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सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है मांगन शाह का दरगाह, हिंदू चढ़ाते हैं पहली चादर

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Published : Apr 25, 2019, 11:51 PM IST

Updated : Apr 25, 2019, 11:58 PM IST

यहां पर हर वर्ष अप्रैल के 16 तारीख से उर्स का मेला लगना शुरू हो जाता है, जो कि महीने के अंत तक चलता है. काफी दूरदराज से लोग अपनी मन्नतें लेकर मांगन शाह पीर के दरबार में पहुंचते है.

दरगाह

भागलपुर: पूरा भारतवर्ष विविधताओं से भरा हुआ है. खासकर बिहार में कई अनूठी संस्कृति हैं, जो एकता और अखंडता का मिसाल पेश करती है. ऐसा ही एक उदाहरण भागलपुर के अंतर्गत बिहपुर के मिल्की में स्थित है.
यहां हजरत दाता मांगन शाह रहमतुल्ला अलैह की दरगाह है. जहां पर अप्रैल माह में उर्स के दौरान मांगन शाह की दरगाह पर पहली चादर हिंदू की पेश की जाती है. जिसका वक्त भी मध्य रात्रि के 12 बजकर 05 मिनट पर तय है. इसकी परंपरा वर्षों से चली आ रही है.

यह है इतिहास
ऐसा कहा जाता है कि जब पूरे देश में राजा महाराजा हुआ करते थे. उस समय राजा झप्पन सिंह के यहां सूफी मांगन शाह रहा करते थे. उस समय ब्रिटिश की चाल में राजा का बेटा फंस गया था. जिसे फांसी की सजा मिलने वाली थी. लेकिन, मांगन शाह ने राजा को कहा कि वह सकुशल घर लौटेगा और राजा झप्पन सिंह का बेटा वाकई सकुशल लौट गया. तब राजा को एहसास हुआ मांगन शाह एक सूफी संत हैं. इसके बाद मांगन शाह की प्रसिद्दि चारों ओर फैलने लगी.

पुरानी मान्यता
मांगन शाह के दरगाह पर खासकर उर्स के दौरान देश-विदेश से लाखों लोग अपनी मुरादें लेकर दरबार में चादर पोशी करने पहुंचते हैं. माना जाता है कि आज तक कोई भी यहां से खाली झोली लेकर नहीं लौटा है.

मांगन शाह का दरगाह

हिंदू-मुस्लिम एक साथ मांगते हैं दुआ
यहां के इंतजामिया कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद अजमत अली बताते हैं कि अगर गंगा- जमुनी तहजीब के साथ-साथ सांप्रदायिक सौहार्द का अनूठा मिसाल देखना हो तो लोगों को एकबार मांगन शाह की दरगाह पर जरूर आना चाहिए. यहां पर हिंदू-मुस्लिम एकसाथ एक- दूसरे के लिए दुआ मांगते हैं. यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है.
उन्होंने कहा कि सबसे खास बात मांगन शाह दरगाह की यही है कि यहां उर्स के दौरान पहली चादर एक बंगाली कायस्थ के परिवार की चढ़ती है, जिसे राजा झपपन सिंह के परिवार ने आदेश दिया था. आज भी उस रीति-रिवाज को स्थानीय लोगों के द्वारा निभाया जा रहा है.

हर साल लगता है विशेष मेला
भागलपुर से 40 किलोमीटर उत्तर में बसा बिहपुर जाने के लिए गंगा नदी को पार करना पड़ता है. हस्तशिल्प और खिलौनों का काफी बड़ा बाजार मांगन शाह दरगाह के सटे मिल्की में लगता है. यहां पर हर वर्ष अप्रैल के 16 तारीख से उर्स का मेला लगना शुरू हो जाता है, जो कि महीने के अंत तक चलता है. काफी दूरदराज से लोग अपनी मन्नतें लेकर मांगन शाह पीर के दरबार में पहुंचते है. आसपास के लोग बताते हैं कि यहां पर आने वालों की हर मुराद मांगन शाह पीर बाबा जरूर पूरी करते हैं.

भागलपुर: पूरा भारतवर्ष विविधताओं से भरा हुआ है. खासकर बिहार में कई अनूठी संस्कृति हैं, जो एकता और अखंडता का मिसाल पेश करती है. ऐसा ही एक उदाहरण भागलपुर के अंतर्गत बिहपुर के मिल्की में स्थित है.
यहां हजरत दाता मांगन शाह रहमतुल्ला अलैह की दरगाह है. जहां पर अप्रैल माह में उर्स के दौरान मांगन शाह की दरगाह पर पहली चादर हिंदू की पेश की जाती है. जिसका वक्त भी मध्य रात्रि के 12 बजकर 05 मिनट पर तय है. इसकी परंपरा वर्षों से चली आ रही है.

यह है इतिहास
ऐसा कहा जाता है कि जब पूरे देश में राजा महाराजा हुआ करते थे. उस समय राजा झप्पन सिंह के यहां सूफी मांगन शाह रहा करते थे. उस समय ब्रिटिश की चाल में राजा का बेटा फंस गया था. जिसे फांसी की सजा मिलने वाली थी. लेकिन, मांगन शाह ने राजा को कहा कि वह सकुशल घर लौटेगा और राजा झप्पन सिंह का बेटा वाकई सकुशल लौट गया. तब राजा को एहसास हुआ मांगन शाह एक सूफी संत हैं. इसके बाद मांगन शाह की प्रसिद्दि चारों ओर फैलने लगी.

