों की बहुलता के कारण इसे आरण्य नगरी कहा जाने लगा. आरण्य ही बाद में आरा हुआ.
आरण्य देवी की होती है पूजा
कहा जाता है राजा भोज, पांडव व श्री राम भी यहां दर्शन के लिए आ चुके है. मां आरण्य देवी के बारे में कहा जाता है कि भगवान राम जब बक्सर में ताड़िका को मार कर सोन नद को पार कर मिथिला नगरी जा रहे थे, तब रास्ते में आरण्य नगरी में मां आरण्य देवी की पूजा की थी. इसी तरह महाभारत काल में पांचों पाण्डव के भी अज्ञातवास बनवास के दौरान एकचक्रा नगरी आरा में आदिशक्ति के पूजन का जिक्र है.
मां आरण्य देवजी मंदिर में दो प्रतिमाएं हैं. एक आरण्य देवी और दूसरी आदिशक्ति की. मां आरण्य देवी के मंदिर में दो प्रतिमा में एक लक्ष्मी व सरस्वती की प्रतिमा है.
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वहीं, दानापुर रेल मंडल के पीआरओ पृथ्वी राज ने बताया कि आरा जंक्शन पर ये चित्र डीआरएम सुनील कुमार को भी आई है. आरा का इतिहास काफी पुराना है. इस कारण आरा जंक्शन के सभी बोर्डों पर ये चित्र जल्द ही लगेंगे.