भागलपुरः लॉकडाउन के दौरान गंगा का पानी स्वच्छ हो गया था. लेकिन एक बार फिर पानी दूषित होने लगा है. शहर के नालों का पानी बेरोक-टोक गंगा में गिराया जा रहा है. शहर के करीब 44 नालों के 45 एमएलडी पानी सीधे गंगा में प्रवाहित हो रहे हैं.
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की है योजना
गंगा को प्रदूशन मुक्त करने के लिए साहिबगंज में 254 करोड़ की लागत से 45 एमएलडी क्षमता वाले सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाना था. जो कि अभी तक जमीन पर नहीं उतर पाया है. बरारी से नाथनगर तक चैनल बनाकर ट्रीटमेंट प्लांट तक नालों को जोड़ने की योजना है, लेकिन डीपीआर बनने के बाद उस पर आगे की कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
गंगा में आ रही शहर की गंदगी
गंगा में डॉल्फिन संरक्षण के लिए लगाए गए डॉल्फिन मित्र नागो मालदार ने बताया कि गंगा में लगातार शहर का गंदा पानी जा रहा है. जिस से गंगा का पानी दूषित होने लगा है. उन्होंने कहा कि नगर निगम का कचरा वाला पानी जिसमें बोतल, प्लास्टिक आदि सभी गंगा में आ रहा है. उसे रोकने के लिए नाले में जाली बनाया हुआ है लेकिन उसकी सफाई नहीं होती है. जिस वजह से कई जगहों पर जाली को तोड़ कर पानी कचरा सहित गंगा में जा रहा है. उन्होंने बताया कि श्मशान घाट का अवशेष और जानवरों का शव भी गंगा में ही फेंका जा रहा है. इसके अलावा कल कारखानाओं से केमिकल वाला पानी भी जा रहा है.
एसटीपी का होगा निर्माम
बुडको के कार्यपालक अभियंता राजेश कुमार ने बताया कि गंगा में गंदा पानी जाने से रोकने के लिए भागलपुर के साहिबगंज में पुराने पड़े एसटीपी में एक नया एसटीपी बनाया जाना है. इसके लिए 10 जगहों पर इंटरमीडिएट सबवे भी बनाया जाएगा. जिसमें शहर के नालों का पानी लाया जाएगा और वहां से मोटर के माध्यम से लिफ्ट कर पानी को साहिबगंज के एसटीपी में लेकर जाया जाएगा. वहां पानी को ट्रीटमेंट कर फिर छोड़ा जाएगा. इसका काम चल रहा है.
बता दें कि पिछले साल लोकसभा चुनाव के पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने योजना का शिलान्यास किया था. लेकिन निविदा की प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो सकी है. नमामि गंगे की टीम ने भागलपुर में स्थल निरीक्षण के बाद सवाल खड़े किए हैं. उसके बाद सर्वे कराकर नया डीपीआर बनाकर भेजने का निर्देश दिया था.