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भागलपुर: तस्करी के शक में छत्तीसगढ़ में उतारे गए 33 बच्चे वापस लौटे अपने घर

बच्चों को मानव तस्करी के संदेह में छत्तीसगढ़ में रेस्क्यू करने के बाद वह सब सकुशल वापस अपने घर पहुंच चुके हैं. करीब 15 दिनों बाद अपने घर भागलपुर वापस लौट चुके हैं. बच्चों के लौटने से जहां एक तरफ मां बाप खुश हैं वहीं, दूसरी तरफ सरकार के सिस्टम को लेकर परिजन आक्रोशित हैं.

घर वापस लौटे बच्चे
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Published : Jul 11, 2019, 3:13 PM IST

भागलपुर: जिले से महाराष्ट्र के मदरसे में पढ़ने जा रहे 33 बच्चों को रेस्क्यू कर मानव तस्करी के आधार पर छत्तीसगढ़ में उतारा गया था. वह सभी बच्चे करीब 15 दिनों बाद अपने घर भागलपुर वापस लौट चुके हैं. बच्चों के लौटने से जहां एक तरफ मां-बाप खुश हैं वहीं, दूसरी तरफ सरकार के सिस्टम को लेकर परिजन आक्रोशित हैं. बच्चों के परिजनों का कहना है कि हमारी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से हम बच्चों को पढ़ने बाहर के मदरसों में भेजते हैं. लेकिन, बच्चों को मानव तस्करी के आधार पर पकड़ना और उन्हें ले जाने वाले को पुलिस के द्वारा गिरफ्तार करना निंदनीय है.

घर वापस लौटे बच्चे

जिन पुलिसकर्मियों के द्वारा बच्चों को लाया गया है उनका कहना है कि बच्चों का आरक्षण नहीं हो पाने की वजह से उन्हें वापस लाने में इतना वक्त लग गया. लेकिन भागलपुर बाल संरक्षण के लोगों का कहना है सरकारी प्रक्रिया में वक्त तो लग ही जाता है. जिसकी वजह से बच्चों को चिन्हित करने में विलंब हो गया. वहीं, सरकारी प्रक्रिया का हवाला देने पर आक्रोशित परिजनों ने कहा कि सरकारी प्रक्रिया की वजह से लोगों को तकलीफ का सामना करना पड़ा है. उनका कहना था कि जो गरीब लोग होते हैं क्या उन्हें बच्चों को बाहर भेजकर बढ़ाने का कोई हक नहीं है.

मानव तस्करी के संदेह पर किया गया था गिरफ्तार
गौरतलब है कि इन बच्चों को मानव तस्करी के संदेह में छत्तीसगढ़ में रेस्क्यू करने के बाद ईटीवी ने प्रमुखता से इस खबर को दिखाया था. ईटीवी संवाददाता ग्राउंड लेवल पर जाकर हकीकत की तहकीकात की थी. जहां पर बच्चों को बाहर ले जाकर तालीम देने की बात सच थी. जिस शाकिर को बच्चों को ले जाने के शक में गिरफ्तार किया गया था, उसे भी पुलिस ने जांच पड़ताल के बाद छोड़ दिया.

भागलपुर: जिले से महाराष्ट्र के मदरसे में पढ़ने जा रहे 33 बच्चों को रेस्क्यू कर मानव तस्करी के आधार पर छत्तीसगढ़ में उतारा गया था. वह सभी बच्चे करीब 15 दिनों बाद अपने घर भागलपुर वापस लौट चुके हैं. बच्चों के लौटने से जहां एक तरफ मां-बाप खुश हैं वहीं, दूसरी तरफ सरकार के सिस्टम को लेकर परिजन आक्रोशित हैं. बच्चों के परिजनों का कहना है कि हमारी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से हम बच्चों को पढ़ने बाहर के मदरसों में भेजते हैं. लेकिन, बच्चों को मानव तस्करी के आधार पर पकड़ना और उन्हें ले जाने वाले को पुलिस के द्वारा गिरफ्तार करना निंदनीय है.

