ETV Bharat / state

बिहार के वित्तीय प्रबंधन पर लगे आरोप पर बोले विधायक अजीत शर्मा, विधायकों की जांच दल बनाकर हो जांच - सरकार के कार्यशैली पर सवाल

हाल ही में अपर उप महानियंत्रक ने बिहार के वित्तीय प्रबंधन पर 55 हजार करोड़ से अधिक रुपए का नहीं देने का आरोप लगाया है. इस पर कांग्रेस विधायक दल के नेता ने क्या कहा. पढ़िये इस रिपोर्ट में.

विधायक अजीत शर्मा
विधायक अजीत शर्मा
author img

By

Published : Jul 16, 2021, 4:38 AM IST

भागलपुर: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) भ्रष्टाचार को रोकने को लेकर बड़े-बड़े दावे करते हैं. अपने चुनावी भाषण के दौरान और समय-समय पर सरकारी खजाने की पाई पाई का हिसाब रखने के बारे में बयान देते रहतें हैं. भ्रष्टाचार को लेकर मुख्यमंत्री हमेशा जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने की बात करते हैं लेकिन इसी बीच अपर उप महानियंत्रक (Additional Deputy Controller General) ने बिहार के वित्तीय प्रबंधन पर 55 हजार करोड़ से अधिक रुपए का हिसाब नहीं देने का आरोप लगाया है.

ये भी पढ़ें:भागलपुर रेशम उद्योग की फिर लौटेगी चमक : शाहनवाज हुसैन

ऐसे में अब सरकार के कार्यशैली पर प्रश्न उठने लगे हैं. मुख्यमंत्री के दावे और हकीकत को लेकर प्रश्न खड़े हो रहे हैं. इस बात को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है. बिहार कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि जिस तरह से मामले को लेकर अपर उप महानियंत्रक ने बिहार के वित्तीय प्रबंधन पर सवाल उठाए हैं. वह काफी गंभीर है. इसलिए वह बिहार विधान सभा अध्यक्ष से मांग करते हैं कि इस मामले की जांच के लिए सर्वदलीय विधायकों की एक जांच टीम बनवा कर जांच कराई जाए.

कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरकारी खजाने के पाई पाई का हिसाब रखने की बात करते हैं लेकिन बिहार में सरकारी खजाने का हिसाब किताब रखने वाला महालेखाकार को सही सही हिसाब नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि अपर उप महानियंत्रक ने सवाल उठाया है कि पंचायती राज विभाग, नगर एवं आवास विभाग लेखा-जोखा इकट्ठा करने में सहयोग नहीं कर रहा है.

विधायक अजीत शर्मा ने कहा कि करोना काल में सभी विधायकों से सरकार ने विधायकों का फंड को लेकर बिहार में बिगड़ी स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने की बात कही थी लेकिन अब लग रहा है कि उन पैसों का दुरुपयोग हुआ है. भारी घोटाला हुआ है इसलिए इसकी जांच होनी चाहिए.

बता दें कि अपर उप महानियंत्रक महालेखा परीक्षक राकेश मोहन के मुताबिक 55.405 करोड रुपए वित्तीय वर्ष 2016 से 19 की बीच की है. इसमें आधे से अधिक सिर्फ तीन सरकारी विभागों ने खर्च किए हैं. लेकिन उन पैसों का हिसाब नहीं है. अपर उप महानियंत्रक महालेखा परीक्षक ने आरोप में बताया है कि आपदा प्रबंधन से 14864 करोड़ ,पंचायती राज्य से 13073 करोड़ और ग्रामीण विकास से 6579 करोड़ रुपए का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं मिला है.

इतना ही नहीं 5770 करोड़ कच्चे बिल पर सरकारी विभागों ने खर्च कर दिया है. अब उसका पक्की बिल जमा नहीं कराया जा रहा है. राकेश मोहन का कहना है कि नगर एवं आवास और पंचायती राज विभाग ऑडिट में सहयोग नहीं कर रहा है. दोनों विभाग कोई रिकॉर्ड नहीं दे रहा है. उन्होंने कहा कि सीएजी अपने संवैधानिक दायित्व के तहत विभागों का ऑडिट करता है. अगर कोई विभाग इसमें सहयोग नहीं करता है तो यह गंभीर मामला बनता है.

देखें ये वीडियो

वहीं उन्होंने बिहार में मध्यावधि चुनाव को लेकर कहा कि कांग्रेस पूरी तरह से तैयार है. यदि बिहार में किस तरह का उलटफेर होता है तो पहले महागठबंधन अपने स्तर से सरकार बनाने के लिए प्रयास करेगी. मामला नहीं बनने पर चुनाव में जाएंगे. उन्होंने कहा कि जिस तरह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के दबाव में भी काम कर रहे हैं. इससे लगता है कि मुख्यमंत्री पहले जैसा काम नहीं कर पा रहे हैं.

कांग्रेस विधायक ने कहा कि मुख्यमंत्री वहां कंफर्ट महसूस नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिस तरह महागठबंधन में रहते हुए विकास कार्य किए थे. वह अभी नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अधिकारी बहुत सारी बात को छुपा लेते हैं. यही वजह है कि बिहार में कागज पर और धरातल पर विकास बिल्कुल अलग दिखाई दे रहा है.

ये भी पढ़ें:Bhagalpur News:अधिक कीमत पर खाद बेचने पर 24 घंटे में दर्ज होगी FIR

वहीं आगामी विधानसभा सत्र को लेकर उन्होंने कहा कि बीते सत्र में जिस तरह से विधायकों के साथ मारपीट सदन के अंदर और बाहर हुई है. उसमें दोषी अधिकारी के ऊपर यदि कार्रवाई नहीं की जाती है तो सदन में इस बात को लेकर प्रश्न किए जाएंगे. विधायक अजीत शर्मा ने कहा कि इसको लेकर वह विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखे हैं. जिसमें दोषी अधिकारी के ऊपर कारवाई की मांग की गई है.

