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गर्मी आते ही पेयजल संकट गहराया, तेजी से घट रहा भू-गर्भ जलस्तर

गर्मियों की शुरुआत से ही जलसंकट की समस्या उत्पन्न होने लगती है. जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गर्मी अभी अच्छे से शुरू भी नहीं हुई है कि भू-गर्भ जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है.

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Published : Mar 4, 2021, 7:20 AM IST

Updated : Mar 4, 2021, 11:35 AM IST

पानी की समस्या
पानी की समस्या

भागलपुर: गर्मी अभी ठीक से शुरू भी नहीं हुई है कि जल संकट गहराने लगा है. जिले में सबसे ज्यादा जल की समस्या सनहौला, कहलगांव और पीरपैंती प्रखंड में रहती है. इस बार भी जल संकट की शुरुआत हो गई है. इसके पीछे कारण भू-जल स्तर का गिरना और इलाके में नहर, तालाब का नहीं होना है. इलाके के कई गांव ऐसे हैं, जहां मई और जून महीने में पीने का पानी भी खत्म हो जाता है. फरवरी माह में 2020 की तुलना में कहलगांव, गोराडीह, सनहौला और पीरपैंती प्रखंड के कई गांव का भू-गर्भ जलस्तर 4 से 6 फीट तक नीचे चला गया है.

इसे भी पढ़ें: सावधान! अब वर्चुअल नंबर से हो रहा साइबर फ्रॉड, आपको बचाएंगे ये टिप्स

जिला प्रशासन अलर्ट
बता दें कि जिले में जल की समस्या को लेकर जिला प्रशासन भी अलर्ट हो गया है. इस बार जल समस्या से निदान के लिए पीएचईडी विभाग ने दस अलग-अलग ढाबा दल का गठन किया है. जिसमें इंजीनियर के साथ मैकेनिकल और टेक्निकल टीम को लगाया है, जो समस्या का त्वरित निदान करने के लिए कार्य करेगी. ढाबा दल में मोबाइल नंबर के साथ समस्या आने पर उस स्थल तक पहुंचने के लिए जिला प्रशासन के माध्यम से दो पहिया और चार पहिया वाहन तक उपलब्ध कराया है. उसकी मॉनिटरिंग भी जिला नियंत्रण कक्ष से की जाएगी.

पानी की समस्या से लोग हुए परेशान.
पानी की समस्या से लोग हुए परेशान.

2020 से ही पानी की परेशानी शुरू
बता दें कि देश के कई शहरों में जल संकट ने विकराल रूप धारण कर लिया है. भविष्य में इसके और गहराने के आसार दिखाई दे रहे हैं. नीति आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक पानी खत्म होने के कगार पर आ जाएगा. इस किल्लत का सामना सबसे ज्यादा दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद के लोगों को करना पड़ेगा. रिपोर्ट के अनुसार, 2020 से ही पानी की परेशानी शुरू हो गई है. यानी कुछ समय बाद ही करीब 10 करोड़ लोग पानी के कारण परेशान होंगे. 2030 तक देश के लगभग 40 फीसदी लोगों तक पीने के पानी की पहुंचे खत्म हो जाएगी. वहीं चेन्नई में आगामी दिनों 3 नदियां 4 जल निकाय और 5 झील और जंगल पूरी तरह से सूख गए हैं. जबकि अन्य कई जगहों पर इन्हीं परिस्थितियों से गुजारना पड़ रहा है. 4 साल पहले भी नीति आयोग ने एक रिपोर्ट में बताया था कि देश में जल संरक्षण को लेकर अधिकांश राज्यों का काम संतोषजनक नहीं है.

देखें रिपोर्ट.

