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सौहार्द की मिसाल: छठ के मौके पर आरा के इस तालाब के किनारों पर बनते हैं अलग-अलग धर्मों के पूजा स्थल - अलग-अलग धर्मों के धर्मस्थल

महापर्व छठ को लेकर आरा के कलेक्ट्रेट घाट पर छठ की सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. बता दें कि शुक्रवार को दोपहर से ही घरों में व्रती महिलाएं गन्ने के रस, दूध, गुड़ और साठी चावल से बनी खीर और घी चुपड़ी रोटी तैयार करने में जुट गई थीं.

कलेक्ट्रेट घाट छठ पूजा के लिए तैयार
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Published : Nov 1, 2019, 6:36 PM IST

भोजपुर: सूर्योपासना का महापर्व छठ को लेकर आरा के कलेक्ट्रेट घाट पर छठ की सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. बता दें कि चार दिनों तक चलने वाले महापर्व छठ के विशेष अनुष्ठान में पवित्रता का खास ख्याल रखा जाता है. शुक्रवार को दोपहर से ही घरों में व्रती महिलाएं गन्ने के रस, दूध, गुड़ और साठी चावल से बनी खीर और घी चुपड़ी रोटी तैयार करने में जुट गई थीं. वहीं, शनिवार को छठ व्रती अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य देंगी.

भोजपुर
आरा का कलेक्ट्रेट छठ घाट

आपसी सौहार्द का प्रतीक कलेक्ट्रेट छठ घाट
गौरतलब है कि आरा का कलेक्ट्रेट छठ घाट जो आपसी सद्भावना और आस्था का प्रतीक माना जाता है. कलेक्ट्रेट छठ घाट को छठ व्रती पूजन के लिए घाट को तैयार करने में जुट गए हैं. कलेक्ट्री घाट पर सभी धर्मों के लोग अपनी परंपरा के अनुसार बने प्रार्थना स्थल पर पूजा अर्चना करते हैं. अंग्रेजों के जमाने में बने इस तालाब के तीन किनारों पर अलग-अलग धर्मों के धर्मस्थल बनाए गए हैं. तालाब के एक छोर पर भगवान भास्कर का मंदिर, दूसरी तट पर मस्जिद. वहीं, तालाब के तीसरे कोने पर ईसाई धर्म के लिए चर्च बना हुआ है.

आरा का कलेक्ट्रेट घाट छठ पूजा के लिए तैयार

'अपने आपको मानते हैं सौभाग्यशाली'
इतनी विविधताओं के बाद भी सभी धर्मों के स्थानीय लोग आपसी सद्भाव के साथ पूजा-अर्चना करते हैं. यही कारण है कि कलेक्ट्रेट घाट पर छठ करके लोग अपने आपको सौभाग्यशाली मानते हैं. स्थानीय ने बताया कि खरना में पहले छठी मैया की और फिर व्रत रखने वाली महिलाओं की पूजा होती है. खरना के बाद महिलाएं देर रात तक ठेकुआ का प्रसाद तैयार करने में जुटी रहीं. इसे मिट्टी के नए चूल्हे में आम की लकड़ियों पर बनाया जाता है.

भोजपुर: सूर्योपासना का महापर्व छठ को लेकर आरा के कलेक्ट्रेट घाट पर छठ की सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. बता दें कि चार दिनों तक चलने वाले महापर्व छठ के विशेष अनुष्ठान में पवित्रता का खास ख्याल रखा जाता है. शुक्रवार को दोपहर से ही घरों में व्रती महिलाएं गन्ने के रस, दूध, गुड़ और साठी चावल से बनी खीर और घी चुपड़ी रोटी तैयार करने में जुट गई थीं. वहीं, शनिवार को छठ व्रती अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य देंगी.

भोजपुर
आरा का कलेक्ट्रेट छठ घाट

आपसी सौहार्द का प्रतीक कलेक्ट्रेट छठ घाट
गौरतलब है कि आरा का कलेक्ट्रेट छठ घाट जो आपसी सद्भावना और आस्था का प्रतीक माना जाता है. कलेक्ट्रेट छठ घाट को छठ व्रती पूजन के लिए घाट को तैयार करने में जुट गए हैं. कलेक्ट्री घाट पर सभी धर्मों के लोग अपनी परंपरा के अनुसार बने प्रार्थना स्थल पर पूजा अर्चना करते हैं. अंग्रेजों के जमाने में बने इस तालाब के तीन किनारों पर अलग-अलग धर्मों के धर्मस्थल बनाए गए हैं. तालाब के एक छोर पर भगवान भास्कर का मंदिर, दूसरी तट पर मस्जिद. वहीं, तालाब के तीसरे कोने पर ईसाई धर्म के लिए चर्च बना हुआ है.

आरा का कलेक्ट्रेट घाट छठ पूजा के लिए तैयार

'अपने आपको मानते हैं सौभाग्यशाली'
इतनी विविधताओं के बाद भी सभी धर्मों के स्थानीय लोग आपसी सद्भाव के साथ पूजा-अर्चना करते हैं. यही कारण है कि कलेक्ट्रेट घाट पर छठ करके लोग अपने आपको सौभाग्यशाली मानते हैं. स्थानीय ने बताया कि खरना में पहले छठी मैया की और फिर व्रत रखने वाली महिलाओं की पूजा होती है. खरना के बाद महिलाएं देर रात तक ठेकुआ का प्रसाद तैयार करने में जुटी रहीं. इसे मिट्टी के नए चूल्हे में आम की लकड़ियों पर बनाया जाता है.

Intro:आरा का कलेक्ट्रेट घाट

भोजपुर


सूर्योपासना का महापर्व छठ को लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है कल छठ व्रती अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य दंगे. छठ का व्रत व्रतियों के लिए किसी तपस्या से कम नहीं है 4 दिन तक होने वाले विशेष अनुष्ठान में पवित्रता का खास ख्याल रखा जाता है. आज छठ व्रतियों ने दिनभर निर्जला व्रत कर देर शाम को बिना शक्कर से गुड़ की खीर एवं पूरी का प्रसाद बनाई.


Body:वही आरा का कलेक्ट्रेट छठ घाट जो आपसी सद्भावना के साथ-साथ आस्था का प्रतीक माना जाता है वो भी सज धज के तैयार है. छठ व्रती पूजन के लिए घाट को तैयार करने में जुट गए हैं यह कलेक्ट्री घाट कई दशकों से सद्भावना का का प्रतीक माना जाता है. यह सभी धर्मों के लोग अपनी परंपरा के अनुसार बने प्रार्थना स्थल पर पूजा अर्चना करते हैं.अंग्रेजों के जमाने में बने इस तालाब के एक ओर जहां भगवान भास्कर का मंदिर है तो वहीं दूसरे किनारे पर मस्जिद में मुसलमान नमाज अदा करते हैं जबकि तालाब के तीसरे कोने पर ईसाई धर्म के लिए चर्च बना हुआ है. यहां के स्थानीय लोग इस कलेक्ट्रेट घाट पर छठ करके अपने आप को सौभाग्यशाली मानते हैं उनका मानना है बिहार का पहला ऐसा तालाब है उसके तीनों दिशा में मंदिर, मस्जिद और चर्च है. स्थानीय ने बताया कि हम सभी जो भी मनोकामना यहां मांगते हैं वह पूरी होती आ रही है.

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