बेगूसरायः बिहार के आंतरिक जल स्रोत का स्तर साल 2019 में काफी नीचे चला गया था. प्रचंड गर्मी के कारण जिले के छोटे-बड़े कई जलस्रोत सूख गए थे. जिसमें एशिया का प्रसिद्ध कावर झील भी शामिल था. जिससे हजारों लोगों की जीविका खत्म हो गई थी, लेकिन इस बार शुरुआत से ही हो रही बारिश ने जिले में आंतरिक जलस्रोत को बेहतर स्थिति में पहुंचा दिया है.
बढ़ गई पर्यटन की संभावना
कावर झील समेत हर छोटे-बड़े जल संग्रह स्थल प्राकृतिक छटा बिखेर रहे हैं. खासकर झील इलाके में प्रचुर मात्रा में पानी होने की वजह से न सिर्फ हजारों लोगों की जीविका पटरी पर लौट आई है, बल्कि यहां पर्यटन की भी संभावना काफी बढ़ गई है.
नगण्य पाया गया था जल स्रोत
बीते साल कम बारिश और प्रचंड गर्मी की वजह से जिले में सुखाड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई थी. छोटे बड़े सैकड़ों तालाब कुएं और जल स्रोत पूरी तरह से सूख गए थे. जिससे स्थिति काफी भयावह हो गई थी. केंद्र सरकार की एक एजेंसी ने सैटेलाइट के जरिए सर्वे कर बेगूसराय के दो प्रखंड नावकोठी और भगवानपुर में जल स्रोत नगण्य पाया था.
भुगतना पड़ा नुकसान
प्रशासन ने एजेंसी की रिपोर्ट के आधार पर उस इलाके में जल संचयन को लेकर कई योजनाएं शुरू कर दी. एशिया के सबसे बड़े मीठे पानी के कांवर झील को आंतरिक जल स्रोतों के सूखने का सबसे ज्यादा नुकसान भुगतना पड़ा.
सैंकड़ों परिवार हैं आश्रित
झील के सूखने से कावर झील प्रक्षेत्र में पलने वाली सैकड़ों प्रजाति की मछलियां और पक्षी या तो बेमौत मारे गए या पलायन कर गए. साथ ही 16 गांव के नाविक मछुआरे और आम ग्रामीणों की रोजी-रोटी भी कावर झील पर आश्रित हैं. यह इलाका पक्षियों के अभ्यारण क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध है.
पहले से बेहतर स्थिति
कावर क्षेत्र में इस बार पर्याप्त जल संग्रह होने से यहां के ग्रामीणों, नाविकों और मछुआरों के चेहरे पर खुशियां लौट आई हैं. ग्रामीण और मछुआरों ने बताया कि बीते साल बहुत बुरे दौर से हमें गुजरना पड़ा, लेकिन इस साल स्थिति काफी बेहतर है.
'तैयार करना चाहिए डैम जैसा ढांचा'
स्थानीय लोगों के अनुसार सरकार और प्रशासन को कांवर झील क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में जल की उपलब्धता के लिए बसहि बांध से लेकर हर साइन स्तूप तक डैम के जैसा ढांचा तैयार करना चाहिए. तभी यहां 8 से 10 फीट पानी का संग्रह होगा. जिससे इस क्षेत्र में हजारों प्रजाति की मछली पलेंगी. साथ ही प्रवासी पक्षी के आने की निरंतरता बनी रहेगी.
अच्छी आमदनी की उम्मीद
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस साल पर्याप्त वर्षा होने से अच्छी आमदनी होने की उम्मीद है. उन्होंने बताया कि झील में पानी होने से मछली और पक्षी रहेंगे. जिससे देश विदेश से पर्यटक यहां आएंगे.
नीचे चला गया जलस्रोत
पीएचईडी विभाग के कार्यपालक अभियंता ने बताया कि बीते साल स्थिति काफी बदतर थी और जिले में कई जगह आंतरिक जल स्रोत नगण्य हो गए थे. खास करके नाव कोठी और भगवानपुर प्रखंड क्षेत्र में आंतरिक जलस्रोत काफी नीचे चला गया था.
चलाया गया जल संरक्षण अभियान
कार्यपालक अभियंता ने कहा कि केंद्र सरकार की एजेंसी की पुष्टि के बाद इन दोनों इलाकों समेत जिले में जल संरक्षण को लेकर बड़ा अभियान चलाया गया. उन्होंने बताया कि कावर झील इलाके में इस बार जल संग्रह की स्थिति काफी बेहतर है.
पानी पर निर्भर झील का श्रृंगार
पक्षी विशेषज्ञ मोहम्मद अली हुसैन ने बताया कि कावर झील का श्रृंगार ही पानी के ऊपर निर्भर करता है, ऐसे में जब पिछले बार पानी सूख गई थी तो यहां व्यापक नुकसान हुआ था लेकिन इस बार उम्मीद की जा रही है कि बड़ी तादाद में प्रवासी पक्षी यहां आएंगे. साथ ही मछलियां भी प्रचुर मात्रा में होंगी.
लौट आई चेहरे पर खुशियां
बहरहाल मानसून के शुरुआत में हो रही बारिश की वजह से जिले में आंतरिक जलस्रोत काफी बेहतर स्थिति में हैं. साथ ही तालाब, पोखर और कुएं आदि भी मनोरम छटा बिखेर रहे हैं. खास तौर पर झील पर आश्रित लोगों के चेहरे पर खुशियां लौट आई हैं.