जानिए क्या कहते हैं इंजीनियर
भागलपुर पूर्वी क्षेत्र के लोक स्वास्थ्य विभाग के कार्यपालक अभियंता इंजीनियर रणजीत कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि-
2019 में कहलगांव, सनहौला और पीरपैंती प्रखंड में ज्यादा परेशानी हुई थी. लेकिन 2020 में अधिक बारिश होने के कारण परेशानी नहीं हुई थी. इस बार संभावना अधिक है कि पानी का किल्लत होने वाला है. भू-गर्भ जलस्तर नीचे जा रहा है. 2020 के फरवरी महीने की तुलना में इस फरवरी में पानी 7.50 फीट नीचे जा चुका है. -रणजीत कुमार, इंजीनियर

रणजीत कुमार, इंजीनियर
रणजीत कुमार, इंजीनियर

ये भी पढ़ें: बजट सत्र में विपक्ष की बदली रणनीति, कई सालों बाद प्रश्नकाल नहीं हो रहा बाधित

जल संकट उत्पन्न होने की समस्या
रणजीत कुमार ने कहा कि जिस तरह से जलस्तर नीचे जा रहा है, संभावना है कि मई तक करीब 10 फीट तक जलस्तर नीचे चला जाएगा. ऐसे में जल संकट उत्पन्न होने की समस्या है. उन्होंने कहा कि जल संकट से निपटने के लिए पीएचईडी विभाग ने मोबाइल दल का गठन किया गया है. जिसमें इंजीनियर के साथ टेक्निकल और मैकेनिकल टीम को भी लगाया है. साथ ही सभी टीम को दोपहिया और चार पहिया वाहन दिया गया है. जिससे कहीं भी समस्या होने पर उसे तुरंत ठीक किया जा सके. उन्होंने कहा कि सनहौला, पीरपैंती और कहलगांव प्रखंड के करीब 9 पंचायत ऐसे है, जहां हर वर्ष जल समस्या उत्पन्न होती है. इस बार वहां विशेष ध्यान दिया जा रहा है. सारे चापाकल को ठीक कराया जा रहा है. यदि जलस्तर नीचे जाने के कारण चापाकल फेल हो जाता है तो उस गांवों में टैंकर के माध्यम से पानी पहुंचाया जाएगा.

पानी की समस्या से लोग हुए परेशान.
पानी की समस्या से लोग हुए परेशान.

भू-गर्भ जल का दोहन
बता दें कि हर साल 22 मार्च को पूरा विश्व जल दिवस मनाता है. इसलिए यह देखना महत्वपूर्ण हो जाता है कि दुनिया जल दिवस को तो मना रही है पर क्या इसके उपयोग को लेकर वह गंभीर, संयमित और सचेत है या नहीं. आज जिस तरह से मानवीय जरूरतों की पूर्ति के लिए निरंतर और अनवरत भू-गर्भ जल का दोहन किया जा रहा है. उससे साल दर साल भू-जल स्तर गिरता जा रहा है. भू-गर्भ जल उस जल को कहा जाता है जो वर्षों और अन्य स्रोतों के कारण जमीन में चला जाता है और जमा होता रहता है.

पानी की समस्या से लोग हुए परेशान.
पानी की समस्या से लोग हुए परेशान.

भू-गर्भ जल स्तर में गिरावट
पिछले एक दशक के भीतर भू-गर्भ जल स्तर में काफी गिरावट आई है. यदि आंकड़े के जरिए समझने का प्रयास करें तो अब से 10 वर्ष पहले तक जहां 30 मीटर की खुदाई पर पानी मिल जाता था, अब पानी के लिए 60 से 80 मीटर तक की खुदाई करनी पड़ती है. साफ है कि बीते 10 वर्षों में दुनिया का भाव गर्भ जलस्तर बड़ी तेजी से घटा है. यह बड़ी चिंता का विषय है. यदि केवल भारत की बात करें तो भारतीय केंद्र केंद्रीय जल आयोग के माध्यम से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार देश के बड़े जलाशयों का जलस्तर 2015 के मुकाबले 2020 में तेजी से घटा है.

