भागलपुर: सोमवार को दिल्ली के आर्मी हॉस्पिटल (रिसर्च एंड रेफरल) अस्पताल में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन हो गया. आज से करीब 3 वर्ष पूर्व 2 अप्रैल 2017 को देश के राष्ट्रपति रहने के दौरान वे दो दिवसीय दौरे पर कहलगांव आए थे. यहां से जुड़े उनकी कई यादें हैं. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बिहार के भागलपुर स्थित विक्रमशिला विश्वविद्यालय का दौरा किया था.
उस समय प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि वह बौद्ध शिक्षा के इस प्राचीन केंद्र के पुनरुत्थान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात कर बिहार के प्राचीन और गौरवशाली विक्रमशिला विश्वविद्यालय के विकास के लिए कोशिश करेंगे. उन्होंने कहा था कि विक्रमशिला का महज संग्रहालय नहीं बनना चाहिए बल्कि नालंदा की तरह ही इसका भी विकास किया जाना चाहिए. देश को ऐसे विश्वविद्यालयों की जरूरत है.
जनता के नाम प्रणब मुखर्जी का संबोधन
प्रणब मुखर्जी ने विश्वविद्यालय में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था विक्रमशिला उच्च शिक्षा केंद्र ने राष्ट्र का मार्ग दर्शन नाम साथ अनुसंधान को बढ़ावा दिया. मैं इसके पुनरुत्थान के लिए प्रधानमंत्री से बात करुंगा. राष्ट्रपति ने कहा कि नालंदा, तक्षशिला और विक्रमशिला जैसे प्राचीन शिक्षण केंद्र अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे. उन्होंने कहा कि वह कॉलेज के दिनों से ही इस तरह के केंद्रों को देखने को उत्सुक थे और यहां इसके पुनरुत्थान के लिए लोगों के प्रेम और भाव को देखकर वह भाव विह्वल हो गए थे.
'गौरवशाली है विश्वविद्यालय का इतिहास'
दिवंगत राष्ट्रपति ने उस समय कहा था कि पाल वंश के शासन के दौरान भारत में बौद्ध शिक्षण के दो महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक इस संस्थान की स्थापना राजा धर्मपाल ने बौद्ध और तांत्रिक शिक्षा के एक केंद्र के रूप में की थी. प्रधानमंत्री मोदी ने अगस्त 2015 में विश्वविद्यालय के लिए 500 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी जबकि राज्य सरकार संस्थान के लिए 500 एकड जमीन मुहैया कराने वाली थी. विक्रमशिला को 'बौद्ध सर्किट' में शामिल करने के बाद राष्ट्रपति के दौरे से इसके अंतरराष्ट्रीय पर्यटन केंद्र के रुप में विकसित होने में मदद मिलने की उम्मीद की जा रही थी.
प्राचीन विक्रमशिला महाविहार का महत्व
भागलपुर के पूर्व में करीब 50 किलोमीटर और भागलपुर-साहिबगंज प्रखंड में कहलगांव रेलवे स्टेशन के 13 किलोमीटर उत्तर पूर्व में स्थित केंद्र में प्राचीन समय में अनुसंधान के लिए बौद्ध भिक्षु और विद्वान रहते थे. 13वीं सदी के शुरू में हृास की शुरुआत होने से पहले विश्वविद्यालय चार सदियों तक खूब फला-फूला. विक्रमशिला ने अनेक हस्तियां दीं. विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध विद्वानों को विभिन्न देश बौद्ध शिक्षा, संस्कृति और धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए आमंत्रित करते थे.
...जब प्रणब मुखर्जी ने मांगी थी माफी
अपने संबोधन के दौरान पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भाषण के अंत में लोगों से कहा था कि आपने अच्छा स्वागत किया, इसके लिए बधाई. गर्मी बहुत है लेकिन फिर भी आपने (लोगों की तरफ इशारा करते हुए) कष्ट करके समारोह में भाग लिया. अंत में उन्होंने कहा था कि मैं हिंदी ठीक से बोल नहीं सकता, इसके लिए माफी चाहता हूं.