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बांका: रजौन में मनरेगा मजदूरों को मजदूरी का भुगतान नहीं, भुखमरी की स्थिति में मजदूर परिवार

मनरेगा मजदूरों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. काम करने के बाबजूद, इस लॉकडाउन में मजदूरी का भुगतान नहीं होने के कारण मजदूरों का पूरा परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है.

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Published : May 20, 2021, 11:21 AM IST

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बांका: रजौन प्रखंड में मजदूरी नहीं मिलने से मनरेगा श्रमिकों की स्थिति काफी खराब हो गई है. काम नहीं मिलने एवं काम करने के बाद भी मजदूरी नहीं मिलने से भूखमरी की स्थिति में जीने को विवश हैं. मोरामा-बनगांव पंचायत के सोहानी गांव के करीब तीन दर्जन श्रमिकों ने पिछले साल लॉकडाउन में मनरेगा द्वारा काम करा कर मजदूरी न देने का आरोप लगाया है. मजदूरों ने जॉब कार्ड दिखाते हुए बताया कि पिछले साल की मजदूरी अभी तक नहीं मिली है. जबकि पिछले साल विभाग द्वारा लॉकडाउन को देखते हुए रोजी-रोटी चलाने के लिए मनरेगा में रोजगार उपलब्ध कराया गया था.

ये भी पढ़ें- पटनाःएम्स के चिकित्सक और नर्सिंग स्टॉफ ने डेढ़ साल बाद मजदूर के बेटे को भेजा घर

कार्ड है लेकिन रोजगार नहीं है

वहीं इस वर्ष भी लॉकडाउन की स्थिति में चूल्हे पर आफत आ गई है. मजदूरी न मिलने से नाराज मजदूरों ने बताया कि जल्द ही हम लोग मजदूरी के लिए मनरेगा कार्यालय का घेराव करेंगे. प्रखंड के कई गांवों के मजदूरों का भी कमोबेश यही हाल है. किसी को काम के बाद मजदूरी नहीं मिली है तो किसी को काम ही नहीं मिल रहा है. जॉब कार्ड शोभा के लिए बनी है जबकि सरकार द्वारा इस लॉकडाउन में रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर मनरेगा की राशि भी मुहैया कराई गई है. मनरेगा विभाग के स्थानीय अधिकारी व कर्मी के ढुलमुल रवैये के कारण यह स्थिति उत्पन्न हो रही है.

ये भी पढ़ें- गरीबों और देहाड़ी मजदूर के परिवारों को राहत और रोजगार दे जिला प्रशासन- भाकपा माले

मजदूरों ने लगाया गंभीर आरोप

बताया जा रहा है कि कागजी खानापूर्ति होने के कारण मजदूरों के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है. ऐसे व्यवहार से मजदूरों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. कई पंचायत के मुखिया एवं पंचायत प्रतिनिधियों ने बताया है कि मनरेगा विभाग एवं सरकार की उदासीनता एवं ढुलमुल नीति के चलते पंचायत प्रतिनिधि हर तरह से हताश एवं परेशान होकर जी रहा है. सरकारी घोषणा के अनुरूप राशि नहीं मिल रही है.

बांका: रजौन प्रखंड में मजदूरी नहीं मिलने से मनरेगा श्रमिकों की स्थिति काफी खराब हो गई है. काम नहीं मिलने एवं काम करने के बाद भी मजदूरी नहीं मिलने से भूखमरी की स्थिति में जीने को विवश हैं. मोरामा-बनगांव पंचायत के सोहानी गांव के करीब तीन दर्जन श्रमिकों ने पिछले साल लॉकडाउन में मनरेगा द्वारा काम करा कर मजदूरी न देने का आरोप लगाया है. मजदूरों ने जॉब कार्ड दिखाते हुए बताया कि पिछले साल की मजदूरी अभी तक नहीं मिली है. जबकि पिछले साल विभाग द्वारा लॉकडाउन को देखते हुए रोजी-रोटी चलाने के लिए मनरेगा में रोजगार उपलब्ध कराया गया था.

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कार्ड है लेकिन रोजगार नहीं है

वहीं इस वर्ष भी लॉकडाउन की स्थिति में चूल्हे पर आफत आ गई है. मजदूरी न मिलने से नाराज मजदूरों ने बताया कि जल्द ही हम लोग मजदूरी के लिए मनरेगा कार्यालय का घेराव करेंगे. प्रखंड के कई गांवों के मजदूरों का भी कमोबेश यही हाल है. किसी को काम के बाद मजदूरी नहीं मिली है तो किसी को काम ही नहीं मिल रहा है. जॉब कार्ड शोभा के लिए बनी है जबकि सरकार द्वारा इस लॉकडाउन में रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर मनरेगा की राशि भी मुहैया कराई गई है. मनरेगा विभाग के स्थानीय अधिकारी व कर्मी के ढुलमुल रवैये के कारण यह स्थिति उत्पन्न हो रही है.

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मजदूरों ने लगाया गंभीर आरोप

बताया जा रहा है कि कागजी खानापूर्ति होने के कारण मजदूरों के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है. ऐसे व्यवहार से मजदूरों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. कई पंचायत के मुखिया एवं पंचायत प्रतिनिधियों ने बताया है कि मनरेगा विभाग एवं सरकार की उदासीनता एवं ढुलमुल नीति के चलते पंचायत प्रतिनिधि हर तरह से हताश एवं परेशान होकर जी रहा है. सरकारी घोषणा के अनुरूप राशि नहीं मिल रही है.

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