12 राज्यों में जलस्तर में गिरावट
आयोग के अनुसार देश के 12 राज्यों हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड, तिरूपुरा ,गुजरात महाराष्ट्र, उत्तराखंड, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के जलाशयों के जलस्तर में काफी गिरावट पाई गई है. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत 2025 तक जल संकट वाला देश बन जाएगा.

भागलपुर: गर्मी अभी ठीक से शुरू भी नहीं हुई है कि जल संकट गहराने लगा है. जिले में सबसे ज्यादा जल की समस्या सनहौला, कहलगांव और पीरपैंती प्रखंड में रहती है. इस बार भी जल संकट की शुरुआत हो गई है. इसके पीछे कारण भू-जल स्तर का गिरना और इलाके में नहर, तालाब का नहीं होना है. इलाके के कई गांव ऐसे हैं, जहां मई और जून महीने में पीने का पानी भी खत्म हो जाता है. फरवरी माह में 2020 की तुलना में कहलगांव, गोराडीह, सनहौला और पीरपैंती प्रखंड के कई गांव का भू-गर्भ जलस्तर 4 से 6 फीट तक नीचे चला गया है.

इसे भी पढ़ें: सावधान! अब वर्चुअल नंबर से हो रहा साइबर फ्रॉड, आपको बचाएंगे ये टिप्स

जिला प्रशासन अलर्ट
बता दें कि जिले में जल की समस्या को लेकर जिला प्रशासन भी अलर्ट हो गया है. इस बार जल समस्या से निदान के लिए पीएचईडी विभाग ने दस अलग-अलग ढाबा दल का गठन किया है. जिसमें इंजीनियर के साथ मैकेनिकल और टेक्निकल टीम को लगाया है, जो समस्या का त्वरित निदान करने के लिए कार्य करेगी. ढाबा दल में मोबाइल नंबर के साथ समस्या आने पर उस स्थल तक पहुंचने के लिए जिला प्रशासन के माध्यम से दो पहिया और चार पहिया वाहन तक उपलब्ध कराया है. उसकी मॉनिटरिंग भी जिला नियंत्रण कक्ष से की जाएगी.

पानी की समस्या से लोग हुए परेशान.
पानी की समस्या से लोग हुए परेशान.

2020 से ही पानी की परेशानी शुरू
बता दें कि देश के कई शहरों में जल संकट ने विकराल रूप धारण कर लिया है. भविष्य में इसके और गहराने के आसार दिखाई दे रहे हैं. नीति आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक पानी खत्म होने के कगार पर आ जाएगा. इस किल्लत का सामना सबसे ज्यादा दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद के लोगों को करना पड़ेगा. रिपोर्ट के अनुसार, 2020 से ही पानी की परेशानी शुरू हो गई है. यानी कुछ समय बाद ही करीब 10 करोड़ लोग पानी के कारण परेशान होंगे. 2030 तक देश के लगभग 40 फीसदी लोगों तक पीने के पानी की पहुंचे खत्म हो जाएगी. वहीं चेन्नई में आगामी दिनों 3 नदियां 4 जल निकाय और 5 झील और जंगल पूरी तरह से सूख गए हैं. जबकि अन्य कई जगहों पर इन्हीं परिस्थितियों से गुजारना पड़ रहा है. 4 साल पहले भी नीति आयोग ने एक रिपोर्ट में बताया था कि देश में जल संरक्षण को लेकर अधिकांश राज्यों का काम संतोषजनक नहीं है.

देखें रिपोर्ट.