पुरानी मान्यता
मांगन शाह के दरगाह पर खासकर उर्स के दौरान देश-विदेश से लाखों लोग अपनी मुरादें लेकर दरबार में चादर पोशी करने पहुंचते हैं. माना जाता है कि आज तक कोई भी यहां से खाली झोली लेकर नहीं लौटा है.

मांगन शाह का दरगाह

हिंदू-मुस्लिम एक साथ मांगते हैं दुआ
यहां के इंतजामिया कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद अजमत अली बताते हैं कि अगर गंगा- जमुनी तहजीब के साथ-साथ सांप्रदायिक सौहार्द का अनूठा मिसाल देखना हो तो लोगों को एकबार मांगन शाह की दरगाह पर जरूर आना चाहिए. यहां पर हिंदू-मुस्लिम एकसाथ एक- दूसरे के लिए दुआ मांगते हैं. यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है.
उन्होंने कहा कि सबसे खास बात मांगन शाह दरगाह की यही है कि यहां उर्स के दौरान पहली चादर एक बंगाली कायस्थ के परिवार की चढ़ती है, जिसे राजा झपपन सिंह के परिवार ने आदेश दिया था. आज भी उस रीति-रिवाज को स्थानीय लोगों के द्वारा निभाया जा रहा है.

हर साल लगता है विशेष मेला
भागलपुर से 40 किलोमीटर उत्तर में बसा बिहपुर जाने के लिए गंगा नदी को पार करना पड़ता है. हस्तशिल्प और खिलौनों का काफी बड़ा बाजार मांगन शाह दरगाह के सटे मिल्की में लगता है. यहां पर हर वर्ष अप्रैल के 16 तारीख से उर्स का मेला लगना शुरू हो जाता है, जो कि महीने के अंत तक चलता है. काफी दूरदराज से लोग अपनी मन्नतें लेकर मांगन शाह पीर के दरबार में पहुंचते है. आसपास के लोग बताते हैं कि यहां पर आने वालों की हर मुराद मांगन शाह पीर बाबा जरूर पूरी करते हैं.

Intro:GANGA JAMNI AUR HINDU MUSLIM EKTA KI MISAL HAI HAZRAT DATA MANGAN SHAH RAHAMTULLA ALAY KI DARGAH

पूरा भारत वर्ष विविधताओं से भरा हुआ है खासकर बिहार में कई अनूठी संस्कृति है जो एकता और अखंडता का मिसाल पेश करती है ऐसा ही एक उदाहरण भागलपुर के अंतर्गत बिहपुर के मिल्की में स्थित हजरत दाता मांगन शाह रहमतुल्ला अलैह की दरगाह है जहां पर अप्रैल माह में उर्स के दौरान मांगन शाह की दरगाह पर पहली चादर हिंदू की पेश की जाती है जिसका वक्त भी मध्य रात्रि के 12 बजकर 05 मिनट पर तय की गई है जिस की परंपरा वर्षों से चली आ रही है ऐसा कहा जाता है कि जब पूरे देश में राजा महाराजा हुआ करते थे उस समय राजा झप्पन सिंह के यहां सूफी मांगन शाह रहा करते थे उस समय ब्रिटिश के चुंगल में राजा का बेटा फस गया था जिसे फांसी की सजा मिलने वाली थी लेकिन मांग अंसा ने राजा को कहा कि वह सकुशल घर लौटेगा और राजा झप्पन सिंह का बेटा वाकई सकुशल लौट गया तब राजा को एहसास हुआ मांगन शाह एक सूफी संत है उसके बाद मांगन शाह की प्रसिद्दि चारों ओर फ़ैलने लगी ।


Body:मांगन शाह की दरगाह पर खासकर उर्स के दौरान देश-विदेश से लाखों लोग अपनी अपनी मुरादें लेकर दरबार में चादर पोशी करने आते हैं आज तक कोई भी यहां पर से खाली झोली लेकर नही गया यहां के इंतजामिया कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद अजमत अली बताते हैं अगर गंगा जमनी तहजीब के साथ साथ सांप्रदायिक सौहार्द का अनूठा मिसाल देखना हो जो लोग एक बार मांगन शाह की दरगाह पर जरूर आए जहां पर हिंदू मुस्लिम एक साथ एक दूसरे के लिए दुआ मांगते हैं , यहां पर यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है । उन्होंने कहा किस सबसे खास बात मांगन शाह दरगाह की यही है कि यहां उर्स के दौरान पहली चादर एक बंगाली कायस्थ के परिवार की चढ़ती है जिसे राजा झपपन सिंह के परिवार ने आदेश दिया था आज भी उस रिती रिवाज को स्थानीय है लोगों के द्वारा निभाया जा रहा है ।


Conclusion:भागलपुर से 40 किलोमीटर उत्तर में बसा बिहपुर जाने के लिए भागलपुर से गंगा नदी को पार कर जाया जाता है हस्तशिल्प और खिलौनों का काफी बड़ा बाजार मांगन शाह दरगाह के सटे मिल्की मैं लगता है यहां पर हर वर्ष अप्रैल के 16 तारीख से उर्स का मेला लगना शुरू हो जाता है जोकि महीने के अंत तक चलता है काफी दूरदराज से लोग अपनी मन्नतें लेकर लाखों लोग मांगन शाह पीर के दरबार में पहुंचते है आसपास के रहने वाले लोग यही बताते हैं कि यहां पर आने वालों की हर मुराद चाहे वह छोटी हो या बड़ी मांगन शाह पीर बाबा जरूर पूरी करते हैं ।
Last Updated : Apr 25, 2019, 11:58 PM IST
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