भागलपुर: पूरा भारतवर्ष विविधताओं से भरा हुआ है. खासकर बिहार में कई अनूठी संस्कृति हैं, जो एकता और अखंडता का मिसाल पेश करती है. ऐसा ही एक उदाहरण भागलपुर के अंतर्गत बिहपुर के मिल्की में स्थित है.
यहां हजरत दाता मांगन शाह रहमतुल्ला अलैह की दरगाह है. जहां पर अप्रैल माह में उर्स के दौरान मांगन शाह की दरगाह पर पहली चादर हिंदू की पेश की जाती है. जिसका वक्त भी मध्य रात्रि के 12 बजकर 05 मिनट पर तय है. इसकी परंपरा वर्षों से चली आ रही है.
यह है इतिहास
ऐसा कहा जाता है कि जब पूरे देश में राजा महाराजा हुआ करते थे. उस समय राजा झप्पन सिंह के यहां सूफी मांगन शाह रहा करते थे. उस समय ब्रिटिश की चाल में राजा का बेटा फंस गया था. जिसे फांसी की सजा मिलने वाली थी. लेकिन, मांगन शाह ने राजा को कहा कि वह सकुशल घर लौटेगा और राजा झप्पन सिंह का बेटा वाकई सकुशल लौट गया. तब राजा को एहसास हुआ मांगन शाह एक सूफी संत हैं. इसके बाद मांगन शाह की प्रसिद्दि चारों ओर फैलने लगी.
पुरानी मान्यता
मांगन शाह के दरगाह पर खासकर उर्स के दौरान देश-विदेश से लाखों लोग अपनी मुरादें लेकर दरबार में चादर पोशी करने पहुंचते हैं. माना जाता है कि आज तक कोई भी यहां से खाली झोली लेकर नहीं लौटा है.
हिंदू-मुस्लिम एक साथ मांगते हैं दुआ
यहां के इंतजामिया कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद अजमत अली बताते हैं कि अगर गंगा- जमुनी तहजीब के साथ-साथ सांप्रदायिक सौहार्द का अनूठा मिसाल देखना हो तो लोगों को एकबार मांगन शाह की दरगाह पर जरूर आना चाहिए. यहां पर हिंदू-मुस्लिम एकसाथ एक- दूसरे के लिए दुआ मांगते हैं. यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है.
उन्होंने कहा कि सबसे खास बात मांगन शाह दरगाह की यही है कि यहां उर्स के दौरान पहली चादर एक बंगाली कायस्थ के परिवार की चढ़ती है, जिसे राजा झपपन सिंह के परिवार ने आदेश दिया था. आज भी उस रीति-रिवाज को स्थानीय लोगों के द्वारा निभाया जा रहा है.
हर साल लगता है विशेष मेला
भागलपुर से 40 किलोमीटर उत्तर में बसा बिहपुर जाने के लिए गंगा नदी को पार करना पड़ता है. हस्तशिल्प और खिलौनों का काफी बड़ा बाजार मांगन शाह दरगाह के सटे मिल्की में लगता है. यहां पर हर वर्ष अप्रैल के 16 तारीख से उर्स का मेला लगना शुरू हो जाता है, जो कि महीने के अंत तक चलता है. काफी दूरदराज से लोग अपनी मन्नतें लेकर मांगन शाह पीर के दरबार में पहुंचते है. आसपास के लोग बताते हैं कि यहां पर आने वालों की हर मुराद मांगन शाह पीर बाबा जरूर पूरी करते हैं.