भागलपुरः रियल स्टेट का कारोबार इन दिनों मंदी के दौर से गुजर रहा है. कंपनियों के प्रोजेक्ट अधर में लटके पड़े हैं. इससे कारोबारी तो परेशान हैं ही निवेशक भी समय पर प्लॉट और फ्लैट नहीं मिलने से हताश हैं.
स्मार्ट सिटी से थी उम्मीदें
दरअसल, भागलपुर शहर को स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल किया गया था. जिसके बाद से शहर वासियों और रियल एस्टेट कारोबारियों में खासा उत्साह देखा जा रहा था. स्मार्ट सिटी में शामिल होने के बाद बाहर की कम्पनियां भी यहां प्रोजेक्ट शुरू करने लगी. लेकिन शहर को स्मार्ट बनाने वाली योजना धरातल पर उतरी ही नहीं. बताया जाता है कि इस बीच नोटबंदी की वजह से रियल एस्टेट के कारोबार में भारी गिरावट आई. उसके बाद से अभी तक कारोबार ढुलमुल ही चल रहा है.
'सरकारी नीति है बाधक'
कारोबारी बताते हैं कि बिक्री में गिरावट आने की एक वजह रियल एस्टेट से संबंधित सरकार की नीति भी है. सिमेंट, ईंट, बालू और गिट्टी के भाव भी बढ़ गए हैं. जिसकी वजह से फ्लैट महंगी हुई है. वहीं, जिले की नगर आयुक्त जे प्रियदर्शनी ने कहा कि स्मार्ट सिटी की योजनाएं महीने के अंत तक दिखनी शुरू हो जाएंगी.
डिप्टी मेयर ने आयुक्त पर फोड़ा ठीकरा
इधर, नगर निगम के उप महापौर राजेश वर्मा ने सारा ठीकरा नगर आयुक्त पर फोड़ दिया. उन्होंने कहा कि इससे पहले के नगर आयुक्त के कार्यकाल में सारे काम ठप पड़े थे. नई आयी आयुक्त से कुछ बेहतर करने की उम्मीदें हैं.