भोजपुरः बिहार के भोजपुर जिले के आरा सदर अस्पताल का हाल बेहाल है. खाट और ठेला पर मरीज (patient Brought on thela in Ara) को लादकर लाया जाता है, जबकि मार्च 2022 में सरकार ने दोनों एम्बुलेंस खरीदी थी. सरकार हर साल गरीब मरीजों के लिए नए योजनाएं लाती हैं बावजूद लोगों को लाभ नहीं मिलता है. सदर अस्पताल आरा के पास 8 एम्बुलेंस है. इसमें से 6 संचालित है फिर भी गरीब मरीज को ठेले पर ढोय जा रहा है.
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अस्पताल का हालः शनिवार को आरा शहर के वार्ड 28 के रोजा मोहल्ले के जमील नाम के 70 वर्षीय मरीज की तबियत बिगड़ गई. उसको इलाज के लिए परिजनों के द्वारा सदर अस्पताल लाया जा रहा था. बुजुर्ग मरीज बाइक या किसी वाहन पर बैठने में सक्षम नहीं था. जिसके बाद उसके परिजन ठेला पर ले कर सदर अस्पताल पहुंचे. सदर अस्पताल पहुंचने के बाद भी मरीज को तकरीबन एक घन्टे तक ठेले पर ही पड़ा रहना पड़ा. उसको कोई पूछने वाला नहीं था. मरीज के साथ उसका नाबालिग बेटा और एक महिला थी. दोनों मरीज को उठा कर इमरजेंसी वार्ड में ले जाने में सक्षम नहीं थे.
एंबुलेंस खड़ी रहतीः आपको बता दे कि सदर अस्पताल के 6 एम्बुलेंस के अलावे दो हाईटेक एम्बुलेंस आरा सदर विधायक अमरेंद्र प्रताप सिंह के द्वारा दी गयी थी. इन दोनों एम्बुलेंस में वेंटिलेटर, ऑक्सीजन की सुविधा है. इसके बावजूद ये दोनों एम्बुलेंस मार्च 2022 से ही अब तक जस की तस खड़ी है. सदर अस्पताल के प्रबंधक का कहना है कि ये दोनों एम्बुलेंस बहुत बड़ी है, जिस वजह से शहर में चलने में दिक्कत होती है. इसके अलावे ये दोनों एम्बुलेंस का माइलेज भी कम है. हालांकि, सदर अस्पताल के सिविल सर्जन के द्वारा पटना विभाग को लिखकर दोनों एम्बुलेंस के संचालित करने के लिए आदेश मांगा गया है.
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'हमलोग गरीब हैं. बड़ी गाड़ी से लाने में सक्षम नहीं थे. ना ही एम्बुलेंस की व्यवस्था हो सकी. हमलोगों को मजबूरन ठेला पर ही लेकर आना पड़ा'- मरीज की परिजन
'हमें इस बात की जानकारी नहीं है. लेकिन सदर अस्पताल में 6 एम्बुलेंस बिहार सरकार के द्वारा दिया गया है, उसका उपयोग ऐसे ही मरीजों के लिए होता है'- कौशल दुबे, प्रबंधक, सदर अस्पताल