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बांकाः तालाब खुदाई के दौरान 1000 साल पुरानी मूर्ति बरामद

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Published : Jun 22, 2020, 12:38 PM IST

अमरपुर नगर पंचायत अंतर्गत डुमरामा क्षेत्र में तालाब की खुदाई के एक दौरान ऐतिहासिक मूर्ति मिली है. जिले भगवान बुद्ध की बताई जा रही है.

बांका
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बांका: जिले के अमरपुर नगर पंचायत अंतर्गत डुमरामा क्षेत्र में तालाब की खुदाई के दौरान एक ऐतिहासिक मूर्ति मिली है. जो कि खंडित अवस्था में है. प्रथम दृष्टया यह भगवान बुद्ध की मूर्ति प्रतीत होती है. मूर्ति का सिर गायब है. इसके विभिन्न हिस्सों में कई धार्मिक चित्र भी बने हुए हैं.

1000 साल पुरानी है मूर्ति
मूर्ति की प्राचीनता की प्रमाणिकता तो इसकी पुरातात्विक जांच के बाद ही पता चल पाएगी, लेकिन अनुमान के मुताबिक यह तकरीबन 1000 हाल पुरानी है. कोई इसे जैन तीर्थंकर का तो कोई प्राचीन चंपापुरी की मूर्ति बता रहा है.

मूर्ती बरामद होने के बाद तत्काल इसकी सूचना प्रखंड के अधिकारियों को दी गई. प्रशासनिक स्तर पर इसे पुरातत्व विभाग को सौंपने की तैयारी की जा रही है.

चांदन नदी के तट पर आए थे बुद्ध
मान्यता के अनुसार भगवान बुद्ध भी अपने जीवन काल में डुमरामा से सटे प्राचीन भद्र नगर के समीप चांदन नदी तट पर पहुंचे थे. कई दिनों तक यहां रुक कर उन्होंने अपने शिष्यों के साथ समय बिताया था. भगवान बुद्ध की कई जातक कथाओं को इसी चांदन नदी के तट पर लिखा गया है.

बांका: जिले के अमरपुर नगर पंचायत अंतर्गत डुमरामा क्षेत्र में तालाब की खुदाई के दौरान एक ऐतिहासिक मूर्ति मिली है. जो कि खंडित अवस्था में है. प्रथम दृष्टया यह भगवान बुद्ध की मूर्ति प्रतीत होती है. मूर्ति का सिर गायब है. इसके विभिन्न हिस्सों में कई धार्मिक चित्र भी बने हुए हैं.

1000 साल पुरानी है मूर्ति
मूर्ति की प्राचीनता की प्रमाणिकता तो इसकी पुरातात्विक जांच के बाद ही पता चल पाएगी, लेकिन अनुमान के मुताबिक यह तकरीबन 1000 हाल पुरानी है. कोई इसे जैन तीर्थंकर का तो कोई प्राचीन चंपापुरी की मूर्ति बता रहा है.

मूर्ती बरामद होने के बाद तत्काल इसकी सूचना प्रखंड के अधिकारियों को दी गई. प्रशासनिक स्तर पर इसे पुरातत्व विभाग को सौंपने की तैयारी की जा रही है.

चांदन नदी के तट पर आए थे बुद्ध
मान्यता के अनुसार भगवान बुद्ध भी अपने जीवन काल में डुमरामा से सटे प्राचीन भद्र नगर के समीप चांदन नदी तट पर पहुंचे थे. कई दिनों तक यहां रुक कर उन्होंने अपने शिष्यों के साथ समय बिताया था. भगवान बुद्ध की कई जातक कथाओं को इसी चांदन नदी के तट पर लिखा गया है.

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