भागलपुर: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) भ्रष्टाचार को रोकने को लेकर बड़े-बड़े दावे करते हैं. अपने चुनावी भाषण के दौरान और समय-समय पर सरकारी खजाने की पाई पाई का हिसाब रखने के बारे में बयान देते रहतें हैं. भ्रष्टाचार को लेकर मुख्यमंत्री हमेशा जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने की बात करते हैं लेकिन इसी बीच अपर उप महानियंत्रक (Additional Deputy Controller General) ने बिहार के वित्तीय प्रबंधन पर 55 हजार करोड़ से अधिक रुपए का हिसाब नहीं देने का आरोप लगाया है.

ये भी पढ़ें:भागलपुर रेशम उद्योग की फिर लौटेगी चमक : शाहनवाज हुसैन

ऐसे में अब सरकार के कार्यशैली पर प्रश्न उठने लगे हैं. मुख्यमंत्री के दावे और हकीकत को लेकर प्रश्न खड़े हो रहे हैं. इस बात को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है. बिहार कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि जिस तरह से मामले को लेकर अपर उप महानियंत्रक ने बिहार के वित्तीय प्रबंधन पर सवाल उठाए हैं. वह काफी गंभीर है. इसलिए वह बिहार विधान सभा अध्यक्ष से मांग करते हैं कि इस मामले की जांच के लिए सर्वदलीय विधायकों की एक जांच टीम बनवा कर जांच कराई जाए.

कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरकारी खजाने के पाई पाई का हिसाब रखने की बात करते हैं लेकिन बिहार में सरकारी खजाने का हिसाब किताब रखने वाला महालेखाकार को सही सही हिसाब नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि अपर उप महानियंत्रक ने सवाल उठाया है कि पंचायती राज विभाग, नगर एवं आवास विभाग लेखा-जोखा इकट्ठा करने में सहयोग नहीं कर रहा है.

विधायक अजीत शर्मा ने कहा कि करोना काल में सभी विधायकों से सरकार ने विधायकों का फंड को लेकर बिहार में बिगड़ी स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने की बात कही थी लेकिन अब लग रहा है कि उन पैसों का दुरुपयोग हुआ है. भारी घोटाला हुआ है इसलिए इसकी जांच होनी चाहिए.

बता दें कि अपर उप महानियंत्रक महालेखा परीक्षक राकेश मोहन के मुताबिक 55.405 करोड रुपए वित्तीय वर्ष 2016 से 19 की बीच की है. इसमें आधे से अधिक सिर्फ तीन सरकारी विभागों ने खर्च किए हैं. लेकिन उन पैसों का हिसाब नहीं है. अपर उप महानियंत्रक महालेखा परीक्षक ने आरोप में बताया है कि आपदा प्रबंधन से 14864 करोड़ ,पंचायती राज्य से 13073 करोड़ और ग्रामीण विकास से 6579 करोड़ रुपए का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं मिला है.

इतना ही नहीं 5770 करोड़ कच्चे बिल पर सरकारी विभागों ने खर्च कर दिया है. अब उसका पक्की बिल जमा नहीं कराया जा रहा है. राकेश मोहन का कहना है कि नगर एवं आवास और पंचायती राज विभाग ऑडिट में सहयोग नहीं कर रहा है. दोनों विभाग कोई रिकॉर्ड नहीं दे रहा है. उन्होंने कहा कि सीएजी अपने संवैधानिक दायित्व के तहत विभागों का ऑडिट करता है. अगर कोई विभाग इसमें सहयोग नहीं करता है तो यह गंभीर मामला बनता है.

देखें ये वीडियो

वहीं उन्होंने बिहार में मध्यावधि चुनाव को लेकर कहा कि कांग्रेस पूरी तरह से तैयार है. यदि बिहार में किस तरह का उलटफेर होता है तो पहले महागठबंधन अपने स्तर से सरकार बनाने के लिए प्रयास करेगी. मामला नहीं बनने पर चुनाव में जाएंगे. उन्होंने कहा कि जिस तरह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के दबाव में भी काम कर रहे हैं. इससे लगता है कि मुख्यमंत्री पहले जैसा काम नहीं कर पा रहे हैं.

कांग्रेस विधायक ने कहा कि मुख्यमंत्री वहां कंफर्ट महसूस नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिस तरह महागठबंधन में रहते हुए विकास कार्य किए थे. वह अभी नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अधिकारी बहुत सारी बात को छुपा लेते हैं. यही वजह है कि बिहार में कागज पर और धरातल पर विकास बिल्कुल अलग दिखाई दे रहा है.

ये भी पढ़ें:Bhagalpur News:अधिक कीमत पर खाद बेचने पर 24 घंटे में दर्ज होगी FIR

वहीं आगामी विधानसभा सत्र को लेकर उन्होंने कहा कि बीते सत्र में जिस तरह से विधायकों के साथ मारपीट सदन के अंदर और बाहर हुई है. उसमें दोषी अधिकारी के ऊपर यदि कार्रवाई नहीं की जाती है तो सदन में इस बात को लेकर प्रश्न किए जाएंगे. विधायक अजीत शर्मा ने कहा कि इसको लेकर वह विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखे हैं. जिसमें दोषी अधिकारी के ऊपर कारवाई की मांग की गई है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.