भागलपुर: जिले से महाराष्ट्र के मदरसे में पढ़ने जा रहे 33 बच्चों को रेस्क्यू कर मानव तस्करी के आधार पर छत्तीसगढ़ में उतारा गया था. वह सभी बच्चे करीब 15 दिनों बाद अपने घर भागलपुर वापस लौट चुके हैं. बच्चों के लौटने से जहां एक तरफ मां-बाप खुश हैं वहीं, दूसरी तरफ सरकार के सिस्टम को लेकर परिजन आक्रोशित हैं. बच्चों के परिजनों का कहना है कि हमारी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से हम बच्चों को पढ़ने बाहर के मदरसों में भेजते हैं. लेकिन, बच्चों को मानव तस्करी के आधार पर पकड़ना और उन्हें ले जाने वाले को पुलिस के द्वारा गिरफ्तार करना निंदनीय है.
जिन पुलिसकर्मियों के द्वारा बच्चों को लाया गया है उनका कहना है कि बच्चों का आरक्षण नहीं हो पाने की वजह से उन्हें वापस लाने में इतना वक्त लग गया. लेकिन भागलपुर बाल संरक्षण के लोगों का कहना है सरकारी प्रक्रिया में वक्त तो लग ही जाता है. जिसकी वजह से बच्चों को चिन्हित करने में विलंब हो गया. वहीं, सरकारी प्रक्रिया का हवाला देने पर आक्रोशित परिजनों ने कहा कि सरकारी प्रक्रिया की वजह से लोगों को तकलीफ का सामना करना पड़ा है. उनका कहना था कि जो गरीब लोग होते हैं क्या उन्हें बच्चों को बाहर भेजकर बढ़ाने का कोई हक नहीं है.
मानव तस्करी के संदेह पर किया गया था गिरफ्तार
गौरतलब है कि इन बच्चों को मानव तस्करी के संदेह में छत्तीसगढ़ में रेस्क्यू करने के बाद ईटीवी ने प्रमुखता से इस खबर को दिखाया था. ईटीवी संवाददाता ग्राउंड लेवल पर जाकर हकीकत की तहकीकात की थी. जहां पर बच्चों को बाहर ले जाकर तालीम देने की बात सच थी. जिस शाकिर को बच्चों को ले जाने के शक में गिरफ्तार किया गया था, उसे भी पुलिस ने जांच पड़ताल के बाद छोड़ दिया.