जानिए क्या कहते हैं इंजीनियर
भागलपुर पूर्वी क्षेत्र के लोक स्वास्थ्य विभाग के कार्यपालक अभियंता इंजीनियर रणजीत कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि-
2019 में कहलगांव, सनहौला और पीरपैंती प्रखंड में ज्यादा परेशानी हुई थी. लेकिन 2020 में अधिक बारिश होने के कारण परेशानी नहीं हुई थी. इस बार संभावना अधिक है कि पानी का किल्लत होने वाला है. भू-गर्भ जलस्तर नीचे जा रहा है. 2020 के फरवरी महीने की तुलना में इस फरवरी में पानी 7.50 फीट नीचे जा चुका है. -रणजीत कुमार, इंजीनियर

रणजीत कुमार, इंजीनियर
रणजीत कुमार, इंजीनियर

ये भी पढ़ें: बजट सत्र में विपक्ष की बदली रणनीति, कई सालों बाद प्रश्नकाल नहीं हो रहा बाधित

जल संकट उत्पन्न होने की समस्या
रणजीत कुमार ने कहा कि जिस तरह से जलस्तर नीचे जा रहा है, संभावना है कि मई तक करीब 10 फीट तक जलस्तर नीचे चला जाएगा. ऐसे में जल संकट उत्पन्न होने की समस्या है. उन्होंने कहा कि जल संकट से निपटने के लिए पीएचईडी विभाग ने मोबाइल दल का गठन किया गया है. जिसमें इंजीनियर के साथ टेक्निकल और मैकेनिकल टीम को भी लगाया है. साथ ही सभी टीम को दोपहिया और चार पहिया वाहन दिया गया है. जिससे कहीं भी समस्या होने पर उसे तुरंत ठीक किया जा सके. उन्होंने कहा कि सनहौला, पीरपैंती और कहलगांव प्रखंड के करीब 9 पंचायत ऐसे है, जहां हर वर्ष जल समस्या उत्पन्न होती है. इस बार वहां विशेष ध्यान दिया जा रहा है. सारे चापाकल को ठीक कराया जा रहा है. यदि जलस्तर नीचे जाने के कारण चापाकल फेल हो जाता है तो उस गांवों में टैंकर के माध्यम से पानी पहुंचाया जाएगा.

पानी की समस्या से लोग हुए परेशान.
पानी की समस्या से लोग हुए परेशान.

भू-गर्भ जल का दोहन
बता दें कि हर साल 22 मार्च को पूरा विश्व जल दिवस मनाता है. इसलिए यह देखना महत्वपूर्ण हो जाता है कि दुनिया जल दिवस को तो मना रही है पर क्या इसके उपयोग को लेकर वह गंभीर, संयमित और सचेत है या नहीं. आज जिस तरह से मानवीय जरूरतों की पूर्ति के लिए निरंतर और अनवरत भू-गर्भ जल का दोहन किया जा रहा है. उससे साल दर साल भू-जल स्तर गिरता जा रहा है. भू-गर्भ जल उस जल को कहा जाता है जो वर्षों और अन्य स्रोतों के कारण जमीन में चला जाता है और जमा होता रहता है.

पानी की समस्या से लोग हुए परेशान.
पानी की समस्या से लोग हुए परेशान.

भू-गर्भ जल स्तर में गिरावट
पिछले एक दशक के भीतर भू-गर्भ जल स्तर में काफी गिरावट आई है. यदि आंकड़े के जरिए समझने का प्रयास करें तो अब से 10 वर्ष पहले तक जहां 30 मीटर की खुदाई पर पानी मिल जाता था, अब पानी के लिए 60 से 80 मीटर तक की खुदाई करनी पड़ती है. साफ है कि बीते 10 वर्षों में दुनिया का भाव गर्भ जलस्तर बड़ी तेजी से घटा है. यह बड़ी चिंता का विषय है. यदि केवल भारत की बात करें तो भारतीय केंद्र केंद्रीय जल आयोग के माध्यम से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार देश के बड़े जलाशयों का जलस्तर 2015 के मुकाबले 2020 में तेजी से घटा है.

12 राज्यों में जलस्तर में गिरावट
आयोग के अनुसार देश के 12 राज्यों हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड, तिरूपुरा ,गुजरात महाराष्ट्र, उत्तराखंड, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के जलाशयों के जलस्तर में काफी गिरावट पाई गई है. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत 2025 तक जल संकट वाला देश बन जाएगा.

Last Updated : Mar 4, 2021, 11:35 AM IST
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