घर वापस लौटे बच्चे

जिन पुलिसकर्मियों के द्वारा बच्चों को लाया गया है उनका कहना है कि बच्चों का आरक्षण नहीं हो पाने की वजह से उन्हें वापस लाने में इतना वक्त लग गया. लेकिन भागलपुर बाल संरक्षण के लोगों का कहना है सरकारी प्रक्रिया में वक्त तो लग ही जाता है. जिसकी वजह से बच्चों को चिन्हित करने में विलंब हो गया. वहीं, सरकारी प्रक्रिया का हवाला देने पर आक्रोशित परिजनों ने कहा कि सरकारी प्रक्रिया की वजह से लोगों को तकलीफ का सामना करना पड़ा है. उनका कहना था कि जो गरीब लोग होते हैं क्या उन्हें बच्चों को बाहर भेजकर बढ़ाने का कोई हक नहीं है.

मानव तस्करी के संदेह पर किया गया था गिरफ्तार
गौरतलब है कि इन बच्चों को मानव तस्करी के संदेह में छत्तीसगढ़ में रेस्क्यू करने के बाद ईटीवी ने प्रमुखता से इस खबर को दिखाया था. ईटीवी संवाददाता ग्राउंड लेवल पर जाकर हकीकत की तहकीकात की थी. जहां पर बच्चों को बाहर ले जाकर तालीम देने की बात सच थी. जिस शाकिर को बच्चों को ले जाने के शक में गिरफ्तार किया गया था, उसे भी पुलिस ने जांच पड़ताल के बाद छोड़ दिया.

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भागलपुर से महाराष्ट्र के मदरसे में पढ़ने जा रहे जिस 33 बच्चों को रेस्क्यू कर मानव तस्करी के आधार पर छत्तीसगढ़ में उतारा गया था वह सभी बच्चे करीबन 15 दिनों बाद अपने घर भागलपुर वापस लौट चुके हैं बच्चों के लौटने से जहां एक तरफ मां बाप खुश हैं वहीं दूसरी तरफ सरकार के सिस्टम को लेकर आक्रोशित में है बच्चों के परिजनों का कहना है कि हमारी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से हम बच्चों को पढ़ने बाहर के मदरसों में भेजते हैं लेकिन किसी के शक के आधार पर बच्चों को मानव तस्करी के आधार पर पकड़ना और उन्हें ले जाने वाले को पुलिस के द्वारा गिरफ्तार करना काफी निंदनीय है।


Body:जिन पुलिसकर्मियों के द्वारा बच्चों को लाया गया है उनका कहना है कि बच्चों का आरक्षण नहीं हो पाने की वजह से इतना वक्त उन्हें लाने में लग गया लेकिन भागलपुर बाल संरक्षण के लोगों का कहना है सरकारी प्रक्रिया में काफी वक्त लग जाता है जिसकी वजह से बच्चों को चिन्हित करने में विलंब हो गया सरकारी प्रक्रिया की अगर बात करें तो यह कोई नया मामला नहीं है की सरकारी प्रक्रिया की वजह से लोगों को तकलीफ का सामना करना पड़ा है किसी तकलीफ की वजह से सरकार के खिलाफ इन बच्चों के माता पिता बोलने को मजबूर हो गए हैं कि आखिर जो गरीब लोग होते हैं क्या उन्हें बच्चों को बाहर भेजकर बढ़ाने का कोई हक नहीं है ?


Conclusion:इन बच्चों को मानव तस्करी के संदेह में छत्तीसगढ़ में रेस्क्यू करने के बाद ईटीवी ने प्रमुखता से इस खबर को दिखाया था और ग्राउंड लेवल पर जाकर रियलिटी चेक भी किया था जहां पर बच्चों को बाहर ले जाकर तालीम देने की बात सच थी जिस साकिर को बच्चों को ले जाने के शक में गिरफ्तार किया गया था उसे भी वहां की पुलिस ने जांच पड़ताल कर छोड़ दिया था साकिर भी भागलपुर आ चुका है और इस सरकारी सिस्टम से काफी नाराज है साकिर पूर्व में भी भागलपुर के माधोपुर दियारा के बच्चों को लेकर तालीम दिल के लिए महाराष्ट्र ले गया था लेकिन इस बार मानव तस्करी के शक पर साकिर को गिरफ्तार कर लिया गया था और सभी 33 बच्चों को पद्मनाभपुर के बाल गृह में रखा गया था।

बाइट: जाकिर माधोपुर दियारा ,भागलपुर
बाइट:बच्चों के परिजन
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